मौत को मात देती थी ये थाली, खाने में ज़हर की पहचान कर बदल लेती थी रंग

Shahjahan: मुगल बादशाह शाहजहां को जिस थाली में खाना दिया जाता था वह बेहद खास थी. अगर इस थाली में जहरीला खाना परोसा जाए तो इसका रंग बदल जाता था.

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Shahjahan: भारत में राजा-रजवाड़ों की विरासत आज भी देखने लायक है. मध्य प्रदेश के रीवा में भी एक महत्वपूर्ण रियासत थी, इस रियासत के बाघेल शासकों और पूरे राजपरिवार की कई महत्वपूर्ण वस्तुओं का संग्रह आज भी रीवा किले के बाघेला संग्रहालय में है. इन्हीं महत्वपूर्ण वस्तुओं में एक बर्तन ऐसा भी है जिसमें जहर रखते ही बर्तन का रंग बदल जाता है. 

जहर के खाने से बदल जात था रंग

मुगल काल में दुनिया की गद्दी पाने के लिए साजिशों, फरेब बहुत ज्यादा था. राजा राजगद्दी के लिए अपने ही लोगों को मरवाने से नहीं कतराता था. औरंगज़ेब ने गद्दी के लिए अपने भाई दारा शिकोह का सिर कटवा दिया था, जबकि अपने पिता शाहजहाँ को कैद में रखा था. मुग़ल शासक अपनी ही जनता से अपनी जान को ख़तरे को देखते हुए बहुत सावधानी बरतते थे. 

शाहजहाँ के पास एक ऐसी थाली थी, जिसमें जहरीला खाना डालते ही या तो उसका रंग बदल जाता था या वह टूट जाती थी. जहरीले खाने की पहचान करने वाली यह थाली बेहद खास थी, जो आज भी आगरा के ताज संग्रहालय में रखी हुई है. 

कैसे बनी है ये थाली

ये थाली जोधपुर के शाही परिवार ने साल 1919 में महाराजा गुलाब सिंह की शादी में दी थी. यह बर्तन सफेद संगमरमर से बना है, ऐसा कहा जाता है कि अगर जहर मिला हुआ खाना परोसा जाए तो बर्तन का रंग बदलने लगता है. इतिहासकारों के मुताबिक, उस जमाने में एक साजिश के तहत राजा-महाराजाओं के खाने में जहर दिया जाता था. इसलिए एक ऐसा किरदार दिया गया जो ऐसी साजिश को नाकाम करने वाला था.

राजा महाराजा अपने हरम में ही सभी के साथ खाना खाया करते थे, उनको क्या खाना है इसको तय करने वाले वहां पर मौजूद हकीम होते थे. 

First Updated : Sunday, 19 May 2024
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