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एसआईआर प्रक्रिया पर घमासान, लेकिन मसौदा सूची पर दलों ने नहीं दी प्रतिक्रिया

बिहार की मसौदा मतदाता सूची पर किसी राजनीतिक दल ने आपत्ति नहीं जताई, जबकि चुनाव आयोग को 5,000 से अधिक व्यक्तिगत दावे और 27,000 नए आवेदन मिले हैं. सुप्रीम कोर्ट ने 65 लाख हटाए गए नामों पर चुनाव आयोग से जवाब मांगा है.

Suraj Mishra
Edited By: Suraj Mishra
Election Commission on SIR: चुनाव आयोग ने स्पष्ट किया है कि संसद के मानसून सत्र के दौरान जारी विरोधों और आरोपों के बावजूद 1 अगस्त को प्रकाशित बिहार की मसौदा मतदाता सूची पर किसी भी राजनीतिक दल ने कोई औपचारिक दावा या आपत्ति दर्ज नहीं कराई है. आयोग ने यह आश्वासन भी दिया कि किसी भी पात्र मतदाता को सूची से बाहर नहीं किया जाएगा और अपात्र लोगों के नाम सूची में शामिल नहीं होंगे.

 मतदाताओं से 5,015 दावे और आपत्तियां प्राप्त

हालांकि, आयोग को व्यक्तिगत रूप से मतदाताओं से 5,015 दावे और आपत्तियां प्राप्त हुई हैं. इसके अलावा, 18 वर्ष या उससे अधिक आयु के 27,517 नए मतदाताओं ने पंजीकरण के लिए आवेदन किया है. ये सभी मामले निर्वाचन पंजीकरण अधिकारियों (ईआरओ) और उनके सहायक (एईआरओ) द्वारा निर्धारित प्रक्रिया और सात दिन की प्रतीक्षा अवधि के बाद तय किए जाएंगे. आयोग ने यह भी कहा कि बिना 'स्पीकिंग ऑर्डर' और विधिवत जांच के कोई नाम मसौदा सूची से नहीं हटाया जाएगा.

इस प्रक्रिया को लेकर विपक्षी दल इंडिया ब्लॉक ने गंभीर आपत्तियां जताई हैं. उन्होंने आरोप लगाया है कि इस विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) प्रक्रिया के जरिए लाखों लोगों के नाम मतदाता सूची से हटाए जा सकते हैं. इस मुद्दे को लेकर संसद में विरोध प्रदर्शन भी किया गया है और पुनरीक्षण प्रक्रिया पर बहस की मांग की गई है.

सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव आयोग से मांगा जवाब

इसी संदर्भ में एक एनजीओ द्वारा दायर याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव आयोग से जवाब मांगा है. याचिका में दावा किया गया है कि 65 लाख मतदाता मसौदा सूची से हटा दिए गए हैं और उनकी स्थिति अस्पष्ट है. कोर्ट की पीठ ने निर्देश दिया कि चुनाव आयोग हटाए गए मतदाताओं का विवरण और उससे संबंधित डाटा याचिकाकर्ता को साझा करे. आयोग ने जवाब में कहा कि सभी जरूरी जानकारी पहले ही राजनीतिक दलों के साथ साझा की जा चुकी है.

मतदाता सूची की पारदर्शिता बनाए रखने के लिए आयोग ने बताया कि 12 राजनीतिक दलों के 1.60 लाख बीएलए (बूथ लेवल एजेंट) पुनरीक्षण में शामिल थे. साथ ही, नागरिक अब ऑनलाइन पोर्टल के माध्यम से अपने नाम की पुष्टि, दावा या आपत्ति दर्ज कर सकते हैं. इसके अतिरिक्त, आयोग ने सभी मतदाताओं से 1 सितंबर, 2025 तक अपनी नई फोटो संबंधित बीएलओ को जमा करने की अपील की है.

एसआईआर प्रक्रिया में यह भी सामने आया कि लगभग 35 लाख मतदाता या तो अपने पते पर उपलब्ध नहीं हैं या स्थायी रूप से पलायन कर चुके हैं. आयोग ने स्पष्ट किया है कि नाम हटाने की प्रक्रिया प्रमाणित साक्ष्यों और उचित नियमों के तहत ही की जा रही है, जिससे सूची की शुद्धता और विश्वसनीयता बनी रहे.

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07 August 2025, 04:36 PM IST

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