Shamshad Begum: कभी बुर्का पहनकर गाना गाती थी ये मुस्लिम सिंगर, गंदगी की वजह से छोड़ा बॉलीवुड

आज हम आपको एक भारतीय मुस्लिम गायिका के बारे में बताने जा रहे हैं जो बुर्का पहनकर गाना गाती थी. वह अपने जमाने की मशहूर सिंगर थी जो अपनी विशिष्ट आवाज और रेंज के लिए जानी जाती थी. आज उनका बर्थ एनिवर्सरी है तो चलिए इस मौके पर उनके बारे में जानते हैं.

Deeksha Parmar
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'सैया दिल में आना रे' इस गाने का नया वर्जन तो आपने सुना होगा लेकिन शायद ही इसका पूराना वर्जन सूना होगा क्योंकि ये गाना काफी पुराना है. इस गाने को एक मुस्लिम सिंगर ने गाया था. ये वहीं सिंगर है जो बूर्के पहनकर सिंगीगी करती थी लेकिन बाद में उन्हें बॉलीवुड का रहन सहन पसंद नहीं और गायिका छोड़ने का फैसला ले लिया.

हम बात कर रहे हैं भारतीय सिंगर शमशाद बेगम की जो पहली ऐसी गायिका थी जिन्होंने दूसरे एक्टर को अपनी आवाज दी. दरअसल, पहले एक्टर खुद सिंगिंग करते थे और खुद ही एक्टिंग करते थे. तो चलिए शमशाद बेगम के बारे में कुछ दिलचस्प बाते जानते हैं.

कौन है शमशाद बेगम

शमशाद बेगम एक भारतीय गायिका थीं जो हिंदी फिल्म उद्योग के पहले पार्श्व गायकों में से एक थीं. उनका जन्म 14 अप्रैल 1919 को लाहौर, ब्रिटिश भारत में हुआ था. वह सीमित साधनों वाले एक रूढ़िवादी पंजाबी मुस्लिम परिवार में पैदा हुई थी. शमशाद बेगम अपने अपनी विशिष्ट आवाज और रेंज के लिए आज भी जानी जाती है. उन्होंने उस समय के प्रसिद्ध संगीतकारों, जैसे नौशाद अली और ओपी नैय्यर के साथ काम किया है.  बेगम की प्रतिभा को पहली बार उनके प्रिंसिपल ने देखा जब वह 1924 में प्राथमिक विद्यालय में थीं. 10 साल की उम्र में, उन्होंने धार्मिक समारोहों और पारिवारिक विवाहों में लोक-आधारित गीत गाना शुरू कर दिया था. हालांकि इस दौरान उन्हें कई संघर्षों का सामना करना पड़ा था.

पिता ने रखी गायिकी के लिए ये शर्त

शमशाद बेगम एक कंजरवेटिव फैमिली से थी. जब उनके पिता को पता चला कि उन्हें कोई कंपोजर ने गाना गाने के लिए ऑफर दिया है तो उन्होंने अपनी बेगम के सामने एक शर्त रख दी. बेगम के पिता ने शर्त रखी की जब वह गाना गाए तो बुर्का पहन के गाए. इसके अलावा उन्होंने ये भी कहा कि वह जहां गाना गाएंगी वहां कोई कैमरा न हो और न ही उनकी कोई फोटो खींचे. यहीं वजह है कि शमशाद बेगम की फोटो गाना गाते समय की एक भी नहीं है. शमशाद ने ताउम्र  अपने पिता शर्तों को ध्यान में रखते हुए गायकी की.

हिंदू लड़के से हुआ था प्यार

गाने के सिलसिले में शमशाद का बाहर आना जाना लगा रहता था. इसी दौरान वह एक हिंदू लड़के को अपना दिल दे बैठी. इस लड़के के नाम था गणपत लाल बट्टू जो उनके गाने शौक से सुनते थे.  एक दिन दोनों की बात शुरू हुई और फिर दोस्ती हुई. लेकिन ये दोस्ती कुछ ही दिनों बाद प्यार में बदल गया. बता दें कि दोनों के धर्म में ही नहीं बल्कि उम्र में भी बड़ा फासला था. बेगम के परिवार वाले दोनों के रिश्ते से काफी नाराज हुए लेकिन बावजूद इसके दोनों ने शादी कर ली. हालांकि दोनों अपने -अपने धर्म को तवज्जो देते थे.

गंदगी की वजह से छोड़ी बॉलीवुड

साल 1965 में शमशाद ने हमेशा के लिए बॉलीवुड इंडस्ट्री को अलविदा कह दिया. हालांकि, उनके आवाज की लोकप्रियता देख ऑफिशियली रिटायरमेंट के बाद भी कई कंपोजर उसके घर पहुंच जाते थे. जब शमशाद से सालों बाद फिल्म इंडस्ट्री छोड़ने के बारे में पुछ तो उन्होंने बताय कि बॉलीवुड इंडस्ट्री में बहुत गंद हो गई है. वह इंडस्ट्री को इतना गंदा समझती थी कि उन्होंने अपनी बेटी को इस प्रोफेशन से दूर रखा.

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14 April 2024, 10:27 AM IST

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