बसंत पंचमी 2023: जानिए कब है बसंत पंचमी और महत्व

इस साल बसंत पंचमी का त्यौहार 26 जनवरी को मनाया जा रहा है। बसंत पंचमी के ठीक 40 दिन बाद होली का त्योहार आता है। बसंत पंचमी का त्योहार ज्ञान, संगीत और कला की देवी मां सरस्वाती को समर्पित है।

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बसंत पंचमी के दिन ज्ञान और बुध्दि की देवी सरस्वती की पूजा की जाती है। इस दिन सरस्वती माता आरती पूजा की जाती है। ऐसा माना जाता है कि हिंदू धर्म का यह महत्वपूर्ण त्यौहार है। जो बसंत के आगमन का प्रतीक है। इस बार बसंत पंचमी 26 जनवरी  को मनाया जाएगा। बंसत पंचमी के ठीक 40 दिन बाद होली का त्यौहार मनाया जाता है। इसलिए ऐसा कहा जाता है कि बसंत पंचमी होली के त्योहार की शुरुआत मानी जाती है। 

इसके पीछे का कारण है कि बसंत पंचमी उत्सव (त्यौहार) बसंत से 40 दिन पहले मनाया जाता है। जो किसी भी मौसम के लिए संक्रमण के लिए काल को दर्शाता है। जो 40 दिनों का होता है, इसके बाद बसंत ऋतु का पूर्ण रूप से आगमन होता है। प्रत्येक हिंदू भगवान और देवी का एक समर्पित दिन और त्योहार होता है जब उनकी पूजा की जाती है। बुद्धि की देवी- जो संगीत और कला से भी जुड़ी हुई हैं- की पूजा की जाती है क्योंकि ऐसा माना जाता है कि उनका जन्म इसी दिन हुआ था।

हिंदू कैलेंडर के अनुसार बसंत पंचमी माघ मनाई जाती है। इसलिए इसे पंचमी भी कहा जाता है। माता सरस्वती को विद्या की देवी कहा जाता है। सभी हिंदू भगवान और देवी का एक समर्पित दिन और त्यौहार होता है जब उनकी पूजा की जाती है। बुध्दि की देवी- जो संगीत और कला से भी जुड़ी हुई है। आज के दिन भक्त लोग पूजा करते है और देवी मां को भोज अर्पित करते है। सरसों के खेतों को चिन्हित करने के लिए पीसा रंग भी पहनते है। ऐसा माना जाता है कि पीला रंग देवी का पसंदीदा रंग है क्योकि यह प्रकृति की उदारता की बात करता है कृषि क्षेत्रों का जश्न मनाता है।

माना जाता है कि बसंत पंचमी के दिन कामदेव और रति स्वर्ग से पृथ्वी पर आते है और उनके आगमन से ही धरती पर बसंत ऋतु का आगमन होता है। इनके कारण ही मन में एक नई उमंग जागती है। पेड़ पौधो की नई कोपलों एंव सरसों के पीले फूलों से नए श्रृगार करती है। बंसत पंचमी पर धरती के सभी प्राणियों के बीच प्रेम भावना बनी रहे। इसलिए बंसत पंचमी कामदेव और रति की पूजा अवश्य की जाती है।

आज के दिन सांस्कतिक कार्यक्रम आयोजित किए जाते है और लोग गाते और नाचते हैं। आज के दिन कई शैक्षणिक संस्थान बंद रहते हैं। बसंत पंचमी के दिन कई परिवारों में ज्यादातर बंगाली समुदाय में एक पारंपरिक समारोह आयोजित किया जाता है। जिसमें बच्चों को शिक्षा कला औऱ संस्कृति की दुनिया में एक औपचारिक कदम उठाते हुए अपना पहला शब्द लिखने के लिए प्रोत्साहित किया जाता है।

First Updated : Sunday, 22 January 2023