नए संसद भवन के उद्घाटन पर रार, आरजेडी, एनसीपी ने भी कार्यक्रम में शामिल होने से किया इनकार

नए संसद भवन के उद्घाटन को लेकर तमाम विपक्षी दलों ने मोर्चा खोल दिया है। बुधवार को आरजेडी, एनसीपी और डीएमके ने भी समारोह में शामिल होने से इनकार कर दिया है। अब तक 19 राजीनतिक पाटियों ने समारोह का संयुक्त रूप से बहिष्कार किया है।

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नवनिर्मित संसद भवन के उद्घाटन को लेकर लगातार सियासी बवाल मचा हुआ है। कांग्रेस समेत कई राजनीतिक दलों ने 28 मई को होने वाले उद्घाटन समारोह का बहिष्कार किया है। अब इसमें आरजेडी (राष्ट्रीय जनता दल) और एनसीपी (राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी) का नाम भी जुड़ गया है। इस बीच द्रविड़ मुनेत्र कड़गम (डीएमक) सांसद तिरूचि शिवा ने कहा कि पार्टी नए संसद भवन के उद्घाटन का बहिष्कार करेगी।

नए संसद के उद्घाटन पर बिहार के उप मुख्यमंत्री और आरजेडी नेता तेजस्वी यादव ने कहा कि "हमारी सभी लोगों से बात हुई है हम लोग इसका बहिष्कार करेंगे। हम लोगों का मानना है कि नए संसद का उद्घाटन राष्ट्रपति के द्वारा होना चाहिए क्योंकि संसद का हेड राष्ट्रपति होता है और ये उद्घाटन उनसे न कराकर उनका अपमान किया जा रहा है।"

राष्ट्रपति को नहीं बुलाने पर विपक्ष ने घेरा 

नए संसद भवन से जुड़ा विवाद राहुल गांधी के हालिया ट्वीट के बाद शुरू हुआ है। उन्होंने पीएम मोदी की बजाय राष्ट्रपति से नवनिर्मित संसद भवन का उद्घाटन कराने की मांग की थी। राहुल गांधी ने ट्वीट कर कहा कि "नए संसद भवन का उद्घाटन राष्ट्रपति जी को ही करना चाहिए, प्रधानमंत्री को नहीं! राहुल गांधी ने 21 मई को यह ट्वीट किया था।"

संयुक्त बयान हो सकता है जारी 

जानकारी के मुताबिक, समान विचारधारा रखने वाले विपक्षी दलों के नेताओं ने समारोह का बहिष्कार करने के लिए चर्चा की है। कहा जा रहा है कि संसद के कई नेता संयुक्त बयान जारी कर कार्यक्रम के बहिष्कार की घोषणा कर सकते है। 

राष्ट्रपति का अपमान करने का आरोप 

गौरतलब है कि नए संसद भवन का उद्घाटन राष्ट्रपति से नहीं कराने को लेकर सवाल उठाए जा रहे है। विपक्षी दलों के नेताओं का कहना है नवनिर्मित संसद भवन का उद्घाटन पीएम मोदी से कराना यानी कि राष्ट्रपति का अपमान करना है। इसलिए विपक्षी दल कार्यक्रम का बहिष्कार कर रहे है। 

राजनीति का मुद्दा बनाना दुर्भाग्यपूर्ण 

19 विपक्षी दलों की ओर से उद्घाटन कार्यक्रम का बहिष्कार करने पर केंद्रीय मंत्री प्रह्लाद जोशी ने कहा कि "यह ऐतिहासिक क्षण है। इसमें राजनीति नहीं करनी चाहिए। इसका बहिष्कार कर एक बिना-बात का मुद्दा बनाना दुर्भाग्यपूर्ण है।" उन्होंने कहा कि मैं उन (विपक्षी दलों) से अपने इस निर्णय पर फिर से विचार करने की अपील करूंगा और कृपया कर इसमें शामिल हों। केंद्रीय मंत्री ने कहा कि स्पीकर संसद का संरक्षक होता है और स्पीकर ने प्रधानमंत्री को अमंत्रित किया है।

First Updated : Wednesday, 24 May 2023