ॐलोक आश्रम: गायत्री मंत्र की तरह महामर्त्युंजय मंत्र भी परमात्मा की स्तुति प्रार्थना व उपासना का महामंत्र है

यहाँ भक्त ईश्वर से प्रार्थना करता है कि - "हे ईश्वर ! आप निराकार, सर्वव्यापक, तीनों लोकों के स्वामी, सर्वज्ञ और सब जगत को पुष्टि प्रदान करने वाले हो, सबके पालनहार हो ।

Janbhawana Times
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महामृत्युंजय मंत्र :

ओ३म् त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम्।

उर्वारुकमिवबन्धनान्मृत्योर्मुक्षीयमाऽमृतात् ।।

(ऋग्वेद ७ मंडल,५९ सूक्त,१२ मन्त्र)।

अर्थात् हे मनुष्यों! जिस (सुगंधिम) अच्छे प्रकार पुण्यरूप यशयुक्त, (पुष्टिवर्धनम् ) पुष्टि बढ़ाने वाले, (त्रयम्बकम् ) तीनों कालों में रक्षण करने वा तीन अर्थात् जीव (जीवात्मा), कारण और कार्यों की रक्षा करने वाले परमेश्वर को हम, (यजामहे) लोग उत्तम प्रकार प्राप्त होवें उसकी आप लोग भी उपासना करिये और जैसे मैं, (बन्धनात् ) बन्धन से (उर्वारुकमिव) खरबूजा के फल के सदृश्य, (मृत्यो:) मरण से, (मुक्षीय ) छूटू "वैसे आप लोग भी, (अमृतात् ) छूटिये जैसे मैं मुक्ति से न छूटे" वैसे आप मुक्ति की प्राप्ति से विरक्त,(मा,आ) मत होईए ।

यहाँ भक्त ईश्वर से प्रार्थना करता है कि - "हे ईश्वर ! आप निराकार, सर्वव्यापक, तीनों लोकों के स्वामी, सर्वज्ञ और सब जगत को पुष्टि प्रदान करने वाले हो, सबके पालनहार हो । जिस प्रकार खरबूजा सुगन्धि व रस से पक कर बेल रुपी बन्धन से स्वत: ही अलग हो जाता है उसी प्रकार हम भी आपकी भक्ति द्वारा ज्ञान बल व आनन्द में परिपक्व होकर इस संसार रुपी बन्धन से छूट कर पूर्ण आयु प्राप्त कर मोक्ष को प्राप्त हो जावें।"

गायत्री मंत्र की तरह महामर्त्युंजय मंत्र भी परमात्मा की स्तुति प्रार्थना व उपासना का महामंत्र है । एकांत में शांतचित से किया गया जप न केवल रोग दोष निवारक है अपितु मृत्यु को भी टालने की क्षमता रखने वाला महामंत्र है । पूरी सृष्टि ही उस भगवान भोले नाथ का ही श्रंगार है, रात्रि को चांद तारों से सजे आकाश , कल-कल करती बहती नदियां, हिम से ढकी पर्वत मालाएँ , रिमझिम वर्षा करते बादल सब प्रभु की इच्छा से ही सम्पूर्ण सृष्टि में विद्धमान हैं । शिव की उपासना से सृष्टि का अकंटक उपभोग करके तथा मरने पर मोक्ष को प्राप्त करने का एकमात्र सबसे सरल उपाय है

चिंतक 🙏

ॐलोक आश्रम

calender
07 June 2022, 01:04 PM IST

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