पूजा के बाद क्यों जल में बहा दी जाती है बप्पा की मूर्ति? जानें इसकी असल वजह
गणेश विसर्जन की कथा के पीछे एक दिलचस्प कहानी है. ऐसा माना जाता है कि भगवान गणेश त्योहार के आखिरी दिन अपने माता-पिता भगवान शिव और देवी पार्वती से मिलने के लिए कैलाश पर्वत पर लौटते हैं. ऐसा माना जाता है कि गणेश जी की मूर्ति विसर्जन के साथ-साथ ब्प्पी अपने साथ घर की विभिन्न बाधाओं को भी दूर ले जाते हैं.
गणेश चतुर्थी
गणेश चतुर्थी हिंदुओं के सबसे प्रसिद्ध त्योहारों में से एक है. इस त्योहार को विनायक चतुर्थी के नाम से भी जाना जाता है. यह त्यौहार 10 दिन तक चलता है. इस दौरान भक्त अपने घर पर बप्पा की मूर्ति या प्रतिमा की स्थापना करते हैं और विधिवत पूजा करते हैं. हालांकि पूजा के बाद बप्पा की मूर्ति को पानी में विसर्जित कर दिया जाता है. लेकिन क्या आप जानते हैं कि ऐसा क्यों किया जाता है? अगर नहीं तो चलिए जानते हैं.
भगवान गणेश
भगवान गणेश के जन्मदिन के अवसर पर हर साल भारत में गणेश चतुर्थी मनाया जाता है. ग्रेगोरियन कैलेंडर के अनुसार, यह त्यौहार अगस्त या सितंबर के महीने में आता है. गणेश चतुर्थी पूरे देश में बहुत धूमधाम और भव्यता के साथ मनाई जाती है. कई विशेषज्ञों का मानना है कि गणेश चतुर्थी उत्सव का इतिहास सातवाहन, राष्ट्रकूट और चालुक्य राजवंशों के शासनकाल तक जाता है.
गणेश चतुर्थी की शुरुआत
ऐतिहासिक अभिलेखों के अनुसार, महान मराठा नेता छत्रपति शिवाजी महाराजा ने राष्ट्रवाद की भावना को बढ़ावा देने के लिए महाराष्ट्र में गणेश चतुर्थी समारोह की शुरुआत की थी. त्योहार के आखिरी दिन गणेश विसर्जन की परंपरा होती है. इस बीच आज हम आपको बप्पी के विसर्जन से जुड़ी कुछ दिलचस्प बातें बताने जा रहे हैं जिसका कनेक्शन महाभारत से है.
विसर्जन
आप सब जानते होंगे कि भगवान गणपति की मूर्ति का विसर्जन किसी नदी, समुद्र या जल निकाय में होता है. त्यौहार के पहले दिन, भक्तगण अपने घरों, सार्वजनिक स्थानों और कार्यालयों में भगवान गणेश की मूर्ति स्थापित करके गणेश चतुर्थी की शुरुआत करते हैं. और अंतिम दिन, भक्तगण अपने प्रिय भगवान की मूर्तियों को लेकर जुलूस निकालते हैं और फिर पानी में उनको विसर्जन करते हैं.
गणेश विसर्जन की कथा
गणेश विसर्जन की कथा के पीछे एक रोचक कहानी है. ऐसा माना जाता है कि भगवान गणेश त्यौहार के आखिरी दिन अपने माता-पिता भगवान शिव और देवी पार्वती से मिलने के लिए कैलाश पर्वत पर लौटते हैं. पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, श्री वेदव्यास ने गणेश चतुर्थी से श्रीगणेश को महाभारत कथा लगातार दस दिन तक सुनाई थी.
गणेश विसर्जन
कथा के अनुसार दस दिन बाद जब वेद व्यास जी ने आंखें खोलीं तो पाया कि दस दिन की मेहनत के बाद गणेश जी का तापमान बहुत बढ़ गया है. ऐसे में वेद व्यास जी ने तुरंत गणेश जी को निकट के सरोवर में ले जाकर ठंडे पानी से स्नान कराया था. कहते हैं कि इसलिए गणेश स्थापना कर चतुर्दशी को उनको शीतल किया जाता है.