छोटी सी डिबिया पर लिखे गए थे ऐ मेरे वतन के लोगों के बोल, जानिए ऐतिहासिक गाने की अनकही कहानी

ऐ मेरे वतन के लोगों के बोल मशहूर कवि प्रदीप ने लिखा था और इसे संगीत दिया था सी॰ रामचंद्र ने। वहीं लता मंगेशकर ने इस गीत को अपने स्वर देकर हमेशा-हमेशा के लिए अमर कर दिया था। गौरतलब है कि 27 जनवरी 1963 में लता जी ने ये गीत जब तत्कालीन प्रधानमंत्री पं॰ जवाहरलाल नेहरू के सामने गाया था, तो वो इसे सुनकर भावुक हो गए थे।

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मौका 26 जनवरी का हो तो कानों में अनायास ही देशभक्ति गानों के बोल सुनाई पड़ने लगते हैं। खासकर लता मंगेशकर द्वारा गाया गया गाना ‘ऐ मेरे वतन के लोगों’इस मौके पर सबसे अधिक सुना और गाया जाता है। दरअसल, ये एक महज गीत भर नहीं है बल्कि शहिदों को समर्पित इस गाने में करोड़ों भारतीयों की भावनाएं समाहित हैं। वैसे ये गीत अपने आप में जितना नायाब है, उसके बनने की कहानी भी अपने आप में उतनी है खास है। चलिए गणतंत्र दिवस के इस खास मौके पर हम आपको इस ऐतिहासिक गाने की अनकही कहानी बताते हैं।

लता जी के स्वर में गीत को सुन भावुक हो उठे थे जवाहरलाल नेहरू

सबसे पहले आपको बता दें कि ‘ऐ मेरे वतन के लोगों’के बोल मशहूर कवि प्रदीप ने लिखा था और इसे संगीत दिया था सी॰ रामचंद्र ने। वहीं लता मंगेशकर ने इस गीत को अपने स्वर देकर हमेशा-हमेशा के लिए अमर कर दिया था। गौरतलब है कि 27 जनवरी 1963 में लता जी ने ये गीत जब तत्कालीन प्रधानमंत्री पं॰ जवाहरलाल नेहरू के सामने गाया था, तो वो इसे सुनकर भावुक हो गए थे। दरअसल, ये गीत वर्ष 1962 में चीनी आक्रमण में शहीद हुए भारतीय जवानों को समर्पित किया गया था।

कवि प्रदीप ने सरकार के आग्रह पर लिखा था इस गाने को

असल में, उस समय में कवि प्रदीप ने सरकार के आग्रह पर ही इस गाने को लिखा था। दरअसल, चीन से युद्ध में भारत की हार के चलते आम जनमानस काफीआहत था, लोगों का मनोबल पूरी तरह से टूट चुका था। ऐसे में सरकार चाहती थी, साहित्य और मनोरंजन जगत कुछ ऐसा करे जिससे लोगों के मन में देशप्रेम के साथ नए जोश का संचार हो। उस वक्त के मशहूर कवि प्रदीप को भी ऐसे गीत और कविताएं लिखने को कहा गया था जो जनमानस में नई ऊर्जा का संचार करे।

सिगरेट की डिब्बिया के फॉइल पेपर पर लिखे थे गाने के बोल

वैसे कवि प्रदीप द्वारा इस गीत को लिखने की प्रकिया भी बेहद रोचक रही है। दरअसल, कवि प्रदीप ने साल 1990 में बीबीसी को दिए एक इंटरव्यू में बताया था कि उन्हें किस तरह से इस गीत का विचार आया। प्रदीप ने बताया था कि एक रोज जब वो मुंबई में समंदर के किनारे घूम रहे थे तो तभी देश के हालातों पर उन्हें कुछ पंक्तियां सूझी। ऐसे में वो पंक्तियां कहीं भूल न जाए, इसलिए तुरंत उन्होनें उसे लिखने के लिए वहांखड़े शख्स से पेन मांगा और फिर अपने पास मौजूद माचिस और सिगरेट की डिब्बिया में जो फॉइल पेपर आती है, उस पर उसे लिख डाला। बाद में इन्ही पंक्तियों को बढ़ाकर उन्होनें 'ऐ मेरे वतन के लोगों' का पूरा गाना लिखा था।

First Updated : Thursday, 26 January 2023