Kharmas 2025 Niyam: क्या होता है खरमास, कब से शुरू हो रहा है और इस दौरान क्या करें–क्या न करें
हिंदू धर्म और ज्योतिष में खरमास का खास महत्व है. यह वह समय होता है जब माना जाता है कि सूर्य की ऊर्जा कम हो जाती है, और शुभ और मांगलिक कार्य वर्जित होते हैं. यह समय खासकर उन लोगों के लिए महत्वपूर्ण है जो शादी और गृह प्रवेश जैसे कार्यक्रम प्लान कर रहे हैं, क्योंकि खरमास के दौरान ऐसे समारोह करना अशुभ माना जाता है.

नई दिल्ली: हिंदू धर्म और ज्योतिष में खरमास का विशेष महत्व माना गया है. यह वह अवधि होती है, जब सूर्यदेव का तेज कम हो जाता है और शुभ व मांगलिक कार्यों पर रोक लग जाती है. विवाह, गृह प्रवेश जैसे कार्यों की योजना बनाने वालों के लिए यह समय बेहद महत्वपूर्ण होता है, क्योंकि खरमास के दौरान ऐसे आयोजन करना वर्जित माना जाता है. ऐसे में यह जानना जरूरी है कि खरमास क्या होता है, इसकी शुरुआत कब से हो रही है और इस दौरान किन बातों का पालन करना चाहिए.
क्या होता है खरमास?
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, जब सूर्यदेव गुरु बृहस्पति की राशि धनु या मीन में प्रवेश करते हैं, तब खरमास की शुरुआत होती है. इस समय सूर्य की गति और प्रभाव कमजोर माना जाता है, इसलिए किसी भी शुभ कार्य के लिए यह अवधि अनुकूल नहीं मानी जाती. सूर्य जब मकर राशि में प्रवेश करते हैं, यानी मकर संक्रांति के दिन खरमास समाप्त हो जाता है.
कब से शुरू हो रहा है खरमास?
सूर्यदेव 16 दिसंबर को सुबह 4 बजकर 19 मिनट पर धनु राशि में प्रवेश करेंगे. ज्योतिष मान्यता के अनुसार, यदि सूर्य का गोचर सूर्योदय से पहले हो जाए, तो उसी दिन से खरमास मान लिया जाता है. ऐसे में खरमास की शुरुआत 15 दिसंबर से मानी जाएगी. इसका पुण्यकाल 16 दिसंबर की सुबह 4 बजकर 30 मिनट से 10 बजकर 45 मिनट तक रहेगा, जिसमें 4:30 से 9:30 बजे का समय सबसे श्रेष्ठ माना गया है. यह अवधि लगभग 30 दिनों तक रहेगी और मकर संक्रांति पर समाप्त होगी.
खरमास में क्या नहीं करना चाहिए?
खरमास के दौरान किसी भी शुभ या मांगलिक कार्य से बचने की सलाह दी जाती है. इस समय गृह प्रवेश, विवाह, सगाई, मुंडन संस्कार, गृह निर्माण और गोद भराई जैसे कार्य वर्जित माने जाते हैं. इसके अलावा नए वाहन या घर की खरीदारी भी इस अवधि में नहीं करनी चाहिए.
मान्यता है कि खरमास में वाद-विवाद से दूर रहना चाहिए और मांस-मदिरा का सेवन नहीं करना चाहिए, क्योंकि इसका जीवन पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है.
खरमास में क्या करना चाहिए?
यह अवधि धार्मिक और आध्यात्मिक कार्यों के लिए बेहद शुभ मानी जाती है. खरमास में दान-पुण्य करने से विशेष फल की प्राप्ति होती है. जरूरतमंद व्यक्ति को इस दौरान खाली हाथ नहीं लौटाना चाहिए.
रामायण, श्रीमद्भगवद्गीता और सत्यनारायण कथा का पाठ करना लाभकारी माना जाता है. साथ ही पूजा-पाठ, हवन और सूर्यदेव की उपासना करने से जीवन में सकारात्मक ऊर्जा आती है. इस दौरान भगवान शिव और भगवान विष्णु की आराधना करने से कष्टों से मुक्ति मिलने की मान्यता भी है.
कुल मिलाकर, खरमास भले ही मांगलिक कार्यों के लिए अशुभ माना जाए, लेकिन यह आत्मशुद्धि, साधना और दान के लिए एक उत्तम समय है.


