Ramadan Poetry: मुसलमानों का सबसे पवित्र महीना रमज़ान आज से शुरू हो जाएगा. पूरे महीने में मुसलमानों को रोज़े रखने का हुक्म दिया गया है और अल्लाह की ज़्यादा से ज़्यादा से इबादत करने का हुक्म दिया है. सभी मुसलमान रोज़े रखते हैं, नमाज़ और क़ुरआन पढ़ते हैं. रमज़ान का चाँद नज़र आने के बाद लोग एक दूसरे को मुबारकबाद पेश करते हैं. आज रमज़ान का चाँद दिखाई देगा. ऐसे में हम आपको कुछ ऐसे शेर देने जा रहे हैं जो आपको किसी को मुबारकबाद पेश करते इस्तेमाल कर सकते हैं. पढ़िए
फिर सोच के ये सब्र किया अहल-ए-हवस ने
बस एक महीना ही तो रमज़ान रहेगा
फ़रहत एहसास
ये मेरा पहला रमज़ान था उस के बग़ैर
मत पूछो किस मुँह से रोज़े खोले हैं
तहज़ीब हाफी
'शाहिद' से कह रहे हो कि रोज़े रखा करे
हर माह जिस का गुज़रा है रमज़ान की तरह
सरफ़राज़ शाहिद
मैं हूँ रोज़ा तो फिर इफ़्तार तू है
महीना मैं अगर रमज़ान का तो
चन्द्र शेखर वर्मा
हम काफ़िरों ने शौक़ में रोज़ा तो रख लिया
अब हौसला बढ़ाने को इफ़्तार भी तो हो
भारत भूषण पन्त
ऐ चांद उनको मेरा पैगाम कहना
खुशी का दिन और हंसी की हर शाम कहना
जब वो देखे बाहर आकर तो
उनको मेरी तरफ से मुबारक हो रमजान कहना
चांद से रोशन हो रमज़ान तुम्हारा
इबादत से भरा हो रोज़ा तुम्हारा
हर दुआ और नमाज़ कबूल हो तुम्हारी
यही अल्लाह से है दुआ हमारी
First Updated : Monday, 11 March 2024