कैसे शुरू हुई गणतंत्र दिवस पर 21 तोपों से सलामी देने की परंपरा? जानिए
गणतंत्र दिवस के अवसर पर 21 तोपों की सलामी देना भारत की एक महत्वपूर्ण परंपरा बन चुकी है, लेकिन क्या आप जानते हैं कि इसकी शुरुआत कैसे हुई? अगर नहीं तो चलिए इसके इतिहास के बारे में जानते हैं.

21 तोपों की सलामी
गणतंत्र दिवस पर 21 तोपों से सलामी देने की परंपरा ब्रिटिश काल से जुड़ी हुई है. ब्रिटिश साम्राज्य में 21 तोपों की सलामी एक सम्मान का प्रतीक मानी जाती थी.

गणतंत्र दिवस
भारत में गणतंत्र दिवस पर 21 तोपों की सलामी देने की परंपरा 1950 में संविधान लागू होने के बाद शुरू हुई थी. गणतंत्र दिवस के दिन राष्ट्रपति द्वारा राष्ट्रीय ध्वज फहराने के बाद यह सलामी दी जाती है.

21 तोपों की सलामी क्यों दी जाती है
जब कोई उच्च पदस्थ व्यक्ति या विदेशी शासक भारत आता था, तो उसे सम्मान देने के लिए 21 तोपों की सलामी दी जाती थी. यह एक सम्मानजनक परंपरा थी, जिसे ब्रिटिश शासन ने अपनाया था.

परंपरा
इस परंपरा के द्वारा भारत अपनी सैन्य शक्ति और सम्मान दोनों को प्रदर्शित करता है, और यह देश की एकता, अखंडता और गौरव को मनाने का एक अहम तरीका बन गया है.

भारतीय पारंपरिक
21 तोपों की सलामी की संख्या का चयन भारतीय पारंपरिक मानकों के आधार पर किया गया था. यह संख्या उच्च सम्मान और भारतीय इतिहास की धरोहर को दर्शाने के लिए तय की गई. यह संख्या दूसरे देशों में भी आमतौर पर शासकों या उच्च अधिकारियों को सम्मान देने के लिए उपयोग की जाती है, जिससे यह परंपरा वैश्विक स्तर पर मान्यता प्राप्त हो गई.