बजट के बाद अब आरबीआई दे सकता बड़ी खुशखबरी, रेपो रेट में हो सकती है कटौती, जानें क्या कहते हैं एक्सपर्ट
भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) फरवरी 2023 से नीतिगत दर रेपो को 6.5 प्रतिशत पर बरकरार रखा है. इससे पहले, पिछली बार नीतिगत दर में कटौती कोविड के समय (मई 2020) की गयी थी और उसके बाद इसे धीरे-धीरे बढ़ाकर 6.5 प्रतिशत कर दिया गया था. एक्सपर्ट्स का मानना है कि चूंकि खुदरा महंगाई दर साल के ज्यादातर समय में रिजर्व बैंक के संतोषजनक दायरे (2 से 6 प्रतिशत) के भीतर रही है, इसलिए केंद्रीय बैंक सुस्त खपत से प्रभावित वृद्धि को बढ़ावा देने के लिए नीतिगत दर में कटौती को लेकर कदम उठा सकता है.

रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) इस सप्ताह मौद्रिक नीति की समीक्षा करेगा. रिपोर्ट्स के अनुसार, आरबीआई रेपो रेट में 0.25 प्रतिशत की कटौती कर सकता है. अगर ऐसा होता है तो यह बजट के बाद आम आदमी के लिए दूसरी बड़ी खुशखबरी होगी. इसके साथ ही यह बजट में खपत को बढ़ावा देने के लिए उठाये गये कदमों को मजबूती देगा. हालांकि रुपये में गिरावट अभी भी चिंता का विषय बनी हुई है. एक्सपर्ट्स का मानना है कि चूंकि खुदरा महंगाई दर साल के ज्यादातर समय में रिजर्व बैंक के संतोषजनक दायरे (2 से 6 प्रतिशत) के भीतर रही है, इसलिए केंद्रीय बैंक सुस्त खपत से प्रभावित वृद्धि को बढ़ावा देने के लिए नीतिगत दर में कटौती को लेकर कदम उठा सकता है.
पिछली कटौती मई 2020 में
भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) फरवरी 2023 से नीतिगत दर रेपो को 6.5 प्रतिशत पर बरकरार रखा है. इससे पहले, पिछली बार नीतिगत दर में कटौती कोविड के समय (मई 2020) की गयी थी और उसके बाद इसे धीरे-धीरे बढ़ाकर 6.5 प्रतिशत कर दिया गया था.
5 फरवरी से एमपीसी की बैठक
रिजर्व बैंक के नवनियुक्त गवर्नर संजय मल्होत्रा बुधवार से शुरू होने वाली मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) की बैठक की अध्यक्षता करेंगे. छह सदस्यीय समिति के निर्णय की घोषणा शुक्रवार सात फरवरी को की जाएगी.
रेपो रेट में कटौती की संभावना
बैंक ऑफ बड़ौदा के मुख्य अर्थशास्त्री मदन सबनवीस ने कहा कि इस बार नीतिगत दर में कटौती की संभावना है. इसके दो कारण हैं. सबसे पहले, आरबीआई पहले ही नकदी बढ़ाने के उपायों की घोषणा कर चुका है. इससे बाजार की स्थिति में सुधार हुआ है. नीतिगत दर में कटौती के लिए यह आगे का रास्ता साफ करता है. सबनवीस ने कहा कि केंद्रीय बजट के जरिये प्रोत्साहन दिया गया है और इसे समर्थन देने के लिए रेपो दर को कम करना उचित जान पड़ता है.
आर्थिक वृद्धि के पूर्वानुमान में कुछ बदलाव की उम्मीद
रिजर्व बैंक ने 27 जनवरी को बैंकों में 1.5 लाख करोड़ रुपये की नकदी डालने के उपायों की घोषणा की है. उन्होंने कहा कि हम विशेष रूप से आर्थिक वृद्धि के पूर्वानुमान में कुछ बदलाव की उम्मीद कर सकते हैं. इसका कारण राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय (एनएसओ) ने चालू वर्ष के लिए 6.4 प्रतिशत का अनुमान लगाया था. यह देखना दिलचस्प होगा कि क्या आरबीआई वित्त वर्ष 2025-26 के लिए वृद्धि दर का अनुमान देगा. हालांकि इसकी घोषणा आमतौर पर अप्रैल की मौद्रिक नीति समीक्षा में की जाती है.