जब मुख्तार अंसारी ने कहा था- तूफान कर रहा था मेरे अज्म का तवाफ, दुनिया समझ रही थी कश्ती भंवर में है

Mukhtar Ansari: कुख्यात अपराध को अंजाम देकर माफिया से राजनेता बना मुख्तार अंसारी का 28 मार्च को निधन हो गया है. उत्तर प्रदेश के बांदा जेल में हार्ट अटैक आने की वजह से माफिया की मौत हुई है.

JBT Desk
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Mukhtar Ansari: माफिया से राजनीति की चादर ओढ़ने वाले मुख्तार अंसारी का गुरुवार 28 मार्च को निधन हो गया है. 2 दिन पहले बांदा जेल में उनकी तबीयत बिगड़ने के बाद गंभीर हालत में दुर्गवती मेडिकल कॉलेज में भर्ती कराया गया था. जहां इलाज के दौरान उनकी मौत हो गई है.  प्रतिष्ठी परिवार से ताल्लुक रखने वाले मुख्तार अंसारी के कई किस्से सोशल मीडिया पर छाई हुई है. इस बीच हम आपको उनका एक दिलचस्प किस्सा बताने जा रहे हैं जब उन्होंने अपनी बहादुरी जाहिर करते हुए एक शेर सुनाया था.

दरअसल, यह किस्सा उस दौरान का है जब वह मनी लॉन्ड्रिंग केस में ईडी की रडार पर थे. उस दौरान जब वह पूछताछ के बाद जेल के लिए रवाना हो रहे थे तब उन्होंने एक शेर सुनाया था.

मार्च 2020 मुख्तार अंसारी के खिलाफ प्रवर्तन निदेशालय का प्रयागराज इकाई ने मनी लॉन्ड्रिंग का मामला दर्ज किया था. इस मामले में मुख्तार के साथ उसके बेटे अब्बसाल और साले सरजील उर्फ आतिफ के खिलाफ भी चार्जशीट दाखिल हुई थी. 14 दिसंबर 2022 को कोर्ट ने मुख्तार अंसारी को ईडी की कस्टडी में भेजा था. 5 दिन का रिमांड पूरा होने के बाद ईडी ने वापस उसे बांदा जेल भेज दिया था.

मुख्तार अंसारी ने दिलचस्प अंदाज में पढ़ा था ये शेर

इसी दौरान कोर्ट परिसर से निकलते हुए मुख्तार अंसारी ने मीडिया कर्मी से बातचीत की. पहले तो उन्होंने बोलने पर पाबंदी है ऐसा बोलकर चुप्प हो गए लेकिन बाद में मुस्कुराते हुए दिलचस्प अंदाज में एक शेर पढ़ा जो उस दौरान चर्चा का विषय बन गया था. ''तूफान कर रहा था मेरे अज्म का तवाफ़, दुनिया समझ रही थी कश्ती भँवर में है''. मुख्तार अंसारी के इस शेर के कई मायने निकाले गए थे.

मुख्तार अंसारी का गौरवशाली इतिहास

मुख्तार अंसारी भले ही अपराध की दुनिया के बादशाह है लेकिन उसके परिवार की पहचान एक प्रतिष्ठित राजनीति के रूप में है. मऊ में अंसारी परिवार का गौरवशाली इतिहास रहा है. मुख्तार के दादा डॉ. मुख्तार अंसारी स्वतंत्रता संग्राम आंदोलन के दौरान 1926-27 में इंडियन नेशनल कांग्रेस के अध्यक्ष रहे और गांधी जी के भी बेहद करीबी थे. मुख्तार के दादा की याद में दिल्ली की एक रोड का नाम उनके नाम पर रखा गया है.

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29 March 2024, 12:12 PM IST

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