कौन हैं माया राम नट? सूअर के बेचकर बहू को लड़वा रहे हैं चुनाव
जांजगीर-चांपा लोकसभा सीट के लिए माया राम नट ने सूअर बेचकर नामांकन पत्र खरीदा है. इस बार उन्होंने बहू विजय लक्ष्मी को असंख्य समाज पार्टी से चुनावी मैदान में उतार रहे हैं
Lok sabha Election 2024: लोकसभा सीट के लिए बूथ, ईवीएम मशीन, पहले चरण की वोटिंग के लिए तैयार है. छत्तीसगढ़ में जांजगीर-चांपा में रहने वाले माय राम नट में सूएर बेचकर अपनी बहू को सांसद की सीट के लिए खड़ा किया है. उन्होंने सूएप बेचकर नांमकन पत्र खरीदा है. वो अपनी बहू को असंख्य समाज पार्टी से चुनावी मैदान में उतार रहे हैं. आपको बता दें, इससे पहले, वो खुद भी पंचायत, जनपद और विधानसभा का चुनाव लड़ चुनाव लड़ चुके हैं.
चुनाव लड़ने का जुनून
मायाराम नट घुमंतू महंत गांव के रहने वाला हैं. इनका पूरा समुदाय करतब दिखाकर अपना पेट पालता है,. साल 2000 में मायाराम चुनाव लड़ने का इतना जुनून सवार था कि वो चुनावी मैदान में क्षेत्र क्रमांक 2 से कमला देवी पाटले के प्रतिद्वंदी रहे थे. जो की दो बार बीजेपी की सांसद रह चुकी हैं. विधानसभा लोकसभा और जिला पंचायत के साथ साल 2004 से जनपद का चुनाव मयाराम लड़े हैं.
सूअर बेचकर खरीदा नांमकन
साल 2000 से मायाराम नट चुनाव लड़ रहे हैं. जिसमे वो पंच थे. वहीं साल 2005 में उन्होंने जिला पंचायत सदस्य का चुनाव लड़ा. इसके बाद साल 2009 में लोकसभा चुनाव के लिए 2013 और 2018 में जांजगीर चांपा विधानसभा से चुनाव लड़ा. इसके साथ ही अपनी पत्नी को जिला पंचायत चुनाव में खड़ा किया. आपको बता दें, मायाराम नट के पास एक इंच तक जमीन नहीं है वो सूअर पालन का काम करते हैं. लेकिन चुनाव लड़ने का कोई भी मौका वो नहीं छोड़ते हैं.
एक इंच तक जमीन नहीं
मायाराम नट नांमकन फार्म खरीदने के लिए सूअर बेचते हैं. उनके पास 100 से ज्यादा सूअर हैं. उनकी कीमत 10 हजार रुपये हैं. छोटे सूअर की कीमत 3 से 5 हजार है. उनकी ये कोशिश रहती है कि 2 से 3 लाख रुपये इक्ट्ठा कर लें. फिर गाड़ी किराए पर लेकर प्रचार के लिए निकलें. मायाराम नट का बेटा शिक्षक है और बहू जनपद सदस्य. घुमंतु समाज की वजह से उनके बच्चों का जाति प्रमाण पत्र नहीं पता है.