Upay and Significance Matsya Jayanti 2023 Puja: मत्स्य जंयती चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की तृतिया तिथि के दिन मनाया जाता है। इस दिन विशेष रुप से भगवान विष्णु की पूजा की जाती है। मतस्य जंयती के दिन शास्त्रों में भगवान विष्णु के मत्स्य रूप यानी सबसे पहले अवतार की पूजा करने का विधान माना गया है। मत्स्य रुप में प्रकट होकर भगवान विष्णु ने सृष्टि को प्रलय से बचाया था, और वेदों को पुन: प्राप्त किया था।
साल 2023 में 24 मार्श्रीच को मत्स्य जयंती मनाया जाएगा, बताया जाता है की श्री हरि विष्णु ने सृष्टि का कल्याण करने के लिए मत्स्य का अवतार लिया था। धार्मिक व पौराणिक कथा में आपने अक्सर सुना होगा की भगवान श्री हरि विष्णु ने एक विशालकाय मछली का अवतार, सृष्टि को प्रलय और विपत्ति से बचाने के लिए लिया था। इस अवतार में भगवाण विष्णू ने वेदों की भी रक्षा किए थे।
धर्म शास्त्र के अनुसार एक बार कश्यप और दिति के दैत्य पुत्र ने वेदों को समुद्र की गहराइयों में छुपा दिया था तब भगवान विष्णू ने मत्स्य अवतार में धरती पर जन्म लिया था, और वेदों को पुन: प्राप्त करने के लिए दैत्य पुत्र से युद्ध किए थे।
• मत्स्य जयंती के दिन विधि-विधान से भगवान श्री हरि विष्णु की पूजा करने बाद मछलियों को दाना जरूर खिलाना चाहिए। ऐसा करना शास्त्रों में बेहद ही शुभ माना जाता है। मत्स्य जयंती के दिन आप मछलियों को आटे की गोली बनाकर खिला सकते है। माना जाता है की ऐसा करने से भगवान विष्णु अत्यंत ही प्रसन्न हो जाते है, जिससे व्यक्ति को भगवान विष्णु का आशिर्वाद मिलता है।
• शास्त्रों की माने तो मत्स्य जयंती के दिन जो भी मनुष्य पवित्र नदी में स्नान करता है, उसे भगवान श्री हरि विष्णू का विशेष आशिर्वाद प्राप्त होता है।
• मत्स्य जंयती के दिन गरीबों-जरूरमंदों और ब्राह्मणों को 7 प्रकार का अनाज यानी सतनाजा का दान करना बेहद शूभ माना जाता है। इसके साथ ही मंदिर में हरिवंशपुराण का भी दान करने से भी बेहद पुण्य मिलता है। •
First Updated : Thursday, 23 March 2023