धरना दे रहे पहलवानों के साथ पुलिस को दिखानी होगी संवेदनशीलता

इस समय पूरे देश में दो ही मामले चर्चा में है। पहला कर्नाटक में हो रहे विधानसभा के चुनाव और दूसरा दिल्ली में धरना दे रहे अंतरराष्ट्रीय स्तर के पहलवान। कर्नाटक में तो राजनेता अपने अपने दांवपेच से जनता को अपनी ओर आकर्षित करने में जुटे हुए हैं।

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आशुतोष मिश्र

इस समय पूरे देश में दो ही मामले चर्चा में है। पहला कर्नाटक में हो रहे विधानसभा के चुनाव और दूसरा दिल्ली में धरना दे रहे अंतरराष्ट्रीय स्तर के पहलवान। कर्नाटक में तो राजनेता अपने अपने दांवपेच से जनता को अपनी ओर आकर्षित करने में जुटे हुए हैं। भारतीय जनता पार्टी के साथ कांग्रेस के वरिष्ठ नेता लगातार रैली कर अपने पक्ष में माहौल बनाने में लगे हुए हैं। वहीं देश की राजधानी दिल्ली में पिछले कुछ दिनों से धरना दे रहे पहलवानों के साथ बुधवार रात अचानक एक घटना ने सभी का ध्यान अपनी ओर आकर्षित किया।

दरअसल, सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद डब्ल्यूऍफ़आई के अध्यक्ष और भाजपा सांसद बृजभूषण शरण सिंह के खिलाफ दिल्ली पुलिस के एफआईआर दर्ज कर ली। एफआईआर दर्ज होने के बाद कायदे से पहलवानों का धरना समाप्त हो जाना चाहिए था। लेकिन धरने पर बैठे पहलवानों की मांग थी कि इस मामले में बृजभूषण शरण की गिरफ्तारी होनी चाहिए। पहलवानो का तर्क है कि यह महिला पहलवानों के यौन शोषण का मामला है और इसे सामान्य एफआईआर नहीं माना जाना चाहिए। वहीं दूसरी तरफ दिल्ली पुलिस का कहना था कि पहलवानों की मांग मान ली गई है। भाजपा सांसद के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर लिया गया है और दिल्ली पुलिस इस मामले में विस्तृत जांच कर कार्रवाई करेगी। पहलवानों के प्रतिनिधिमंडल ने यह बात नहीं मानी और वह लगातार धरना देने पर डटे हुए थे।

इसी बीच बुधवार रात पहलवानो और पुलिस के बीच झड़प की घटना हो गई। जिसकी वजह से लोगों का ध्यान बंट गया। इस घटना में दिल्ली पुलिस और पहलवानों के अपने-अपने तर्क हैं। कुछ पुलिसकर्मी नशे में थे.पहलवानों के प्रतिनिधिमंडल का कहना है कि दिल्ली पुलिस ने उनके साथ अमर्यादित व्यवहार करते हुए मारपीट की। दूसरी ओर दिल्ली पुलिस का कहना है कि वह धरना स्थल पर कानून व्यवस्था बनाए रखने के लिए लोगों को समझा रहे थे। लेकिन वहां पर जबरन धक्का-मुक्की के बीच पहलवानों से झड़प हो गई। नशे वाली बात बेबुनियाद है। इस मामले में 5 पुलिस कर्मचारी घायल हुए हैं। सभी पुलिस कर्मचारियों का मेडिकल करवाया गया है कोई भी मेडिकल कर्मचारी नशे की हालत में नहीं था।

महिला पहलवानों की ओर से सुप्रीम कोर्ट में दायर याचिका पर भी आज माननीय न्यायालय ने अपनी स्थिति स्पष्ट करते हुए इस केस को बंद कर दिया। सुप्रीम कोर्ट का स्पष्ट कहना था कि महिला पहलवानों की मांग मुकदमा दर्ज कराने की थी वह मान ली गई है। इसलिए अन्य किसी भी मांग के लिए महिला पहलवान हाईकोर्ट या उसक नीचे की अदालत में अपनी बात रख सकती हैं।

बुधवार को विवाद उस समय शुरू हुआ जब बारिश के बाद महिला पहलवानों के साथ उनके साथ बैठे अन्य पहलवानों के बिस्तर भीग गए और सड़क पर गीली हो गई। इसलिए पहलवान बेड लेकर धरना स्थल पर पहुंच गए। इसी बीच आम आदमी पार्टी के नेता सोमनाथ भारती भी बेड लेकर धरना स्थल पर पहुंचे। दिल्ली पुलिस का कहना है कि उन्होंने आम आदमी पार्टी के नेताओं को समझाने की कोशिश की. इस बीच हल्की सी झड़प हो गई इसके बाद सोमनाथ भारती समेत उनके समर्थकों को हिरासत में ले लिया गया। धरना स्थल पर कानून व्यवस्था बनाए रखने के लिए हमने सिर्फ थोड़ी सख्ती दिखाई। इस विवाद के बाद महिला पहलवानों ने बाकायदा प्रेस कॉन्फ्रेंस की उसमें महिला पहलवान संगीता फोगाट और साक्षी मलिक रोने लगी। उन्होंने हाथ जोड़कर अपने लिए मदद की अपील की। महिला पहलवानों का कहना था कि दिल्ली पुलिस ने हमसे बदतमीजी की और इसकी वजह से कई पहलवान घायल हो गए।

जबकि दिल्ली पुलिस का कहना है कि यहां कानून व्यवस्था कायम रखने के लिए आम आदमी पार्टी के नेताओं को रोका गया। हालांकि पहलवानों का कहना है कि उनका धरना आगे भी जारी रहेगा। लेकिन इस घटना से सबक लेने की जरूरत है कि इस मामले में दिल्ली पुलिस को संवेदनशीलता के साथ अगला कदम उठाना चाहिए। यह अंतरराष्ट्रीय स्तर के पहलवानों का मामला है जिन्होंने हमारे देश के लिए दिन-रात पसीने बहाकर पर मेडल जीते हैं।
 

First Updated : Thursday, 04 May 2023
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