कौन थे तानसेन से भी ज्यादा सुरीले गायक, जिनका गांधी जी को भी करना पड़ा था इंतेजार
Bade Ghulam Ali Khan: बड़े गुलाम अली खान के अनगिनत किस्से हैं. आज उनकी जन्मदिन के मौके पर हम आपको कुछ दिलचस्प कहानियां सुनाने जा रहे हैं.
Bade Ghulam Ali Khan: हिंदुस्तान में एक से बढ़कर एक संगीतकार हुए हैं. अनगिनत ऐसे संगीतकार हैं जिनके नाम लेने से पहले कुछ लोग इज्ज़त में कानों को हाथ लगाते हैं. इनमें सबसे बड़ा नाम है बड़े गुलाम अली खां साहब (Bade Ghulam Ali Khan Sahab) का. इनका जन्म साल 2 अप्रैल 1902 को बाबा बुल्ले शाह के शहर कसूर में हुआ था. गुलाम अली खां साहब को लेकर कहा जाता है कि यह दरवेश किस्म के सिंगर थे जो जंगलों में भी चले गए थे. शायद यही कारण था कि बड़े गुलाम अली साहब फिल्मों के लिए गाना नहीं गाया करते थे.
हालांकि जब 60 के दशक में के.आसिफ मुग़ले आजम बना रहे थे तो उनकी यह 'कसम' भी टूट गई. दरअसल जब फिल्म बन रही थी तो फिल्म के संगीतकार नौशाद ने डायरेक्टर के. आसिफ से कहा कि एक सीन के लिए तानसेन की आवाज की जरूरत है. अब उस वक्त तानसेन तो थे नहीं. ऐसे में के. आसिफ ने कहा कि आज के दौर के तानसेन यानी बड़े गुलाम अली खां साहब से संपर्क करना चाहिए. हालांकि जब के आसिफ ने फिल्म गाने के लिए कहा तो उन्होंने अन्य डायरेक्टर की तरह के आसिफ को भी गाने से इनकार कर दिया.
कुछ जगहों से पता चला है कि बड़े गुलाम अली खां साहब फिल्मी संगीत को अपने कद का नहीं मानते थे. लेकिन कहा जाता है कि के आसिफ के बार-बार कहने के बाद खान साहब ने इतनी कीमत बताई जो उस वक्त के हिसाब से बिल्कुल भी मुनासिब नहीं थी. दरअसल जिस समय रफी और लता मंगेशकर जैसे दिग्गज सिंगर 500 रुपये में गाना गाते थे उस वक्त गुलाम अली खान साहब ने 25000 रुपये गाने के मांगे थे. हैरानी तो तब हुई जब के आसिफ ने उन्हें 25000 रुपये गाने के दिए. क्योंकि के आसिफ जब यह फिल्म बना रहे थे तो किसी भी तरह कंजूसी नहीं कर रहे थे. वो फिल्म को बेहतर बनाने के लिए हर तरह की कुर्बानी दे रहे थे. यही कारण है कि फिल्म की शूटिंग कई पार्ट में हुई. क्योंकि पैसा ही खत्म हो जाता था.
बड़े गुलाम अली खां साहब का एक और किस्सा काफी मशहूर है जो महात्मा गांधी को लेकर है. दरअसल आजादी के बाद एक प्रोग्राम में गांधी जी देश के संबोधित करते हुए प्रार्थना करानी थी. इस प्रोग्राम में गांधी जी के भाषण से पहले बड़े गुलाम अली खां साहब को भी अपनी कला प्रदर्श करना था. प्रोग्राम अपने तय समय के हिसाब से चल रहा था लेकिन गुलाम अली खां हैं कि अभी तक पहुंचे ही नहीं थे. क्योंकि वो मुंबई के ट्रेफिक में फंस गए थे. यहां पर गांधी जी समेत सभी लोगों ने उनका इंतेजार किया.
हालांकि देर से ही सही बड़े गुलाम अली खां साहब प्रोग्राम में पहुंचे और सभी ने तालियां बजाकर स्वागत किया. साथ ही महात्मा गांधी जी ने बड़े गुलाम अली खां साहब पर कई कटाक्ष भी किए. बताया जाता है कि बड़े गुलाम अली खां साहब अपनी इस गलती के लिए काफी शर्मिंदा भी थे. बड़े गुलाम अली खान साहब ने यहां भजन भी गाए थे. गांधी जी ने उनके भजन सुनने को लेकर कहा था कि मैं संगीत के बारे में ज्यादा तो नहीं जानता लेकिन अगर तानसेन जी का रिकॉर्ड किया जाता तो शायद वो भी आपके जितने सुरीले ना होते. यहां यह बात ध्यान देने योग्य है कि तानसेन की आवाज रिकॉर्ड नहीं किया गया है.