बच्चों की 10वीं और 12वीं की परीक्षा के दिन काफी करीब हैं। हर बच्चा अपने एग्जाम को लेकर टेंशन में है। अपने रिजल्ट को लेकर टेंशन में है। उसकी पढ़ाई कितनी है, पेपर कैसा आएगा, तैयारी कितनी है, इस तरह की कई सारी बातें उनके दिमाग में घूम रही है। शुक्रवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ‘परीक्षा पे चर्चा’ कार्यक्रम के तहत इन्हीं बच्चों के साथ एक खास चर्चा की। परीक्षा पर चर्चा कार्यक्रम के छठे संस्करण के दौरान दिल्ली के तालकटोरा इनडोर स्टेडियम में पीएम मोदी ने बच्चों को कुछ खास टिप्स दिए जो उनकी आने वाली परीक्षाओं के लिए कारगर सिद्ध हो सकते हैं। 

इस दौरान पीएम मोदी ने छात्रों को तनाव मुक्ति के मंत्र दिए। साथ ही साथ कई ऐसे सुझाव दिए जिनके जरिए आने वाले सालों में वे अपना भविष्य तय कर सकें। इसके अलावा उन्होंने सोशल मीडिया का जरूरत के हिसाब से इस्तेमाल करने की सलाह दी ताकि पूरा दिन मोबाइल की स्क्रीन पर न निकल जाए। पीएम ने अपने कार्यक्रम छात्रों से अपील की कि एक सप्ताह में कम से कम एक दिन डिजिटल फास्टिंग करें। स्कूली बच्चों से खचाखच भरे दिल्ली के तालकटोरा स्टेडियम में पीएम मोदी ने छात्रों से कहा कि कहा कि बच्चों को एग्जाम के दौरान अपने विषयों की सही तरीके से तैयारी करनी चाहिए। उन्होंने कहा कि आपको खुद का विश्लेषण करना होगा।

उन्होंने कहा कि अपनी पसंद की चीजों में ज्यादा ध्यान देने की जगह बराबर समय बांटकर तैयारी करनी चाहिए। जो कम पसंद के विषय हैं उसे भी बराबर समय देने की जरूरत है। नहीं तो वो विषय बोझ लगने लगेंगे। आप तय कर लीजिए किसे 30 मिनट देना है। ऐसा ही स्लैब बना लीजिए तो आपको मुश्किल से मुक्ति मिलेगी। इस दौरान पीएम मोदी ने छात्रों को टाइम मैनेजमेंट के गुर भी सिखाए। उन्होंने इसके लिए मां का उदाहरण दिया। उन्होंने कहा कि मां लगातार घर में काम करती रहती है। 

उन्हें कोई भी काम बोझ नहीं लगता है। क्योंकि उसे मालूम है कि उसे कितने घंटे में कौन सा काम करना है। यही नहीं, अतिरिक्त समय में वे रिलैक्स भी कर लेती हैं। यानी इस दौरान कुछ और काम कर लेती हैं। पीएम मोदी ने कहा कि छात्रों को भी मां के कामों के जरिए अपनी टाइम मैनेजमेंट करना चाहिए। पीएम मोदी ने छात्रों को किसी समस्या से निपटने के लिए जरूरी टिप्स दिए। उन्होंने पतंग के धागे का उदाहरण देते हुए कहा कि जब पतंग का माझा फंस जाता है तो उसे धीरे-धीरे खोला जाता है। उन्होंने कहा कि वैसे ही जब कोई विषय में फंसते हैं तो उसके साथ जोर जबरदस्ती नहीं करनी है। बल्कि आराम से उसका निदान निकालना होगा उसे हल करना होगा। जैसे उलझने के बाद पतंग का माझा धीरे-धीरे खुल जाता है, वैसी ही आपकी समस्या भी सुलझ सकती है।