IMF की सख्त शर्तों की मार से पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था हुई लाचार
आईएमएफ अब पाकिस्तान को बार-बार कर्ज देकर थक चुका है और मजबूरन खुद अंदर घुसकर सफाई करने पर उतर आया है! शहबाज-मुनीर सरकार पर 11 सख्त शर्तों का डंडा चलाया है, जिसमें खासकर देश के 'बड़े-बड़े अमीरों' को निशाना बनाया जाएगा. उनकी चोरी रोकने के लिए बैंकिंग सिस्टम में बड़े बदलाव और कई विभागों पर भी गाज गिरने वाली है.
नई दिल्ली: कंगाल पाकिस्तान एक बार फिर कटोरा लेकर IMF के दरवाजे पर पहुंचा है, लेकिन इस बार हालात पहले से ज्यादा सख्त हैं. शहबाज शरीफ और जनरल मुनीर की सरकार की चालबाजियों को भांपते हुए अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) ने बेलआउट के बदले पाकिस्तान पर 11 नई कड़ी शर्तें थोप दी हैं. इसके साथ ही IMF की कुल शर्तों की संख्या बढ़कर 64 हो गई है, जो साफ दिखाती है कि दुनिया का भरोसा पाकिस्तान के हुक्मरानों से लगभग खत्म हो चुका है. IMF की नई शर्तें सीधे तौर पर पाकिस्तान में फैले भ्रष्टाचार, काले धन और ऊंचे पदों पर बैठे ‘रिश्वतखोरों’ को निशाने पर लेती हैं, जिन्हें आतंकवाद की फंडिंग का बड़ा जरिया माना जाता है. IMF चाहता है कि पाकिस्तान में बड़े अधिकारियों की आय और संपत्ति का पूरा हिसाब सार्वजनिक हो, बैंकों को इन पर निगरानी करनी पड़े और भ्रष्टाचार से जुड़े विभागों पर सख्त एक्शन लिया जाए. इसके साथ ही टैक्स सुधार, शुगर माफिया पर लगाम, बिजली सेक्टर के घाटे में कटौती और जरूरत पड़ने पर मिनी-बजट जैसी शर्तें यह साफ संकेत देती हैं कि IMF अब पाकिस्तान पर कोई रहम करने के मूड में नहीं है.


