भारत-पाक युद्ध, मानसून ने भी नहीं दिया साथ... देश में पेश हुआ था 'ब्लैक बजट', जानिए क्या है ये, क्यों हुई थी इसकी चर्चा
यह बजट ऐसे दौर में पेश किया गया जब देश आर्थिक संकट से जूझ रहा था. बजट पेश होते ही देशभर में यह ब्लैक बजट के नाम जाना गया. अब एक बार फिर बजट की चर्चा शुरू हो गई है. इसे पेश करते समय तत्कालीन वित्त मंत्री यशवंतराव चव्हाण ने जो भाषण दिया था वो भी चर्चा में रहा. बजट पेश करते हुए उन्होंने कहा था, देश में सूखे के कारण हालात बिगड़े हैं. खाद्यान्न उत्पादन में भारी कमी आई, इससे बजटीय घाटा बढ़ा. अब ब्लैक बजट पेश करने की नौबत आ गई है.

देश की वित्त मंत्री निर्मला सितारमण 1 फरवरी 2025 को बजट पेश करने वाली है. इस बजट पर लोगों की निगाहें टिकी हुई है. इस बजट को लेकर कई दिनों से चर्चाएं चल रही हैं. हर वर्ग अपने-अपने हिसाब से राहत की उम्मीदें लगाए बैठा है. यह आजाद भारत का 77वां आम बजट होगा. आजाद भारत में 2025 से पहले तक 76 आम बजट, 14 अंतरिम बजट और चार विशेष बजट या लघु बजट पेश किए जा चुके हैं.
पर बजट को लेकर जो सबसे हैरान और चौंकाने वाली जानकारी है उसके बारे में इक्का-दुक्का लोग ही जानते हैं. जी हां, हम जिस बजट की बात कर रहे हैं, उसे ब्लैक बजट कहते हैं. आजाद भारत में अभी तक ऐसा मौका एक बार ही आया है जब ब्लैक बजट पेश किया गया हो. अब आप जानने चाह रहे होंगे कि आखिर ब्लैक बजट होता क्या है. यहां हम आपको विस्तार से बताएंगे कि क्या है ब्लैक बजट. इसे कब पेश किया गया और इसके पीछे क्या वजह थी.
यह बजट ऐसे दौर में पेश किया गया जब देश आर्थिक संकट से जूझ रहा था. बजट पेश होते ही देशभर में यह ब्लैक बजट के नाम जाना गया. अब एक बार फिर बजट की चर्चा शुरू हो गई है.
क्यों पेश करना पड़ा था ब्लैक बजट?
भारत में अब तक 1973 में ही ब्लैक बजट पेश किया गया था. इसके पीछे एक बड़ी वजह भी थी. साल, 1971 में भारत-पाकिस्तान युद्ध की वजह से खर्च बढ़ने पर आर्थिक स्थिति काफी खराब हो गई थी. इसके अलावा इस साल में बारिश भी ठीक से नहीं हुई थी. इससे खेती प्रभावित हुई थी. इन जटिल परिस्थितियों में सरकार की इनकम कम और खर्च ज्यादा हो गया था. इस वजह से इंदिरा गांधी की सरकार को ब्लैक बजट पेश करना पड़ा था. उस समय के वित्त मंत्री यशवंत राव बी चव्हाण ने ब्लैक बजट पेश किया था.
ऐसे नाम पड़ा काला बजट?
इसे काला बजट नाम इसलिए नाम दिया क्योंकि यह घाटे का बजट था. साल 1973-74 का यह बजट 550 करोड़ रुपए के घाटे का था. इसे पेश करते समय तत्कालीन वित्त मंत्री यशवंतराव चव्हाण ने जो भाषण दिया था वो भी चर्चा में रहा. बजट पेश करते हुए उन्होंने कहा था, देश में सूखे के कारण हालात बिगड़े हैं. खाद्यान्न उत्पादन में भारी कमी आई, इससे बजटीय घाटा बढ़ा. अब ब्लैक बजट पेश करने की नौबत आ गई है.
जब सरकार का खर्च उसकी कमाई की तुलना में ज्यादा होता है तो कई तरह की कटौती करनी पड़ती हैं. ऐसे बजट को ब्लैक बजट कहा जाता है. मान लीजिए सरकार की कमाई का बजट एक हजर रुपए है, लेकिन सरकार का खर्च 1200 रुपए आ रहा है तो सरकार को कटौती करनी होगी. हालांकि, आजाद भारत में सिर्फ एक बार ही ब्लैक बजट किया गया. इंदिरा गांधी सरकार ने 550 करोड़ रुपए के घाटे का बजट पेश किया था जो देश में चर्चा का विषय बना था.
कैसे-कैसे बजट?
इसके बाद कई बजट पेश किए जिन्हें कई अलग-अलग नामों से जाना गया. जैसे- ड्रीम बजट, रोलबैक बजट, मिलिनियम बजट और वंस इन अ सेंचुरी बजट. इन्हें ये नाम इनकी खूबियों के कारण दिए गए थे. 1997-98 के बजट को ‘ड्रीम बजट’ कहा गया था. इसे पेश किया था तत्कालीन वित्तन मंत्री पी.चिदंबरम ने इस बजट में कई आर्थिक सुधार पेश किए, जिनमें आयकर दरों को कम करना, कॉर्पोरेट कर अधिभार को हटाना और कॉर्पोरेट कर दरों को कम करना शामिल रहा.


