'आपके मुंह से निवाला छिन गया, आपको मौका जरूर मिलेगा', नेवी चीफ से ऐसा क्यों बोले PM मोदी
भारतीय सशस्त्र बलों के तीनों प्रमुख एसीएम अमर प्रीत सिंह, जनरल उपेंद्र द्विवेदी और एडमिरल दिनेश त्रिपाठी ने 10 मई की सैन्य प्रतिक्रिया में निर्णायक भूमिका निभाई. वायुसेना, थलसेना और नौसेना की संयुक्त कार्रवाई ने पाकिस्तान को रणनीतिक रूप से कमजोर किया. भविष्य में संभावित आतंकी खतरों के बीच नौसेना की भूमिका अहम मानी जा रही है.

एयर चीफ मार्शल अमर प्रीत सिंह, जनरल उपेंद्र द्विवेदी और एडमिरल दिनेश त्रिपाठी, तीनों भारतीय सशस्त्र बलों के शीर्ष नेतृत्व में हैं और अपनी निष्पक्षता व स्पष्टवादिता के लिए जाने जाते हैं. भले ही वे गैर-राजनीतिक हों, परंतु राष्ट्रीय सुरक्षा पर कोई भी मुद्दा राजनीतिक नेतृत्व के सामने खुलकर रखने से नहीं हिचकिचाते.
एयर चीफ मार्शल सिंह की निडर सोच
एसीएम अमर प्रीत सिंह एक क्लासिक टेस्ट फाइटर पायलट माने जाते हैं. वे अपने बिंदास रवैये और वर्तमान में जीने की प्रवृत्ति के लिए प्रसिद्ध हैं, और यह परवाह नहीं करते कि उनकी स्पष्ट बातें किसी को नाराज़ कर सकती हैं.
जमीनी जुड़ाव और कठोर निर्णय
जनरल उपेंद्र द्विवेदी सैनिकों के साथ गहरा जुड़ाव रखने वाले नेता हैं. शांत स्वभाव के बावजूद, आवश्यकता पड़ने पर दृढ़ और कठोर निर्णय लेने में सक्षम हैं.
एडमिरल त्रिपाठी की साहसी रणनीति
एडमिरल दिनेश त्रिपाठी अपने साहस और नौसेना की मारक क्षमता पर भरोसे के लिए जाने जाते हैं. 10 मई की सुबह, वे कराची बंदरगाह पर आक्रमण के लिए तैयार थे, लेकिन पाकिस्तानी डीजीएमओ के शांति प्रस्ताव के बाद यह कार्रवाई रोक दी गई.
राष्ट्रीय सुरक्षा टीम के साथ सामंजस्य
ये तीनों शीर्ष सैन्य अधिकारी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल और चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ जनरल अनिल चौहान के नेतृत्व वाली राष्ट्रीय सुरक्षा टीम को रिपोर्ट करते हैं. यह टीम संकट के समय कठोर और निर्णायक कदम उठाने में सक्षम है.
10 मई की सुबह का रणनीतिक मोड़
भारतीय प्रतिक्रिया की सराहना करते हुए प्रधानमंत्री मोदी ने जनरल द्विवेदी और एसीएम सिंह को बधाई दी और एडमिरल त्रिपाठी को भविष्य में अवसर देने का आश्वासन दिया. कराची बंदरगाह पर ब्रह्मोस मिसाइल हमले के निर्देश वापस लेने के बावजूद, प्रधानमंत्री ने तीनों प्रमुखों को संभावित खतरों के लिए तैयार रहने को कहा.
वायुसेना की सटीक कार्रवाई
कुछ विश्लेषकों ने एसीएम सिंह की टिप्पणियों को अतिशयोक्तिपूर्ण बताया, लेकिन उन्होंने केवल पुष्टि किए गए पाकिस्तानी विमानों, रडार और AEW&C प्लेटफॉर्म को मार गिराने की बात कही. खुफिया रिपोर्ट के अनुसार, 10 मई को रावलपिंडी के चकलाला एयरबेस पर C-130 हरक्यूलिस विमान को नुकसान पहुंचा और जैकोबाबाद में दो F-16 नष्ट हुए. सुबह 2:30 बजे नूर खान एयरबेस पर हमले से उत्तरी PAF कमांड नेटवर्क ठप हो गया.
सेना की मारक क्षमता का असर
भारतीय सेना के M777 एक्सकैलिबर और वार्मेट लोइटरिंग म्यूनिशन से डरे पाकिस्तानी सैनिक एलओसी के पास से हट गए. वायुसेना की कार्रवाई ने पाकिस्तानी वायु संसाधनों को पश्चिमी सीमा की ओर भेजने पर मजबूर कर दिया. इसी दौरान, पंजाब (पाकिस्तान) में 315 किमी दूर एक चौड़े शरीर वाले विमान को एस-400 मिसाइल से मार गिराया गया. यह विमान संभवतः साब AEW&C या डसॉल्ट फाल्कन 20 था.
नौसेना की बढ़त
भारतीय नौसेना की सक्रियता के कारण पाकिस्तानी नौसेना के अधिकांश जहाज और पनडुब्बियां समुद्र में नहीं उतर सकीं.
अंतिम ब्रह्मोस हमला
10 मई को दोपहर में भोलारी एयरबेस पर ब्रह्मोस मिसाइल हमला अंतिम सैन्य कार्रवाई थी, जिसके बाद सभी ऑपरेशनल उद्देश्य पूरे हुए.
भविष्य के खतरे
पुलवामा हमले (2019) के समय आईएसआई प्रमुख और 2025 के पहलगाम हमले के समय पाकिस्तानी सेना प्रमुख रहे असीम मुनीर भविष्य में फिर आतंकी हमले की योजना बना सकते हैं. ऐसे में भारतीय नौसेना की निर्णायक भूमिका की संभावना बढ़ती है.


