पुण्य तिथि विशेष : माखनलाल चतुर्वेदी ने ठुकरा दी थी मुख्यमंत्री की कुर्सी, बाद में राजद्रोह के आरोप में जेल भी गए
Makhanlal Chaturvedi : दादा माखनलाल चतुर्वेदी से जुड़ा एक किस्सा कवयित्री महादेवी वर्मा बताती थीं कि देश की आजादी के बाद जब मध्यप्रदेश के पहले मुख्यमंत्री पद के लिए माखनलाल चतुर्वेदी का नाम आगे आया तो उन्होंने कहा, “शिक्षक और साहित्यकार बनने के बाद ‘मुख्यमंत्री’ बनना मेरा डिमोशन होगा.
आज 30 जनवरी को राष्ट्र पिता महात्मा गांधी का शहीदी दिवस है. वहीं आज के दिन ही देश के बड़े पत्रकार और स्वतंत्रता संग्राम सेनानी राष्ट्रकवि माखनलाल चतुर्वेदी की पुण्यतिथि भी है. दादा माखनलाल चतुर्वेदी ऐसी सख्सियत थे, जिन्होंने साहित्य साधना के लिए मुख्यमंत्री का पद नकारा दिया था. दादा माखनलाल चतुर्वेदी का उल्लेख करते ही हमें उनकी ख्याल कविता ‘पुष्प की अभिलाषा’ याद आती है. आज हम दादा माखन लाल से जुड़ी कहानी आपको बता रहे हैं.
'साहित्यकार हूं, मुख्यमंत्री क्यों बनूं'
दादा माखनलाल चतुर्वेदी से जुड़ा एक किस्सा कवयित्री महादेवी वर्मा बताती थीं कि देश की आजादी के बाद जब मध्यप्रदेश के पहले मुख्यमंत्री पद के लिए माखनलाल चतुर्वेदी का नाम आगे आया तो उन्होंने कहा, “शिक्षक और साहित्यकार बनने के बाद ‘मुख्यमंत्री’ बनना मेरा डिमोशन होगा.” दादा ने ऐसा कहकर मुख्यमंत्री के पद को ठुकरा दिया जिसके बाद रविशंकर शुक्ल को मध्यप्रदेश का पहला मुख्यमंत्री बनाया गया. माखन लाल चतुर्वेदी सरल भाषा में कविता लिखने वाले रचनाकार थे. उनका जन्म 1889 में बाबई, मध्य प्रदेश में हुआ था. उनकी मृत्यु 30 जनवरी 1968 में खंडवा में हुई थी. दादा ने हिंदी और संस्कृत का अध्ययन किया और स्वतंत्रता के आंदोलन में भाग लिया. दादा शिक्षक और पत्रकार दोनों थे, लेकिन बाद में इन्होंने शिक्षक के पद को पत्रकारिता के लिए छोड़ दिया.
राजद्रोह के आरोप में जेल भी गए
माखनलाल चतुर्वेदी 1921 के असहयोग आंदोलन के दौरान राजद्रोह के आरोप में जेल गए. साल 1924 में गणेश शंकर विद्यार्थी के बाद माखनलाल ने ‘प्रताप’ पत्रिका का संपादन किया और ‘संपादक सम्मेलन’ और हिंदी सम्मेलन के अध्यक्ष भी रहे. माखनलाल चतुर्वेदी की कविता, ‘चाह नहीं मैं सुरबाला के गहनों में गूंथा जाऊं, चाह नहीं, प्रेमी-माला में बिंध प्यारी को ललचाऊं’ हम सभी ने सुनी भी है और पढ़ी होगी. माखनलाल चतुर्वेदी ने जहां एक ओर देश प्रेम में लिपटी कविताएं लिखीं वहीं दूसरी और कुछ कविताएं उनके सरल मन को भी बताती हैं. हालांकि, आप जब इन कविताओं को पढ़ते हैं, तो आपको जरूर ये लगेगा कि क्या वाकई दोनों तरह की कविताएं एक ही कवि की हैं?
1963 में पद्मभूषण से हुए सम्मानित
आधुनिक हिंदी साहित्य में अपना बेहतरीन योगदान देने के लिए दादा माखनलाल को 1963 में गणतंत्र दिवस के खास मौके पर राष्ट्रपति डॉ.सर्वपल्ली राधाकृष्णन ने ‘पद्मभूषण’ से सम्मानित किया. इसके साथ ही उन्हें साहित्य अकादमी (1954) से भी सम्मानित किया गया. माखनलाल की कई रचनाएं, जैसे पुष्प की अभिलाषा, वीणा का तार, टूटती जंजीर, नई-नई कोंपलें, हिमालय का उजाला और वर्षा ने आज विदाई ली जैसी रचनाएं, स्कूल सिलेबस के साथ ही बीए. और एमए के सिलेबस में कई यूनिवर्सिटी में पढ़ाया जाता है.