आसानी से कुछ नहीं होता हासिल ST Hasan को टिकट के लिए बार-बर करना पड़ रहा है संघर्ष

ST Hasan: एसटी हसन इन दिनों चर्चा में बने हुए. ऐसे में हम आपको उनकी पर्सनल और सियासी जिंदगी के बारे में कुछ खास बातें बताने जा रहे हैं. पढ़िए

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Dr ST Hasan: समाजवादी पार्टी मुरादाबाद को लेकर दो फाड़ हो गई है. पार्टी ने पहले तो रूचि वीरा को यहां से टिकट दे दिया था. फिर उन्हें नामांकन दर्ज करने से रोक लिया गया है, हालांकि अब नामांकन भी दाखिल कर दिया गया है. उनके अलावा मौजूदा सांसद एसटी हसन ने भी इस सीट से नामांकन दाखिल कर दिए हैं. अभी तक यह स्थिति साफ नहीं हुई है कि सपा इस सीट से किसको उतारना चाहती है. खैर तो 30 मार्च तक साफ हो जाएगा लेकिन इससे पहले हम आपको सपा सांसद एसटी हसन के बारे में कुछ दिलचस्प बातें बताने जा रहे हैं. 


एसटी हसन का सियासी सफर:
एसटी हसन यूं तो पेशे से एक डॉक्टर हैं, उन्होंने अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी (AMU) से MBBS की डिग्री हासिल की है. हसन रेडियोलॉजी एक्सपर्ट माने जाते हैं. लोगों की मदद करने के मकसद से राजनीति में कदम रखने वाले एसटी हसन 2006 में मुरादाबाद के मेयर बने थे और 2012 तक इस पद पर रहे. लोगों में उनके प्रति दिलचस्पी को देखते हुए 2014 के लोकसभा चुनाव में समाजवादी पार्टी ने एसटी हसन के मुरादाबाद लोकसभा सीट से अपना उम्मीदवार बनाया. लेकिन 2014 की मोदी लहर में उन्हें भाजपा उम्मीदवार सर्वेश से शिकस्त का सामना करना पड़ा. इसके बाद साल अगले लोकसभा चुनाव यानी 2019 में समाजवादी पार्टी,बहुजन समाज पार्टी और कांग्रेस एक साथ आए और एसटी हसन को फिर से मुरादाबाद सीट से गठबंधन का उम्मीदवार बनाया गया. 2019 में एसटी हसन भाजपा उम्मीदवार सर्वेश को शिकस्त देकर पहली बार लोकसभा में पहुंचे. 

एसटी हसन और अखिलेश यादव

2019 में भी मुश्किल से मिला था टिकट:
हालांकि 2019 के लोकसभा चुनाव में भी एसटी हसन को आसानी से टिकट नहीं मिला था. पहले गठबंधन ने कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष राज बब्बर का टिकट काटकर इमरान प्रतापगढ़ी को अपना उम्मीदवार बनाया. बात यहीं खत्म नहीं हुई इमरान प्रतापगढ़ी को भी यहां से हटाना पड़ा और फिर बसपा ने मीट कारोबारी नासिर कुरैशी को मैदान में उतारा. लेकिन एसटी हसन के समर्थकों के प्रदर्शन के बाद गठबंधन को सपा के उम्मीदवार एसटी हसन को टिकट देना पड़ा और उन्होंने 2019 के चुनाव में भाजपा उम्मीदवार को भारी मतों से हराया.

एसटी हसन

अखिलेश ने दी बड़ी जिम्मेदारी:
समाजवादी पार्टी में एसटी हसन की हैसियत का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि सपा संस्थापक मुलायम सिंह जगह दी गई थी. दरअसल उनके देहांत के बाद अखिलेश यादव ने एसटी हसन को लोकसभा में पार्टी का नेता नियुक्त किया. जबकि कयास लगाए जा रहे थे कि यह जिम्मेदारी डिंपल यादव को दी जा सकती है. लेकिन अखिलेश के इस कदम ने सभी को हैरान कर दिया था. 

एसटी हसन के बयान:
एसटी हसन समाजवादी पार्टी के बड़े मुस्लिम नेताओं में शुमार किए जाते हैं. अक्सर मुसलमानों की आवाज उठाने के लिए वो अक्सर सुर्खियों में बने रहते हैं. यूसीसी को लेकर भी एसटी हसन ने कहा कि हम कुरान की हिदायत के मुताबिक अपनी जिंदगी बसर करते हैं. अगर यूसीसी कुरान के खिलाफ हुआ तो हम इसका विरोद करेंगे. हालांकि मेरी तो समझ से परे है कि इस कानून की जरूरत ही क्यों पड़ रही है. क्या 76 वर्षों से देश नहीं चल रहा? इसके अलावा एसटी हसन ने मुस्लिम रेपिस्ट को लेकर कहा था कि अगर कोई मुस्लिम युवक रेप का मुजरिम हो तो उसे चोहारों पर जमीन में गाड़ दिया और फिर पत्थर मारे जाएं. ताकि कोई भी आगे ऐसी हरकत करने से पहले सोचे. 

एसटी हसन

एसटी हसन की लोकप्रियता:
एसटी हसन अपनी एक और खास बात के लिए पहचाने जाते हैं. दरअसल वो पेशे से डॉक्टर हैं. एसटी हसन पेशे से डॉक्टर हैं, इसके अलावा उनकी पत्नी रिजवाना हसन हाउस वाइफ हैं. वहीं बेटा (दानियाल हसन) और बेटी (अनम फात्मा) भी डॉक्टर हैं. एसटी हसन के बेटे ने मेरठ से एमबीबीएस की पढ़ाई और बेटी ने भी एमबीबीएस की पढ़ाई पूरी की है. एसटी हसन अपनी एक खास बात को लेकर भी जाने जाते हैं. दरअसल 1985 में अपने घर में ही अस्पताल खोलने वाले एसटी हसन अपनी फीस की वजह चर्चाओं में आए थे. कहा जाता है कि शुरुआती दिनों में उन्होंने 10 रुपये फीस रखी थी जो ज्यादा से ज्यादा बढ़कर 30 रुपये हुई है. उनके इस कदम ने उन्हें अपने इलाके में काफी लोकप्रिय बनाया. 

First Updated : Wednesday, 27 March 2024