Papmochani Ekadashi 2023: पापमोचिनी एकादशी पर इस तरह करें श्रीहरि की पूजा, बनेंगे सारे बिगड़े काम

हर साल चैत्र माह के कृष्ण पक्ष की एकादशी को ही पापमोचिनी एकादशी कहा जाता है। पापमोचिनी एकादशी के दिन अनजाने और भूलवश हुए सांसारिक पापों से मुक्ति पाने के लिए पूजा और उपवास किया जाता है।

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साल की सभी तिथियों में एकादशी तिथि को सर्वश्रेष्ठ कहा गया है। साल में 24 (अधिकमास के चलते कभी कभी 25 भी) एकादशियां आती हैं और इनमें भगवान विष्णु की विधिवत पूजा और उपवास किया जाता है। इसी तरह 18 मार्च को पापमोचिनी एकादशी का व्रत रखा जाएगा। हर साल चैत्र माह के कृष्ण पक्ष की एकादशी को ही पापमोचिनी एकादशी कहा जाता है। पापमोचिनी एकादशी के दिन अनजाने और भूलवश हुए सांसारिक पापों से मुक्ति पाने के लिए पूजा और उपवास किया जाता है। इस पूजा और उपवास से प्रसन्न  होकर श्री नारायण जातक के सभी कष्ट हर लेते हैं और उसके पापों को माफ करके उसे मोक्ष प्रदान करते हैं। मान्यता है कि पापमोचिनी एकादशी पर किया गया व्रत सौ गायों के दान के बराबर पुण्य देता है।  
 
पापमोचिनी एकादशी की तिथि और समय
पंडित रजनीश त्रिपाठी के अनुसार इस बार पापमोचिनी एकादशी पर कई तरह के सर्वार्थ योग बन रहे हैं जो  काफी शुभ कहे जाते हैं। पापमोचिनी एकादशी की तिथि 17 मार्च को दोपहर दो बजकर छह मिनट पर आरंभ हो जाएगी और ये तिथि 18 मार्च दोपहर 11 बजकर 13 मिनट तक रहेगी। पापमोचिनी एकादशी के व्रत का पारण अगले दिन यानी 19 मार्च को सुबह छह बजकर 27 मिनट से शुरू होकर आठ बजकर सात मिनट तक रहेगा। 
 
इस एकादशी पर बन रहे हैं चार शुभ योग
इस दौरान चार शुभ  योग बन रहे हैं। पहला  सर्वार्थ सिद्धि योग है। दूसरा योग द्विपुष्कर योग है। तीसरे योग का नाम है शिव योग और चौथा योग सिद्ध योग कहलाता है। एक ही तिथि में इतने सारे शुभ योग होने का परिणाम है कि ये एकादशी दान पुण्य और पूजा पाठ के लिहाज से काफी महत्वपूर्ण रहेगी। इस दौरान किया गया व्रत उपवास फलदायी होगा और इस दौरान किए गए दान का फल अगली पीढ़ियों को भी मिलेगा। 
 
पापमोचिनी एकादशी पर पूजा कैसे करें
एकादशी के लिए व्रत कर रहे हैं तो इसके  नियम एक दिन पहले यानी दशमी को ही शुरू हो जाते हैं। व्रती को एक दिन पहले सात्विक भोजन करना चाहिए। रात को जमीन पर बिस्तर लगाकर सोना चाहिए। एकादशी तिथि पर सुबह नहाधोकर भगवान विष्णु का स्मरण करते हुए पूरे घर में गंगा जल छिड़कना चाहिए। इसके पश्चात लकड़ी की एक चौकी पर लाल कपड़ा बिछाकर भगवान विष्णु की मूर्ति या तस्वीर स्थापित करनी चाहिए। अब दाएं हाथ में गंगाजल लेकर भभगवान विष्णु की पूजा का संकल्प लेना चाहिए। अब भगवान विष्णु को गंगाजल से अभिषेक कराएं। इसके पश्चात भगवान विष्णु को रोली चंदन का तिलक करें। उनको नारियल अर्पित करें। पीले फूलों की माला चढ़ाकर पुष्प अर्पित करें। अब भगवान विष्णु को मीठा पान, तुलसी के पत्ते, सुपारी, इलाइची, बादाम, मिठाई का भोग लगाएं। इसके पश्चात भगवान विष्णु के समक्ष धूप और दीप जलाएं और उनकी आरती करें। इसके पश्चात मां लक्ष्मी की भी आरती करें। इसके पश्चात भगवान का जाप करते हुए विष्णु चालीसा का पाठ करें। इसके पश्चात जरूरतमंदों को अन्न, जल, वस्त्र और फल का दान करना चाहिए।
 
सांयकाल में भगवान का भजन करें और तुलसी की पूजा करें। तुलसी के समक्ष  देसी घी का दीपक जलाएं। एकादशी पर तुलसी की पूजा से भगवान विष्णु प्रसन्न होते है। इसके पश्चात चाहे तो फलाहार कर सकते हैं। रात में भगवान विष्णु का स्मरण करना चाहिए औऱ पलंग की बजाय जमीन पर ही आराम करना चाहिए।
 
पापमोचिनी एकादशी पर कुछ ज्योतिषीय उपाय करके आप अपने कार्य सफल करने की प्रार्थना कर सकते हैं। इनसे प्रसन्न होकर भगवान विष्णु जातक की सभी मनोकामनाएं पूरी करते हैं। 
 
पापमोचिनी एकादशी पर  भगवान विष्णु की पूजा के समय एक कच्चा नारियल और आठ साबुत बादाम अर्पित करने चाहिए। इससे  भगवान विष्णु प्रसन्न होकर जातक को मोक्ष प्रदान करते हैं। 
पोपमोचिनी एकादशी पर  भगवान विष्णु के 108 नामों का जप करने से  पुराने और अनजाने पापों से छुटकारा मिलता है।
पापमोचिनी एकादशी के दिन तुलसी के पौधे में एक गेंदे का फूल लाल रंग के वस्त्र में बांधकर रखना चाहिए।
पापमोचिनी एकादशी के दिन घर और दफ्तर में 11 गोमती चक्र को पीले कपड़े में बांधकर रखना चाहिए। इससे  भगवान विष्णु सदा के लिए घर या कार्यस्थल पर कृपा बरसाते हैं।
First Updated : Thursday, 16 March 2023