Maharashtra: टायर फटना एक्ट ऑफ गॉड नहीं, बॉम्बे हाईकोर्ट ने बीमा कंपनी को दिया मुआवजा देने का आदेश

बॉम्बे हाईकोर्ट ने सड़क दुर्घटना के एक मामले पर सुनवाई करते हुए कहा कि टायर फटना एक्ट ऑफ गॉड नहीं, बल्कि मानवीय लापरवाही है। दरअसल, एक बीमा कंपनी ने सड़क दुर्घटना में मारे गए एक व्यक्ति के परिवार को मुआवजा देने के खिलाफ कोर्ट में याचिका दायर की थी। कोर्ट ने याचिका को खारिज करते हुए बीमा कंपनी को सड़क दुर्घटना में मारे गए व्यक्ति के परिजनों को मुआवजा देने का आदेश दिया है।

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बॉम्बे हाईकोर्ट ने सड़क दुर्घटना के एक मामले पर सुनवाई करते हुए कहा कि टायर फटना एक्ट ऑफ गॉड नहीं, बल्कि मानवीय लापरवाही है। दरअसल, एक बीमा कंपनी ने सड़क दुर्घटना में मारे गए एक व्यक्ति के परिवार को मुआवजा देने के खिलाफ कोर्ट में याचिका दायर की थी। कोर्ट ने याचिका को खारिज करते हुए बीमा कंपनी को सड़क दुर्घटना में मारे गए व्यक्ति के परिजनों को मुआवजा देने का आदेश दिया है।

जस्टिस एसजी डिगे की सिंगल पीठ ने न्यू इंडिया एश्योरेंस कंपनी लिमिटेड की मोटर एक्सिडेंट क्लेम्स ट्रिब्यूनल के 2016 के एक फैसले के खिलाफ दायर याचिका को खारिज कर दिया। ट्रिब्यूनल ने पीड़ित मकरंद पटवर्धन के परिवार को 1.25 करोड़ रुपये का भुगतान करने का आदेश दिया था। इस आदेश के खिलाफ बीमा कंपनी बॉम्बे हाईकोर्ट पहुंची जहां जस्टिस एसजी डिगे ने कंपनी की अपील को खारिज दिया।

यह घटना साल 2010 की है जब मकरंद पटवर्धन अपने दो साथियों के साथ कार में पुणे से मुंबई आ रहे थे। इस बीच उनकी कार के पिछले पहिए का टायर फट गया और गाड़ी खाई में जा गिरी। इस हादसे में पटवर्धन की मौत हो गई। ट्रिब्यूनल ने अपने आदेश में कहा था कि मकरंद पटवर्धन अपने परिवार में एकमात्र कमाने वाले व्यक्ति थे। वहीं, बीमा कंपनी ने कहा था कि मुआवजे की राशि हद से ज्यादा है और टायर फटना एक्ट ऑफ गॉड है।

वहीं हाईकोर्ट ने इस अपील को अस्वीकार कर दिया है। कोर्ट ने कहा कि "एक्ट ऑफ गॉड का डिक्शनरी में अर्थ संचालन में बेकाबू प्राकृतिक शक्तियों का एक उदाहरण है। इस घटना में टायर फटने को ईश्वर का कार्य नहीं कहा जा सकता है। यह इंसानी लापरवाही है।"

कोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि "टायर फटने के कई कारण हैं, जैसे तेज रफ्तार, कम हवा, ज्यादा हवा या फिर सेकेंड हैंड टायर और तापमान हो सकते है।" कोर्ट ने कहा कि "कार के ड्राइवर को यात्रा करने से पहले टायर के स्थिति की जांच करनी होती है। टायर फटने को नैचुरल एक्ट नहीं कहा जा सकता है। ये मानवीय लापरवाही है।" कोर्ट ने यह भी कहा कि "टायर फटने को केवल एक्ट ऑफ गॉड कहने से बीमा कंपनी मुआवजा देने नहीं बच सकती है।" 

 
First Updated : Sunday, 12 March 2023