Bipolar Disorder: पल में बेहद खुश, क्षण में काफी दुखी, 150 में से एक इंसान को होती है यह बीमारी

Bipolar Disorder एक अजीव तरह का मानसिक विकार है जिसमें इंसान यह समझ नहीं पता कि उसे क्या करना चाहिए और क्या नहीं। इसके लिए दवा के साथ साथ काउंसलिंग की जरूरत होती है।

Bipolar Disorder एक प्रकार का मानसिक विकार है, जिसमें मरीज का मूड बहुत तेजी से बदलता है। बाइपोलर बीमारी से ग्रस्त व्यक्ति कभी अत्यधिक खुशी तो कभी बहुत अधिक डिप्रेशन की स्थिति से गुजरता है। यहां आपको विस्तार से बता रहे हैं बाइपोलर डिसऑर्डर, इसके लक्षण और इलाज के बारे में

National Mental Health Survey की रिपोर्ट के अनुसार हर 150 व्यक्तियों में से एक व्यक्ति बाइपोलर से ग्रसित होता है और इनमें से करीब 70 फीसदी लोगों का इलाज नहीं होता है।

बाइपोलर मरीजों में ऊंची होती है आत्महत्या की दर

दरअसल, इस बीमारी में मरीज दो तरह के मूड स्विंग को फेस करता है। कभी वह बेहद खुश और जोश से लबरेज नजर आता है तो कभी वह अत्यधिक दुखी होकर डिप्रेशन में चला जाता है। इसमें व्यक्ति के मूड और वर्किंग कैपिसटी में त्वरित बदलाव होते हैं। बाइपोलर इस दृष्टिकोण से भी बेहद खतरनाक है कि इसके मरीजों में आत्महत्या की दर काफी ऊंची होती है। बाइपोलर आनुवांशिक भी होता है, ऐसे में यदि मां-बाप दोनों को यह बीमारी है तो उनके बच्चों में इस बीमारी के होने के चांसेज 40 फीसदी तक बढ़ जाते हैं।

खुशी हो या अवसाद, हर स्थिति को एक्सट्रीम मानते हैं

बाइपोलर के मरीज जीवन की हर स्थिति को एक्सट्रीम मानकर चलते हैं, चाहे वह दुख और अवसाद हो या खुशी या उन्माद की स्थिति। दोनों ही स्थितियों में उसकी उत्तेजना बढ़ जाती है। Bipolar Disorder के केस हमारे परिवेश में मिल जाते हैं, लेकिन कई बार उनकी ओर हमारा ध्यान नहीं जा पाता, क्योंकि जागरूकता के अभाव में इनके लक्षणों को इग्नोर कर दिया जाता है। सामान्य बर्ताव न कर पाने की वजह से इनके रोजमर्रा के काम प्रभावित होते हैं, वहीं निजी, पारिवारिक और सामाजिक रिश्तों पर नकारात्मक असर पड़ता है।

कई बार वह व्यक्ति बिना विचारे उत्तेजना में ऐसे फैसले भी ले लेता है, जो उसके लिए परेशानी का सबब बन जाते हैं। वहीं नकारात्मक मानसिकता होने पर वह व्यक्ति उन चीजों में अरुचि दिखाने लगता है, जिनमें उसका इंट्रेस्ट होता है। इस दौरान कई लोगों के मन में खुद को नुकसान पहुंचाने के विचार आते हैं जो कई बार एक्सट्रीम होकर आत्महत्या तक पहुंच जाते हैं।

तुरंत करें मनोचिकित्सक से संपर्क

तेज तनाव, नशे की लत और किसी ट्रॉमा की स्थिति इस बीमारी का खतरा बढ़ाते हैं। ऐसे में किसी व्यक्ति के साथ ये स्थितियां बनी हैं और उसे अनिद्रा, अचानक वेट गेन या लॉस और सुसाइड के विचार आने की परेशानी हो रही है तो उस स्थिति में तुरंत मनोचिकित्सक से परामर्श करना चाहिए।

बाइपोलर मरीजों को भावनात्मक मदद की जरूरत

मनोचिकित्सकों के अनुसार, बाइपोलर डिसऑर्डर को सही उपचार और तरीके से ठीक किया जा सकता है। इसमें मरीज को मेडिकेशन, थैरेपी, काउंसलिंग, फैमिली सपोर्ट और लाइफस्टाइल में बदलाव के तरीके बताए जाते हैं, जिससे उसकी मनोदशा स्टेबल होती है। गौरतलब है कि बाइपोलर एक मानसिक दशा है, जिसमें मरीज को भावनात्मक सहयोग की जरूरत होती है। यदि मरीज का समुचित इलाज नहीं किया जाता है तो न केवल उसके जीवन पर बल्कि उसके परिवार के जीवन पर भी काफी असर होता है।

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03 April 2023, 06:34 PM IST

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