Shehla Rashid: शेहला राशिद ने मारी पलटी, यू-टर्न, पर बोलीं मैं नहीं बदली, लेकिन कश्मीर की स्थिति बदल गई.

Shehla Rashid: एक समय में प्रधानमंत्री के कट्टर आलोचकों में से एक, पूर्व छात्र नेता अब खुले तौर पर और बार-बार उनकी सराहना करते हैं.

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Shehla Rashid: नरेंद्र मोदी के प्रति अपने रुख में 'यू-टर्न' के बारे में बताते हुए, कार्यकर्ता शेहला रशीद, जो कभी प्रधानमंत्री की कट्टर आलोचक थीं. उन्होंने कहा कि वो नहीं बदली हैं बल्कि उनके मूल जम्मू-कश्मीर में जमीनी स्थिति बदल गई है. दरअसल, एक समय में शेहला राशिद पीएम को कट्टर आलोचकों में एक हुा करती थी, लेकिन इन दिनों वो पीएम की तारीप करती नजर आ रही हैं. इसपर उन्होंने सफाई पेश करते हुए कहा है कि 'वो नहीं बदली हैं.'

क्या कहा शेहला राशिद ने?

शेहला राशिद ने पीएम के हाल ही में हुए कश्मीर दौरे लेकर कहा कि ''हमने देखा कि कैसे आम कश्मीरी पीएम मोदी की रैली के लिए कतार में खड़े थे. मेरा एजेंडा शासन को बदनाम करना नहीं है. ऐसा नहीं है कि घाटी लगातार प्रधानमंत्री के नाम का जाप कर रही है, बल्कि लोग अब उस सरकार से शिकायतें कर रहे हैं जिसे वे अपना मानते हैं.'' हिंदुस्तान टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक, उन्होंने कहा कि हालांकि, जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय छात्र संघ (जेएनयूएसयू) के पूर्व उपाध्यक्ष ने स्वीकार किया कि कुछ समस्याएं बनी हुई हैं. 

पीएम के लिए कब बदले विचार 

शेहला ने कहा कि ''मैं इस बात से सहमत हूं कि ऐसे मुद्दे हैं जिनका समाधान अभी भी होना बाकी है, जैसे बिजली कटौती. लेकिन, ये अपने आप में एक बदलाव है कि अब आपके सामने सड़क और बिजली कटौती से जुड़े मुद्दे हैं. वर्षों पहले, एकमात्र मुद्दा स्वतंत्रता की मांग थी.'' इसके बाद जब राशिद से पूछा गया कि ऐसा कब हुआ कि प्रधानमंत्री के लिए उनके विचार बदलने लगे. उन्होंने जवाब दिया कि कोविड-19 महामारी ने उनके विचार बदल दिए हैं. 

कौन हैं शेहला राशिद?

शेहला राशिद की बात करें तो वो JNU की छात्रा रह चुकी हैं, शेहला रशीद पहली बार फरवरी 2016 में अपने साथी जेएनयू छात्रों कन्हैया कुमार और उमर खालिद के साथ देशद्रोह विवाद के दौरान राष्ट्रीय ध्यान में आईं, जिसके कारण तत्कालीन-जेएनयूएसयू अध्यक्ष कुमार, खालिद और अन्य की गिरफ्तारी हुई. वह गिरफ़्तारियों के बाद भड़के छात्र विरोध प्रदर्शन का चेहरा बन गईं और बाद के वर्षों में, मोदी सरकार का विरोध करती रहीं हैं. ये वही आंदोलन था जिसमें टुकड़े-टुकड़े गैंग निकला, हालांकि छात्रों ने ऐसी किसी भी नारेबाजी से इंकार किया था. 

First Updated : Wednesday, 20 March 2024