दिल्लीः एम्स के बाद आईसीएमआर पर हुआ था साइबर अटैक

एम्स-दिल्ली की ऑनलाइन सेवाएं रैंसमवेयर हमले से अपंग होने के लगभग एक सप्ताह बाद इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (आईसीएमआर) की वेबसाइट को 30 नवंबर को 24 घंटों के दौरान हैकिंग के लगभग 6,000 प्रयासों का सामना करना पड़ा। एक सरकारी अधिकारी ने कहा कि आईसीएमआर की वेबसाइट पर हैकिंग के प्रयास कथित तौर पर हांगकांग से आने वाले आईपी से किए गए थे।

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रिपोर्ट। मुस्कान

नई दिल्ली। एम्स-दिल्ली की ऑनलाइन सेवाएं रैंसमवेयर हमले से अपंग होने के लगभग एक सप्ताह बाद इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (आईसीएमआर) की वेबसाइट को 30 नवंबर को 24 घंटों के दौरान हैकिंग के लगभग 6,000 प्रयासों का सामना करना पड़ा। एक सरकारी अधिकारी ने कहा कि आईसीएमआर की वेबसाइट पर हैकिंग के प्रयास कथित तौर पर हांगकांग से आने वाले आईपी से किए गए थे।

एक आधिकारिक बयान में कहा गया कि 30 नवंबर को हैकिंग का प्रयास किया गया। लेकिन आईसीएमआर की वेबसाइट सुरक्षित है। साइट को राष्ट्रीय सूचना विज्ञान केंद्र (एनआईसी) डाटा सेंटर में होस्ट किया गया है। फ़ायरवॉल एनआईसी से है और इसे नियमित रूप से अपडेट किया जाता है। एनआईसी को साइबर हमले के बारे में ईमेल के माध्यम से सूचित किया गया था और उसने रिपोर्ट दी थी कि हमले को रोक दिया गया था।

एम्स दिल्ली के सर्वर 10 दिनों से अधिक समय से डाउन थे, जिससे हमले की गंभीरता का पता चलता है जिससे अस्पताल में कई सेवाएं प्रभावित हुईं। वहीं 4 दिसंबर को दिल्ली के सफदरजंग अस्पताल, जो एम्स के सामने हैं। उसे भी साइबर हमले का सामना करना पड़ा, लेकिन नुकसान एम्स पर हुए हमले की तुलना में उतना गंभीर नहीं था।

सफदरजंग अस्पताल के चिकित्सा अधीक्षक डॉ. बीएल शेरवाल ने बताया था कि एक साइबर हमला हुआ था। हमारा सर्वर भी नवंबर में एक दिन के लिए डाउन था, लेकिन डेटा सुरक्षित था। इसे आईटी, राष्ट्रीय सूचना विज्ञान केंद्र (एनआईसी) द्वारा नियंत्रित किया गया था, जिसने सिस्टम को पुनर्जीवित किया।

डॉ शेरवाल ने आगे कहा था कि साइबर हमला रैंसमवेयर नहीं था। अस्पताल के एक अन्य अधिकारी ने कहा कि आईपी ब्लॉक कर दिया गया था।

First Updated : Tuesday, 06 December 2022