South korea: कुत्ते का मांस खाने पर साउथ कोरिया की सरकार ने क्यों दी है छूट?, जानें इसका इतिहास

South korea: साउथ कोरिया की सरकार ने कुत्ते के मांस को खाने के व्यापार पर रोक लगा दी है. जिसके बाद से ये मुद्दा काफी चर्चा में आ गया है. हर किसी के विचार इस पर अलग- अलग है. आईये जानते साउथ कोरिया में कुत्ते का मांस खाने का इतिहास.

Ayushi Chauhan
Ayushi Chauhan

South korea: साउथ कोरिया देश में कुत्ते का मांस खाना काफी पुरानी परंपरा है. अब इस परंपरा के खिलाफ बढ़ते विरोध को देखते हुए सरकार ने कुत्ते के मांस के व्यापार पर रोक लगा दिया. मगर, इस प्रतिबंध के बावजूद आम लोग चाहें तो अब भी कुत्ते के मांस का सेवन कर सकेंगे.

9 जनवरी को बिल पारित

दक्षिण कोरिया में संसद में मंगलवार यानि 9 जनवरी को कुत्ते के मांस के उत्पादन और बिक्री पर रोक लगाने वाला एक बिल पारित किया, इस बिल में पशु कल्याण के लिए "ऐतिहासिक जीत" बताया. हालाँकि कुत्ते के मांस को खाना अपराध नहीं माना जा रहा है, लेकिन बिल का उद्देश्य 2027 तक कुत्तों की बिक्री, वितरण, कसाई और उनके मांस बेचने पर प्रतिबंध लगाना है. 

बिल क्या कहता है?

विधेयक का उद्देश्य वास्तव में कुत्तों के उपभोग पर प्रतिबंध लगाए बिना उनके क्रूर वध को रोकना है. कार्यकर्ताओं के मुताबिक, जब मांस के लिए कुत्तों को मारा जाता है तो उन्हें बिजली का झटका दिया जाता है या फांसी दे दी जाती है. हालाँकि, प्रजनकों और व्यापारियों ने तर्क दिया है कि हाल के वर्षों में वध अधिक मानवीय हो गया है. इस बिल को 2027 में लागू किया जाएगा, जिसमें कुत्ते फार्म मालिकों, मांस रेस्तरां और व्यापार में अन्य श्रमिकों को अपना व्यवसाय बंद करने या रोजगार के वैकल्पिक स्रोत खोजने के लिए तीन साल की छूट दी जाएगी .

इस बिल के तहत, खाने के लिए कुत्तों को मारने पर 30 मिलियन वॉन (लगभग 19 लाख रुपये) तक का जुर्माना या तीन साल तक की कैद हो सकती है.  कुत्तों को बेचने और पालने पर भी 2 साल की जेल की सजा या 12.58 लाख रुपये का जुर्माना लग सकता है. 

कुत्ते का मांस खाने का इतिहास

कुत्ते का मांस साउथ कोरिया में काफी समय से खाया जाता रहा है.एक रिपोर्ट के मुताबिक यहां पुराने टाईम में गाय काफी कीमती थीं. 19वीं सदी तक उन्हें काटने के लिए सरकार से अनुमति लेनी पड़ती थी. इस बात की जानकारी डॉ जू यंग-हा ने दी है, जो कोरियाई कॉलेज में मानव विज्ञान के प्रोफेसर हैं.

कोरिया में रहने वाले लोगों को प्रोटीन की काफी कमी महसूस हुई. इसके बाद कुत्ते का मांस उनके लिए सबसे बेस्ट ऑप्शन बन गया. हर उम्र के लोगों ने कुत्ते का मांस खाना शुरु कर दिया. लेकिन उन ही में से कुछ लोग ऐसे है जो कुत्ते का मांस नही खाते थे. जैसे-जैसे समय बदलता गया कुत्ते के मांस की कई तरह की डिश बनने लगी जिसको लोग खूब मजे से खाते थे. उन डिश में से एक सबसे फेमस डिश बोसिन्तांग है. इस डिश में कुत्ते के मांस का सूप होता है. 

साउथ कोरियाई देश में लोगों का मानना है की कुत्ते का सूप मांस पचाने का बेहद आसान तरीका है. इसे खाने से खाना आसानी से पच जाता है. लेकिन अब सरकार ने एक नया बिल पेश किया है जो कुत्ते के मांस के व्यापार पर प्रतिबंध लगा जाएगा. बता दें 1960 के दशक में भी सरकार ने कुत्ते के मांस के व्यापार पर रोक लगाया था. फिर 1980 के दशक में हटा दिया गया था. 

प्रतिबंध लगाने का कारण

साउथ कोरिया में कुत्ते का मांस खाने का चलन काफी समय से विवाद पर चल रहा था. पिछली कई सरकारों ने ये कानून लाने पर काफी बार विचार किया है, मगर लागू नहीं करवा सके. बता दें राष्ट्रपति यूं सुक येओल ने सत्ता में आए दो साल से भी कम समय ये बिल पारित करा दिया था.  

पश्चिमी देशों में कुत्ते को लोग पालतू जानवर मानते हैं. कुत्ते का मांस खाना लोगों को काफी निंदनीय लगता है. साल 2018 में ओलंपिक खेलों के दौरान  साउथ कोरिया को अंतरराष्ट्रीय आलोचना का सामना करना पड़ा था. जब पता चला कि इवेंट कमेटी डॉग के मीट वाले रेस्टोरेंट की सिफारिश कर रही थी. कुछ लोगों ने नून आ जाने के बाद भी विरोध किया है. वहां के लोगों को मानना है की ये एक सदियों पुरानी परंपरा है जिसे खत्म नहीं किया जाना चाहिए.

भारत में क्या है कानून

साल 2020 के जुलाई में नागालैंड ने राज्य में कुत्ते के मांस के व्यापार और बिक्री पर रोक लगाने की घोषणा की. वहीं, पिछले साल जून में, गौहाटी उच्च न्यायालय की कोहिमा पीठ ने आधुनिक समय में भी नागाओं के बीच कुत्ते की खपत को "एक स्वीकृत मानदंड" मानने वाले आदेश को रद्द कर दिया था.

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16 January 2024, 01:06 PM IST

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