मां के दूध से शिशु का पेट भरा है या नहीं, इन चीजें पर करें गौर करने से चलेगा पता

नवजात शिशु का विकास और पोषण मां के दूध पर निर्भर होता है। क्योंकि मां के दूध में वो सारे पोषक तत्व होते हैं जो बच्चे की ग्रोथ के लिए जरूरी होते हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन के मुताबिक 6 महीने की आयु तक बच्चों को पूरी तरह से मां

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नवजात शिशु का विकास और पोषण मां के दूध पर निर्भर होता है। क्योंकि मां के दूध में वो सारे पोषक तत्व होते हैं जो बच्चे की ग्रोथ के लिए जरूरी होते हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन के मुताबिक 6 महीने की आयु तक बच्चों को पूरी तरह से मां का दूध ही पिलाना चाहिए।  मां का दूध हल्का होता है और इससे पेट की गड़बड़ियों की आशंका नहीं होती। लेकिन कई बार पेरेंट्स परेशान रहते हैं कि उसके बच्चे का पेट भर गया है कि नहीं। इसके लिए आप अगर कुछ चीजों पर ध्यान देंगे तो पता लगा सकते हैं।

चिडचिडापन

अगर आपका शिशु भूखा है तो आपको उसमें चिडचिड़ापन नजर आएगा। इसके अलावा अगर शिशु का डायपर कम गीला हो रहा है तो भी बच्चे के ठीक से दूध नहीं पीने का एक संकेत हो सकता है।   

सुस्‍त बच्चा

दूध पीने के बाद शिशु का पेट भरा हुआ होता है तो वो पूरी तरह से एक्‍ट‍िव नजर आएगा। लेकिन शिशु अगर सुस्त नजर आ रहा है तो उसका पेट भरा नहीं है।

मुंह सूखना

किसी भी शिशु की आंख और मुंह में अगर सूखापन नजर आ रहा है, तो ये डिहाईड्रेशन का संकेत हैं। इसका मतलब है कि शिशु को पर्याप्‍त दूध नहीं मिल पा रहा है।

बढ़ता वजन

अगर शिशु का वजन ठीक तरह से बढ़ रहा है तो चिंता की बात नहीं है। इसका मतलब है कि उसका का पेट भर रहा है और वो पर्याप्‍त मात्रा में दूध का सेवन कर रहा है।

आवाज

स्‍तनपान के दौरान अगर मां को शिशु के दूध का घूंट भरने की आवाज सुनाई दे तो समझ जाएं कि वो दूध पी रहा है। इसके अलावा शिशु के दूध पीने के बाद मां को हल्‍कापन भी महसूस होगा।

First Updated : Monday, 03 October 2022