मध्य प्रदेश: कूनो में बढ़ता चीतों का कुनबा, दक्षिण अफ्रीका से आ रहे 12 और मेहमान, 10 बाड़े बनकर तैयार

मध्य प्रदेश के कूनो नेशनल पार्क में चीतों की संख्या में इजाफा होने जा रहा हैं। बताया जा रहा है शनिवार 18 फरवरी तक 12 और चीते दक्षिण अफ्रीका से भारत आ रहे हैं। भारत और दक्षिण अफ्रीका के बीच हुए समझौते के तहत यह कहा गया है कि एक दशक तक हर साल 10 से 12 चीते भारत को दिए जाएंगे

calender

मध्य प्रदेश के कूनो नेशनल पार्क में चीतों की संख्या में इजाफा होने जा रहा हैं। बताया जा रहा है शनिवार 18 फरवरी तक 12 और चीते दक्षिण अफ्रीका से भारत आ रहे हैं। भारत और दक्षिण अफ्रीका के बीच हुए समझौते के तहत यह कहा गया है कि एक दशक तक हर साल 10 से 12 चीते भारत को दिए जाएंगे। बता दें कि यह पूरी प्रक्रिया प्रोजेक्ट छिटके तहत की जा रही है।

पर्यावरण मंत्रालय ने गुरुवार को यह जानकारी दी है कि 12 नए चीतों के आते ही चीतों की कुल संख्या 20 पर पहुंच जाएगी। गुरुवार को सुबह करीब 6:00 बजे भारतीय वायुसेना का विमान C17 'ग्लोब मास्टर' हिंडन एयरपोर्ट से रवाना हो गया है। संभावनाएं जताई जा रही है कि विमान गुरुवार की शाम जोहानिसबर्ग पहुंचेगा। इसके बाद शुक्रवार शाम भारत के लिए रवाना हो सकेगा।

कूनो में ये नए सदस्य होंगे शामिल -

मध्य प्रदेश के कूनो पार्क में पहले से ही 8 चीते मौजूद है। नए सदस्यों के शामिल होने से परिवार बढ़कर 20 को हो जाएगा। शुक्रवार को क्वाजुलु फिंदा गेम रिजर्व से 2 नर और 1 मादा, वहीं लिम्पोपो प्रांत के रूईबर्ग गेम रिजर्व से 5 नर और 4 मादा चीते भारत आ रहे हैं। वन्यजीव महानिदेशक एसपी यादव ने कहा कि 'वे क्वारंटाइन में थे अब वे लाने के लिए तैयार हैं।

दक्षिण अफ्रीका के कई चीता एक्सपर्ट और वेटरनरी डॉक्टर्स भी उनके साथ आ रहे हैं 20 फरवरी को हम भी चीता कजर्वेशन फंड समेत इंटरनेशनल चीता एक्सपर्ट्स के साथ कूनो में प्रेस कांफ्रेंस करेंगे। यह हमें आगे की राह दिखाएगा और यह समझने में मदद करेगा कि हम सही रास्ते पर हैं या नहीं।'

भारत में हुआ जब दोबारा चीतों का आगमन -

खास बात यह है कि भारत में 1952 में चीतों को विलुप्त घोषित कर दिया गया था। इसके बाद 17 सितंबर 2022 इन मांसाहारी जानवरों का भारत में दुबारा आगमन हुआ। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कूनो नेशनल पार्क में उन्हें छोड़ा था। उस दौरान पहुंचे 8 चीतों में 5 मादा और 3 नर थे।

प्रधानमंत्री कार्यालय ने बताया था कि 'भारत में खुले जंगल और चरागाहों के इकोसिस्टम को बहाल करने में मदद करेंगे। इससे जैव विविधता के संरक्षण में मदद मिलेगी और यह जल सुरक्षा, कार्बन पृथक्करण और मृदा की नमी के संरक्षण जैसी इकोसिस्टम से जुडी जुड़ी सेवाओं को बढ़ाने में मदद करेगा जिससे बड़े पैमाने पर समाज को लाभ होगा।'

First Updated : Thursday, 16 February 2023