चारो धाम यात्रा में मौसम ने डाली खलल, संभलकर निकलने की जरुरत

अगर आप चारधाम यात्रा पर जाने का प्लान बना रहे हैं। तो थोड़ा ठहरने की ज़रुरत है। वहां के हालत ठीक नहीं है। चारधाम यात्रा 22 अप्रैल को शुरू हुई। यात्रा के 25 दिन हो चुके हैं।

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आशुतोष मिश्र

अगर आप चारधाम यात्रा पर जाने का प्लान बना रहे हैं। तो थोड़ा ठहरने की ज़रुरत है। वहां के हालत ठीक नहीं है। चारधाम यात्रा 22 अप्रैल को शुरू हुई। यात्रा के 25 दिन हो चुके हैं। वहां पर अब करीब 8 लाख श्रद्धालु दर्शन कर चुके हैं। करीब 30 लाख रजिस्ट्रेशन अभी तक हो चुके हैं। खराब मौसम के कारण तीर्थयात्रियों को जगह-जगह रोका जा रहा है। इससे यात्रा के शेड्यूल गड़बड़ाने के साथ बजट पर विपरीत असर पड़ रहा है। यात्रा के दौरान कई श्रद्धालुओं को मजबूरी में दो-तीन बिच में रोका जा रहा है। गंगोत्री में करीब तीन किलोमीटर लंबी कतारें लगी है। यहां पर टोकन सिस्टम बनाया गया है। यात्रा पंजीकरण के लिए भी तीर्थयात्रियों को घंटों लाइन में लगना पड़ रहा है। आलम यह है कि लोगो को बीच में ही यात्रा छोड़कर लौटना पड़ रहा है। ऐसे में यात्रा के लिए निकल रहे यात्रियों को काफी सावधान रहने कि ज़रुरत है।

बद्रीनाथ की यात्रा में 6 घंटे अतिरिक्त लग रहे है। इसकी वजह से यात्रा का शेडूल गड़बड़ हो रहा है। जोशीमठ क्रॉस करने में 6 घंटे लग रहे हैं। जोशीमठ में आपदा प्रबंधन पर काम चल रहा है यहां आपदा प्रभावितों के कारण अधिकांश होटल फुल हैं। बद्रीनाथ में भी इसी तरह के हकात है। यहाँ होटल और धर्मशालाएं बुक हो चुकी हैं। ऐसा नहीं कि बद्रीनाथ या जोशीमठ में इस तरह के हालत हो। यमुनोत्री में भी हालत ख़राब है। यहाँ पहुँचाने के लिए 5 किमी का पैदल रास्ता है। भैरव मंदिर से आगे संकरे मार्ग पर घंटों इंतजार करना यात्रियों की मजबूरी बन गई है। सिर्फ जानकीचट्टी तक ही वाहन जा रहे हैं। इस यात्रा में पर्याप्त पार्किंग व्यवस्था न होने से लोगो को घंटो इंतज़ार करना पड़ रहा है।

चारो धाम यात्रा में सबसे कठिन केदारनाथ की यात्रा है। इस यात्रा में अभी तक पांच लोगो की मौत हो चुकी है। यहाँ पर मौसम काफी ख़राब है। इसका खामियाज़ा लोगो को यात्रा में भुगतना पड़ रहा है। कई लोगों की अत्यधिक सर्दी से तबीयत खराब हुई है। मौसम को देखते हुए प्रशसन ने पहले 17 मई तक पंजीकरण रोकने का प्लान बनाया था लेकिन सोमवार को इसे बढ़ा दिया गया। अब 24 मई तक पंजीकरण होगा। केदारनाथ के लिए सोनप्रयाग तक वाहन से पहुंचा जाता है। फिर पांच किमी दूरी तय कर गौरीकुंड पहुंचते हैं। गौरीकुंड से आगे केवल पैदल मार्ग है। यह दूरी 19 किमी है और सिर्फ पैदल का रास्ता है। गौरीकुंड काफी ऊंचाई पर स्थित है। समुद्र तल से लगभग 1,800 मीटर ऊँचा है। दोपहर में गौरीकुंड में अधिकतम तापमान 20 रहता है। इसकी वजह से यहाँ ठण्ड काफी पड़ती है।

श्रद्धालु 6 किमी पैदल यात्रा करके जंगलचट्टी पहुंचते हैं। 7 किमी चढ़ाई के बाद  रामबाड़ा आता है। यहां से 4 किमी की चढ़ाई यात्रियों को सबसे ज्यादा भारी पड़ रही है। यहां अमूमन बारिश और कोहरा रहता है। बर्फीली हवाएं ठिठुरन पैदा कर देती हैं जो कई बार जानलेवा साबित होती है। गौरीकुंड से केदारनाथ का रास्ता बहुत संकरी घाटी से गुजरता है। यहां अमूमन रोज बारिश होती है। कई बार तापमान शून्य डिग्री तक पहुंच जाता है। इसके बाद यात्रियों की असली अग्नि परीक्षा शुरू होती है। क्योंकि, इसी हालत में उन्हें दर्शन के लिए घंटों लाइन में लगकर अपनी बारी का इंतज़ार करना होता है।

ऐसे हालत में चार धाम की यात्रा काफी मुश्किल होता है। अधिकांश लोग गर्मी की छुट्टी शुरू होने पर यात्रा के लिए अपना प्लान बना लेते है। इस बार करीब 30 लाख श्रद्धालुओ के दर्शन करने की उम्मीद है। इनमे करीब 8 लाख लोग दर्शन कर चके है। अगर इसी रफ़्तार से दर्शन करने वालो की संख्या बढती रही तो आने वाले दिनों में इस यात्रा में परेशानिया बढ़ सकती है। इसलिए लोगो को यात्रा का प्लान बनाने से पहले यहाँ की सहूलियतों को जान लेना चाहिए।

First Updated : Wednesday, 17 May 2023
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