कौन था रहस्यमयी गुफा बनवाने वाला मीर कासिम आज तक नहीं पता बाहर निकलने का रास्ता

Mysterious Cave In Bihar: बिहार की इस रहस्यमयी गुफा की गुत्थी अभी तक नहीं सुलझ सकी है. इस गुफा है जहां अंदर जाने के लिए रास्ता तो है, लेकिन बाहर निकलने के लिए दूसरे छोर का आजतक नहीं पता चल सका.

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Mysterious Cave In Bihar: दुनिया में कई रहस्यमयी जगहें है, जिनके बारे में अभी खोज जारी है. ऐसे में इतिहासकार रहस्य की गुत्थी को सुलझाने की कवायद में लगे रहते हैं.  कहने में तो आसान लगता है, लेकिन रहस्यमयी गुत्थी को सुलझाना बेहद कठिनाई भरा रहता है. इस दौरान दुनिया में ऐसी कई रहस्यमयी जगहें है जिनका सच अभी तक नहीं पता चल सका है. ऐसा ही एक रहस्यमयी जगह भारत के बिहार राज्य में है. जिसकी गुत्थी अभी तक नहीं सुलझ सकी है. यहां एक ऐसी गुफा है जहां अंदर के जाने के लिए रास्ता तो है, लेकिन बाहर निकलने के लिए दूसरे छोर का आजतक नहीं पता चल सका.

क्यों बनाई गई ये गुफा?

हम जिस गुफा की बात कर रहे हैं वह मुंगेर शहर में श्रीकृष्ण वाटिका के अंदर मौजूद ‘मीर कासिम’ की गुफा है. इस गुफा को दुनिया की रहस्यमयी गुफा के नाम से भी जाना जाता है. 250 साल पुरानी इस गुफा का दूसरा छोर आजतक कोई नहीं ढूढ़ पाया. इतिहासकारों के अनुसार, इस गुफा को साल 1760 ई. में बनाया गया है. जिससे अगर कभी कोई दिक्कत आए तो खुद को सुरक्षित रखा जा सके. अब यूं तो इसके दूसरे छोर को लेकर कई तरह की अटकले लगाई जाती है लेकिन सच्चाई क्या है इसका आजतक कुछ पता नहीं चल सका. 

कौन था मीर कासिम?

एक जानकारी के अनुसार, ऐसा कहा जाता है कि मीर कासिम जब मुंगेर पहुंचे तो उन्होंने तुरंत बंगाल की राजधानी मुर्शिदाबाद से बदलकर मुंगेर में शिफ्ट कर दी. इतिहासकारों की माने तो मीर कासिम 1764 तक मुंगेर में रहा और उसने अपने मुंगेर को सुरक्षित रखने के लिए शहर को किले में बदल दिया ताकि यहां कोई परिंदा भी पर ना मार पाए. किले में मौजूद इस गुफा के दूसरे छोर को लेकर कहा जाता है ये मुफस्सिल थाना क्षेत्र की पीर पहाड़ी के पास मौजूद है. लेकिन इसको लेकर अभी तक केवल कयास ही लगाए जा रहे हैं.

वहीं यहां रहने वाले बुजुर्गों के अनुसार,  मीर के बेटे प्रिंस बहार और बेटी राजकुमारी गुल का मकबरा भी इसी पार्क में है. कहते हैं दोनो इसी गुफा से छुपकर जा रहे थे. इसी दौरान अग्रेंज सिपाहियों ने उन्हें मार दिया और इसके बाद दोनों का मकबरा इसी पार्क में बनवाया गया. हालांकि ये जगह आज पूरी तरीके से वीरान है.

First Updated : Tuesday, 07 May 2024
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