जानिए कब है ज्येष्ठ माह का पहला प्रदोष व्रत, शुभ मुहूर्त और पूजा विधि

ज्येष्ठ माह के त्रयोदशी तिथि के दिन प्रदोष व्रत रखा जाता है। इस व्रत को हिंदू धर्म में बहुत ही महत्वपूर्ण माना गया है। तो चलिए जानते है इस साल के ज्येष्ठ माह का पहला प्रदोष व्रत कब है।

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हिंदू धर्म में भगवान शंकर की उपासना के लिए सोमवार का दिन  महत्वपूर्ण माना जाता है। लेकिन इसके अलावा भी कई ऐसे तिथि है जिस दिन व्रत करने से भगवान शंकर का विशेष आशीर्वाद प्राप्त होता है।आपको बता दें कि प्रदोष व्रत हर महीने की त्रयोदशी तिथि के दिन रखा जाता है।

धार्मिक मान्यता के अनुसार, इस खास दिन पर भगवान शंकर की उपासना करने से साधक को सुख समृद्धि और ऐश्वर्य की प्राप्ति होती है। तो आइए जानते है, ज्येष्ठ माह का पहला प्रदोष व्रत कब है और पूजा का शुभ मुहूर्त का समय क्या है।

कब है प्रदोष व्रत-

हिंदी पंचांग के अनुसार ज्येष्ठ माह के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि का शुभारंभ 16 मई को रात्रि 11 बजकर 36 मिनट से होगा जो अगले दिन यानी 17 मई को रात्रि 10 बजकर 28 मिनट पर समाप्त होगी। ऐसे में यह व्रत 17 मई 2023, दिन बुधवार के दिन रखा जाएगा। इस दिन मासिक शिवरात्रि भी मनाई जाएगी।

प्रदोष व्रत पूजा का शुभ मुहूर्त- 

बुधवार को बुध प्रदोष व्रत 2023 रखा जाएगा। वैदिक पंचांग के अनुसार बुध प्रदोष व्रत का शुभ मुहूर्त शाम 07 बजकर 06 मिनट से रात्रि 09 बजकर 10 मिनट तक रहेगा। इस खास दिन पर आयुष्मान योग भी बन रहा है जो रात्रि 9 बजकर 18 मिनट तक रहेगा। मान्यता है कि जो भी व्यक्ति आयुष्मान योग में आध्यात्मिक कार्य करता है उसे विशेष लाभ प्राप्त होता है।

बुध प्रदोष व्रत पूजा विधि-

इस दिन सूर्योदय से पहले उठकर स्नान आदि से निवृत होकर स्वच्छ कपड़े पहने और व्रत रखने का संकल्प लें।

सुबह भोलेनाथ का अभिषेक करे और रोज की तरह सामान्य पूजा करें।

प्रदोष व्रत में शाम के समय शिव जी की पूजा करना उत्तम माना जाता है।

संध्याकाल में पून: स्नान के बाद सफेद वस्त्र पहने, उसके बाद पूजा स्थान को गाय के गोबर से लीपे ताकि स्थान पवित्र हो जाए। उसके बाद सबसे पहले गौरी गणेज की पूजा करें, उसके बाद महादेव को पंचामृत से अभिषेक करें, साथ ही महामृत्युंजय मंत्र का जाप करते रहें।

उसके बाद शिव जी को जनेऊ, भांग, धतूरा, भस्म, अक्षत, गुलाल, कलावा, इत्र, बेलपत्र, श्वेत चंदन, आंक के फूल, पान सुपारी और शिवामुट्ठी आदि अर्पित करें और चौमुखी दीया से भगवान शिव का आरती करें। 

First Updated : Friday, 12 May 2023