Apara Ekadashi 2023: क्यों मनाई जाती है अपरा एकादशी, क्या है इसके पीछे का रहस्य

Apara Ekadashi 2023: इस बार की अचला एकादशी 15 मई 2023 को मनाई जा रही है। साथ ही हिंदू पंचाग के अनुसार ज्येष्ठ मास की कृष्ण पक्ष की एकादशी को अपरा एकादशी मनाई जाती है।

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Apara Ekadashi 2023: इस एकादशी को दो नामों से पुकारा जाता है पहला अपरा एकादशी और दूसरा अचला एकादशी इन दोनों ही नामों से इस एकादशी को जाना जाता है।इस साल की अचला एकादशी 15 मई 2023 को मनाई जायेगी।मान्यताओं के अनुसार कहा जाता है कि इस दिन भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की पूजा अर्चना की जाती है।इसके साथ ही जो लोग अपरा एकादशी को मनाते हैं।

ऐसे लोगों को व्रत रखना भी बेहद जरूरी माना जाता है। शास्त्रों के अनुसार सनातन धर्म में एकादशी तिथि का विशेष महत्व दिया जाता है।ऐसा माना जाता है कि जो पुरुष या महिला इस एकादशी को मनाते हैं उन सभी लोगों की भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी मनोकामना पूरी करते हैं। इसके साथ ही इस दिन तुलसी की पूजा करने का भी विधान माना गया है।

पुरातन काल में महीध्वज नाम का एक राजा था। वह राजा बहुत ही तेजस्वी और धार्मिक प्रवृर्ति का का था। महीध्वज का एक भाई भी हुया करता था। जिसका नाम वज्रध्वज रखा गया था। दोनों ही भाईयों का स्वभाव एक दम अलग हटकर था। वह असुर प्रवर्ति का था इसीलिए उसे महीध्वज के धर्म-ध्यान में लीन रहना खटकता था।

वह हमेशा अपने भाई के बारे में बुरा ही सोचा करता था। साथ ही उसका नाश करने का एक भी मौका नहीं छोड़ता था। एक बार कई दिनों के बाद उसे एक मौका मिला जिसमें उसने अपने भाई का वध कर दिया। किसी को इस बात कोई जानकारी नहीं हो इसीलिए उसने राजा महीध्वज का शव पीपल के पेड़ के नीचे गाड़ दिया।

मारने के बाद राजा महिध्वज की आत्मा को मुक्ति नहीं मिली वह उसी पीपल के पेड़ पर रहने लगी।उसके कुछ दिनों बाद राजा महिध्वज की आत्मा आते-जाते लोगों को भी परेशान करने लगी। जिसके चलते लोगों ने उसे भूतिया पेड़ घोषित कर दिया। एक बार महिध्वज की आत्मा ने ऋषि को भी परेशान कर दिया।

ऋषि ने राजा ने कहा कि तम्हें तुच्छ काम करना शोभा नहीं देता तभी राजा की आत्मा ने जबाव दिया कि हे ऋषिवर इसमें मेरी कोई गलती नहीं है मुझे मरने के मुक्ति नही मिली है। इस समस्या से मुक्ति पाना चाहता हूं कृपा आप मुझे बताएं।

तब ऋषि ने राजा महीध्वज की आत्मा को शांति दिलाने के लिए अपरा एकादशी का व्रत रखा, उस दिन उन्होंने भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की पूजा की तभी से इस एकादशी की शुरूआत होने लगी।

First Updated : Friday, 12 May 2023