ॐ लोक आश्रम: मन पर नियंत्रण कैसे हो भाग-2

हम सभी जानते हैं कि सफलता के लिए हमें कठिन परिश्रम करने की आवश्यकता होती है और हममें से बहुत सारे लोग कठिन परिश्रम करना भी चाहते हैं लेकिन कर नहीं पाते।

calender

उसी तरह आप जो कुछ भी बनना चाहते हैं उसके अनुरूप आपको वह कार्य करना होगा अपने चित्त को उस ओर लगाना होगा। आप अपनी इन्द्रियों के अधीन हुए तो आपकी नाव डूबने वाली है तो अपने आप को इन्द्रियों के अधीन होने से कैसे बचा जाए। वही भगवान कृष्ण बता रहे हैं।

एक बार अरस्तू से किसी ने पूछा कि आप परफेक्ट लाइफ किसको कहेंगे। एक तरफ तो लोग चाहते हैं कि वो ज्यादा से ज्यादा सुखों को उपभोग करें दूसरी तरफ शास्त्र कहते हैं कि आप सारी इच्छाओं का परित्याग कर दो, भगवान का भजन करो तो पूर्ण जीवन किसे कहा जाए। परफेक्ट लाइफ किसे माना जाए और इंसान को किस तरह का जीवन व्यतीत करना चाहिए। किस तरह की जिंदगी उसे जीनी चाहिए। अरस्तू ने कहा कि इन्द्रियों का उपभोग हमेशा बुद्धि के नियंत्रण में होना चाहिए। इन्द्रियां बुद्धि के नियंत्रण में रहें और व्यक्ति जीवन जीए और इस तरह का जीवन सर्वोत्तम जीवन माना जाएगा। 

भगवान कृष्ण कहते हैं कि जीवन उस तरह का हो या व्यक्ति को अगर मन को नियंत्रण में रखना है तो एक कछुए की तरह आपको काम करना पड़ेगा। जो कछुआ होता है जैसे ही उसे बाहर खतरा लगता है तुरंत वो अपने सारे अंगों को अंदर समेट लेता है इसी तरह आपको लग रहा है कि आपका मन भटक रहा है आपकी सफलता की नाव पलटने वाली है आप तुरंत अपने मन को सचेत करिए इन्द्रियों को अंदर समेट लीजिए। 

इसको भगवान कृष्ण संयम कहते हैं और वो कहते हैं कि जिसने प्रयत्नपूर्वक इन्द्रियों को हर जगह से हटा लिया है। आपने जो कर्म किया है जो आपने कर्तव्य चुना हुआ है जो आपने पढ़ाई करनी चुनी है उसमें आपको मजा आना चाहिए, आपके अगर क्रिकेट चुना है तो उसमें आपको मजा आना चाहिए, आपने फुटबॉल चुना है उसमें आपको मजा आना चाहिए। जो काम आप कर रहे हैं जिसे आपने अपना कर्तव्य चुना है जिसे आपने अपना धर्म चुना है उसमें आपको मजा आना चाहिए। ये काम आपको चुनने से पहले करना है। जब भी आप निर्धारित करो कि मुझे जीवन में ये करना है तो वो करने में आपको मजा आए। आपको आनंद आए तभी आप उसमें आगे बढ़ो। 
 

First Updated : Friday, 07 April 2023