अमृतसर में रात के सन्नाटे में दोबारा छाया अंधेरा – ब्लैकआउट मॉक ड्रिल से हड़कंप, लोगों से घरों में रहने की अपील
Punjab: आधी रात को बजीं सायरन की आवाजें, गोल्डन टेंपल तक में बुझा दी गईं लाइटें. लोगों से कहा गया – 'घर में रहो, बाहर मत निकलो!' क्या हुआ उस रात, क्यों पूरे पंजाब में एक साथ हुआ ब्लैकआउट? पूरी कहानी जानने के लिए खबर जरूर पढ़ें.

Punjab: गुरुवार तड़के अमृतसर शहर एक बार फिर अंधेरे में डूब गया. यह कोई असली खतरा नहीं बल्कि राष्ट्रव्यापी नागरिक सुरक्षा मॉक ड्रिल का हिस्सा था. जिला प्रशासन ने पूरी तैयारी के साथ रात 1:30 बजे ब्लैकआउट अभ्यास शुरू किया और लोगों से घरों में रहने व घबराने से बचने की अपील की.
यह अभ्यास इसलिए किया गया ताकि किसी भी आपातकाल या हमले की स्थिति में प्रशासन और नागरिक दोनों मिलकर बेहतर तरीके से प्रतिक्रिया दे सकें. खास बात यह रही कि यह ब्लैकआउट मॉक ड्रिल अचानक नहीं हुई थी बल्कि इससे कुछ घंटे पहले रात 10:30 से 11 बजे के बीच भी एक अभ्यास किया गया था.
जनसंपर्क विभाग की ओर से जारी अपील में साफ कहा गया
'कृपया घबराएं नहीं, अपने घरों के बाहर न निकलें और अपने घर की सभी बाहरी लाइटें बंद रखें. यह एक मॉक ड्रिल है, लेकिन इसमें आपकी भागीदारी ज़रूरी है.'
सिर्फ अमृतसर ही नहीं, पूरे पंजाब में चला ब्लैकआउट ड्रिल का दौर
अमृतसर के अलावा पंजाब के कई अन्य जिलों में भी इसी तरह की मॉक ड्रिल की गई. चंडीगढ़, मोहाली, लुधियाना, बठिंडा, गुरदासपुर, फिरोजपुर, पटियाला, पठानकोट, बरनाला, होशियारपुर और संगरूर जैसे इलाकों में अलग-अलग समय पर बिजली बंद कर ब्लैकआउट किया गया.
उदाहरण के लिए:
मोहाली और चंडीगढ़ में शाम 7:30 बजे से 10 मिनट तक बिजली काटी गई.
लुधियाना में रात 8 से 8:30 तक ब्लैकआउट रहा.
संगरूर में रात 8:30 से 8:40 तक बिजली बंद की गई.
फिरोजपुर में यह ड्रिल रात 9 बजे से 9:30 बजे तक हुई.
इन सभी जगहों पर हवाई हमले जैसे हालातों को दर्शाने के लिए सायरन बजाए गए, और नागरिकों को एक सुरक्षित व्यवहार अपनाने की अपील की गई. प्रशासन का उद्देश्य था कि यदि भविष्य में कोई वास्तविक आपात स्थिति आती है तो लोग बिना घबराए समझदारी से प्रतिक्रिया दें.
अस्पतालों को ब्लैकआउट से रखा गया बाहर
हालांकि ड्रिल पूरे शहर में की गई, लेकिन अस्पतालों और स्वास्थ्य सेवाओं को इससे बाहर रखा गया ताकि जरूरी सेवाएं प्रभावित न हों. मॉल्स और बाज़ारों में बिजली काटी गई लेकिन जीवनरक्षक संस्थान चालू रहे.
लोगों में हलचल लेकिन डर नहीं
हालांकि रात के वक्त अचानक बिजली कटने और सायरन की आवाज़ से कुछ लोग घबरा गए, लेकिन जिला प्रशासन की समय रहते जारी की गई सूचना और लोगों की जागरूकता ने माहौल को शांत बनाए रखा. कई लोगों ने सोशल मीडिया पर भी इसे लेकर प्रतिक्रिया दी और ऐसे अभ्यासों को ज़रूरी बताया.
देशभर में चल रहे इस तरह के सिविल डिफेंस अभ्यास दिखाते हैं कि सरकार और प्रशासन किसी भी आपात स्थिति के लिए सतर्क है. साथ ही, इससे आम लोगों को भी यह सीखने का मौका मिलता है कि मुसीबत के समय कैसे शांत रहकर सही कदम उठाना है.