Bombay High Court: कोर्ट को लेकर हमारे मन में बहुत विश्वास होता है. आम जनता को लगता है कि कोई परेशानी है तो उसकी सुनवाई या हक दिलाने में कोर्ट हमारा साथ देगा. ये विश्वास होना भी चाहिए, क्योंकि कोर्ट सबके लिए बराबर होता है. हाल ही में बॉम्बे हाईकोर्ट ने इसकी एक मिसाल पेश की है. 15 अगस्त को राष्ट्रीय अवकाश के मौके पर भी कोर्ट ने एक सुनवाई की. जिसकी वजह से एक छात्र को इंजीनियरिंग में दाखिला मिल गया.
15 अगस्त को होता है नेशनल हॉलिडे
किसी भी भी कोर्ट का सुनवाई करना आम बात होती है, लेकिन बॉम्बे हाईकोर्ट के चर्चा में होने की वजह कुछ खास है. दलअसल 15 अगस्त को नेशनल हॉलिडे होता है, इस दिन सारे सरकारी कामों के साथ साथ प्राइवेट काम भी ज़्यादातर बंद ही रहते हैं. ऐसे में छात्र के इंजीनियर बनने के सपने को पूरा करने के लिए बॉम्बे हाईकोर्ट ने इसी दिन सुनवाई की.
क्या था मामला?
गौरव वाघ नाम के एक आदिवासी छात्र की जाति जांच समिति ने अनुसूचित जनजाति (एसटी) प्रमाण पत्र को रद्द कर दिया था. जिसकी वजह से उनके दाखिले में दिक्कत आ रही थी. जल्द से जल्द गौरव को अपना प्रमाण पत्र इंजीनियरिंग के दाखिले के लिए चाहिए था. इसके बिना दाखिला नहीं हो पाता. इसी मामले पर सुनवाई करते हुए कोर्ट ने जाति जांच समिति के फैसले को खारिज कर दिया.
16 अगस्त थी लास्ट डेट
गौरव वाघ को इंजीनियरिंग में एडमिशन लेने के लिए 16 अगस्त तक अपना जाति प्रमाण पत्र देना था. इस बीच 15 अगस्त को छुट्टी आ गई, अगर इस दिन कोर्ट सुनवाई नहीं करता तो उस छात्र का एडमिशन केंसिल हो जाता. जब सारा देश आज़ादी के जश्न में डूबा था तबी गौरव के भविष्य को देखते हुए ही बॉम्बे हाईकोर्ट ने
फैसला सुनाया.
कोर्ट ने क्या कहा?
कोर्ट ने सुनवाई के दौरान कहा कि ''पिता आदिवासी है और बेटा समिति के फैसले के कारण गैर-आदिवासी बन गया है, जो एक ऐसी स्थिति है जिसे बर्दाश्त नहीं किया जा सकता है, उनके प्रमाण पत्र को खारिज करना ठीक नहीं था.'' First Updated : Friday, 18 August 2023