दुश्मन के हमले से पहले देगा वार्निंग

दुश्मन के हमले से पहले देगा वार्निंग

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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भारत हर क्षेत्र में झंडा बुलंद कर रहा है। खासकर मोदी सरकार की रक्षा और विदेश नीतियों की तो पूरे विश्व में तारीफ हो रही है। 3 अक्टूबर 2022 भारतीय सेना के लिए बेहद खास दिन माना जाएगा। पीएम मोदी का सपना है शक्तिशाली भारत और इस दिशा में उनकी सोच और प्लानिंग का जवाब नहीं है। कितनी खुशी की बात है कि भारत ने 22 साल पहले जो सपना देखा था, वो अब पूरा हो गया है। एयरफोर्स के बेड़े में पहली बार अपने देश में बना लड़ाकू हेलिकॉप्टर शामिल हो गया है।

खास बात यह है कि हल्के लड़ाकू हेलिकॉप्टर की पहली स्क्वाड्रन की तैनाती जोधपुर में की जाएगी। इसकी सबसे बड़ी विशेषता यह है कि हवा से हवा में और हवा से जमीन पर गोलियों से लेकर मिसाइल तक दाग सकता है। दुश्मन के हमले पर यह पायलट व गनर को अलर्ट भी कर देगा। 1999 में कारगिल युद्ध के दौरान सेना को अधिक ऊंचाई वाले स्थान पर हमला करने वाले हेलिकॉप्टरों की बहुत कमी महसूस हुई थी। यदि उस दौर में ऐसे हेलिकॉप्टर होते तो सेना पहाड़ों की चोटी पर बैठी पाक सेना के बंकरों को उड़ा सकती थी। दरअसल, भारतीय सेना को 3 खासियतों वाला हेलिकॉप्टर चाहिए था। पहली खासियत ज्यादा से ज्यादा हथियार के साथ गोला-बारूद का भार उठा सके। दूसरी विशेषता इसमें पर्याप्त फ्यूल हो ताकि अधिक समय तक हवा में रह सके। तीसरी खासियत रेगिस्तान की गर्मी के साथ ही हिमालय के बहुत ऊंचाई वाली पहाड़ियों पर पड़ने वाली कड़ाके की सर्दी में एक जैसी पॉवर हो। भारत को मिला स्वदेशी लड़ाकू हेलिकॉप्टर की सबसे महत्वपूर्ण क्षमता यह है कि हर मिनट 750 गोलियां दागता है और इसकी खासियतों की वजह से ही रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने इसे प्रचंड नाम दिया है। निसंदेह इससे एयरफोर्स की ताकत में जबरदस्त इजाफा हुआ है। यह भी बड़ी बात है कि नवरात्रि में अष्टमी के दिन प्रचंड एयरफोर्स के बेड़े में शामिल हुआ। राजनाथ सिंह ने इस हेलिकॉप्टर में उड़ान भरी। यह भी सच है कि प्रचंड को वायुसेना में शामिल करने के लिए नवरात्रि से अच्छा समय और राजस्थान की धरती से अच्छी जगह नहीं हो सकती है। यह भारत का विजय रथ है। प्रचंड सारी चुनौतियों पर खरा उतरा है। दुश्मनों को आसानी से चकमा दे सकता है। इसमें भी दोराय नहीं कि इसके नाम के साथ भले ही लाइट जुड़ा हो, लेकिन इसका काम भारी है।

रक्षा मंत्री की मौजूदगी में ऐसे 10 हेलिकॉप्टर आज वायु सेना में शामिल किए गए। प्रचंड को 22 सालों की मेहनत के बाद हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड ने तैयार किया है। इसे आज जोधपुर एयरबेस पर सलामी दी गई। प्रचंड स्क्वाड्रन के लिए 15 पायलट को ट्रेनिंग दी गई है। आज इन हेलिकॉप्टर्स ने उड़ान भी भरी। एक में रक्षा मंत्री भी बैठे थे। यह हेलिकॉप्टर तपते रेगिस्तान, बर्फीले पहाड़ों समेत हर कंडीशन में दुश्मनों पर हमला करने का माद्दा रखता है। इसकी कैनन से हर मिनट में 750 गोलियां दागी जा सकती हैं। यह एंटी टैंक और हवा में मारने वाली मिसाइलों से भी लैस किया जा सकता है। रेगिस्तान की तपती गर्मी और बर्फीले पहाड़ों पर इसका सफल ट्रायल किया जा चुका है। इस कमी को दूर करने का बीड़ा उठाया एक्सपट्‌र्स ने और हिन्दुस्तान एयरोनोटिक्स लिमिटेड (एचएएल) परिसर में इसका निर्माण करने की चुनौती ली। सेना व एयरफोर्स की आवश्यकताओं के मुताबिक डिजाइन तैयार की गई और इस प्रोजेक्ट पर काम शुरू किया गया। 2004 में पहली बार सेना को बताया गया कि वह अपने यूटिलिटी हेलिकॉप्टर ध्रुव के फ्रेम पर हल्का लड़ाकू हेलिकॉप्टर बनाने पर काम कर रहा है। प्रचंड के जोधपुर सिलेक्शन के पीछे कई कारण हैं, लेकिन इनमें सबसे प्रमुख है पाकिस्तान बॉर्डर। दरअसल, अमेरिका निर्मित लड़ाकू हेलिकॉप्टर अपाचे की यूनिट कश्मीर क्षेत्र में पठानकोट में तैनात है। वहीं, इस साल जून में सेना को मिले हल्के लड़ाकू हेलिकॉप्टर की यूनिट को अगले साल की शुरुआत में बेंगलुरु से सटे चीन बॉर्डर के पास तैनात कर दिया जाएगा। ऐसे में पश्चिमी सीमा (राजस्थान) पर लड़ाकू हेलिकॉप्टर की कमी महसूस हो रही थी। इधर,जोधपुर सबसे पुराना एयरबेस है। इसलिए तय किया गया कि प्रचंड की पहली स्क्वाड्रन जोधपुर में तैनात की जाए। इस बात से कोई इंकार नहीं कर सकता कि राजस्थान में स्क्वाड्रन मिलने के बाद अपाचे और प्रचंड दोनों बॉर्डर को आसानी से दुश्मनों को मुंहतोड़ जवाब देंगे।

First Updated : Monday, 03 October 2022