मथुरा शाही ईदगाह विवाद में हाईकोर्ट का बड़ा फैसला, मस्जिद को विवादित ढांचा मानने से इनकार
मथुरा शाही ईदगाह विवाद पर इलाहाबाद हाईकोर्ट का बड़ा फैसला सामने आया है। कोर्ट ने हिंदू पक्ष की उस याचिका को खारिज कर दिया है जिसमें शाही ईदगाह मस्जिद को 'विवादित ढांचा' घोषित करने की मांग की गई थी। जस्टिस राम मनोहर नारायण मिश्र की एकल पीठ ने यह स्पष्ट किया कि मस्जिद को लेकर प्रस्तुत ऐतिहासिक दस्तावेज और साक्ष्य इस मांग के लिए पर्याप्त नहीं हैं.

उत्तर प्रदेश के मथुरा में स्थित शाही ईदगाह मस्जिद और श्रीकृष्ण जन्मभूमि विवाद पर इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ पीठ ने शुक्रवार को अहम फैसला सुनाया। कोर्ट ने हिंदू पक्षकार महेंद्र प्रताप सिंह एडवोकेट की वह याचिका खारिज कर दी, जिसमें शाही ईदगाह मस्जिद को "विवादित ढांचा" घोषित करने की मांग की गई थी.
इस फैसले को हिंदू पक्ष के लिए बड़ा झटका माना जा रहा है. जस्टिस राम मनोहर नारायण मिश्र की एकल पीठ ने यह आदेश सुनाया और स्पष्ट किया कि मस्जिद को विवादित ढांचा घोषित करने के लिए प्रस्तुत तर्क और ऐतिहासिक साक्ष्य पर्याप्त नहीं माने जा सकते। अदालत के इस निर्णय से मथुरा का बहुचर्चित धार्मिक विवाद एक बार फिर चर्चाओं में आ गया है.
कोर्ट ने याचिका को किया खारिज
हिंदू पक्ष की ओर से दाखिल की गई याचिका में कहा गया था कि शाही ईदगाह मस्जिद का निर्माण पुराने मंदिर को तोड़कर किया गया था, जिसे अब विवादित ढांचा घोषित किया जाना चाहिए। हालांकि, कोर्ट ने इस तर्क को नकारते हुए याचिका खारिज कर दी.
इतिहास की किताबों और दस्तावेजों का दिया गया था हवाला
महेंद्र प्रताप सिंह एडवोकेट ने याचिका में दावा किया था कि मथुरा की जिस भूमि पर शाही ईदगाह स्थित है, वह असल में श्रीकृष्ण जन्मभूमि है. उन्होंने मसर्र आलम गिरी और एफएस ग्राउस जैसे इतिहासकारों की पुस्तकों का हवाला देते हुए कहा कि मुगल काल में इस स्थान पर मंदिर तोड़कर मस्जिद बनाई गई थी.
शाही ईदगाह पक्ष नहीं दे सका कोई ठोस दस्तावेज?
याचिका में यह भी कहा गया कि न तो खसरा-खतौनी में शाही ईदगाह का उल्लेख है, न ही नगर निगम में इसका कोई रिकॉर्ड मौजूद है। यहां तक कि मस्जिद प्रबंध कमेटी की ओर से बिजली चोरी की शिकायत भी दर्ज की जा चुकी है। एडवोकेट सिंह ने सवाल उठाया, “जब मस्जिद के अस्तित्व का कोई कानूनी या सरकारी दस्तावेज मौजूद नहीं, तो इसे मस्जिद क्यों माना जाए?”
कोर्ट ने कहा- साक्ष्य पर्याप्त नहीं
कोर्ट ने अपने आदेश में स्पष्ट किया कि याचिकाकर्ता द्वारा प्रस्तुत ऐतिहासिक साक्ष्य और दस्तावेज मस्जिद को 'विवादित ढांचा' घोषित करने के लिए पर्याप्त नहीं हैं। कोर्ट ने कहा कि इस प्रकार के दावों के लिए ठोस, कानूनी और निर्विवाद साक्ष्य आवश्यक होते हैं.
क्या है श्रीकृष्ण जन्मभूमि और शाही ईदगाह विवाद?
श्रीकृष्ण जन्मभूमि और शाही ईदगाह विवाद दशकों पुराना है। हिंदू पक्ष का कहना है कि जहां मस्जिद बनी है, वही स्थान भगवान श्रीकृष्ण का जन्मस्थान है और मुगलों ने उस स्थान पर मंदिर तोड़कर मस्जिद बनाई थी। जबकि मुस्लिम पक्ष इस स्थान को ऐतिहासिक मस्जिद के रूप में देखता है और इसे वैध धार्मिक स्थल मानता है.
आगे क्या?
हिंदू पक्षकारों का कहना है कि वे इस फैसले के खिलाफ अपील कर सकते हैं। वहीं मुस्लिम पक्ष ने कोर्ट के निर्णय का स्वागत करते हुए इसे न्याय का पक्षधर बताया है.


