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ट्रंप की टैरिफ नीति बेअसर? SBI रिसर्च ने पेश किए चौंकाने वाले आंकड़े

एसबीआई रिसर्च की नवीनतम रिपोर्ट के अनुसार, वैश्विक बाजारों में उतार-चढ़ाव के बावजूद भारत का निर्यात क्षेत्र मजबूत बना हुआ है.

Suraj Mishra
Edited By: Suraj Mishra

एसबीआई रिसर्च की नवीनतम रिपोर्ट के अनुसार, वैश्विक बाजारों में उतार-चढ़ाव के बावजूद भारत का निर्यात क्षेत्र मजबूत बना हुआ है. वित्त वर्ष 2026 की अप्रैल से सितंबर अवधि में भारतीय निर्यात 220 अरब डॉलर के स्तर पर पहुंच गया, जो पिछले वर्ष की इसी अवधि के 214 अरब डॉलर की तुलना में करीब 2.9 प्रतिशत अधिक है.

संयुक्त राज्य अमेरिका को होने वाला निर्यात बढ़ा

रिपोर्ट के मुताबिक, संयुक्त राज्य अमेरिका को होने वाला निर्यात भी उल्लेखनीय रूप से बढ़ा है और यह 13 प्रतिशत की वृद्धि के साथ 45 अरब डॉलर तक पहुंच गया है. हालांकि, सितंबर माह में सालाना आधार पर निर्यात में लगभग 12 प्रतिशत की गिरावट दर्ज की गई. अमेरिका भारत का एक महत्वपूर्ण निर्यात बाजार बना हुआ है, लेकिन इसकी हिस्सेदारी में कमी देखने को मिल रही है. जुलाई 2025 से अब तक अमेरिकी बाजार की हिस्सेदारी घटकर सितंबर 2026 में 15 प्रतिशत रह गई. 

समुद्री उत्पादों के निर्यात में भी अमेरिका की हिस्सेदारी में गिरावट आई है. यह वित्त वर्ष 2025 में 20 प्रतिशत थी, जो सितंबर 2026 में 15 प्रतिशत पर पहुंच गई. इसी तरह, कीमती पत्थरों के निर्यात में अमेरिकी बाजार का योगदान 37 प्रतिशत से घटकर केवल 6 प्रतिशत रह गया.

दूसरी ओर, अप्रैल से सितंबर के बीच समुद्री उत्पादों और तैयार सूती परिधानों के निर्यात में बढ़ोतरी दर्ज की गई. रिपोर्ट बताती है कि भारत का निर्यात बाजार अब अधिक भौगोलिक विविधता की ओर बढ़ रहा है. संयुक्त अरब अमीरात, चीन, जापान, वियतनाम, हांगकांग, बांग्लादेश, श्रीलंका और नाइजीरिया जैसे देशों में भारत के कई प्रमुख उत्पादों की हिस्सेदारी बढ़ी है. एसबीआई रिसर्च का यह भी मानना है कि कुछ देशों में होने वाली वृद्धि वास्तव में अमेरिकी बाजार में अप्रत्यक्ष निर्यात का संकेत भी हो सकती है. उदाहरण के तौर पर कीमती पत्थरों में ऑस्ट्रेलिया का अमेरिकी आयात में हिस्सा 2 प्रतिशत से बढ़कर 9 प्रतिशत और हांगकांग का हिस्सा 1 प्रतिशत से बढ़कर 2 प्रतिशत तक पहुंच गया है.

सरकार ने निर्यातकों को राहत देने के लिए 45,060 करोड़ रुपये के पैकेज को मंजूरी दी है, जिसमें 20,000 करोड़ रुपये की क्रेडिट गारंटी सुविधा शामिल है. यह कदम उस समय उठाया गया है जब भारत को अमेरिकी टैरिफ नीतियों के कारण कपड़ा, आभूषण और समुद्री खाद्य क्षेत्र विशेषकर झींगा निर्यात में चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है. वैश्विक वित्तीय अनिश्चितताओं के बीच भारतीय रुपये पर भी दबाव देखा गया और शुक्रवार को यह डॉलर के मुकाबले 89.49 के स्तर पर बंद हुआ.

भारत का राजकोषीय घाटा घटा

वहीं, वित्त वर्ष 2026 की पहली तिमाही में भारत का राजकोषीय घाटा घटकर जीडीपी के 0.2 प्रतिशत पर आ गया, जो पिछले वर्ष के 0.9 प्रतिशत से काफी बेहतर है. एसबीआई रिसर्च का अनुमान है कि अगले कुछ महीनों में घाटा थोड़ा बढ़ सकता है, हालांकि वित्त वर्ष के अंत तक स्थिति फिर से संभलने की उम्मीद है. पूरे वर्ष का राजकोषीय घाटा जीडीपी के 1.0 से 1.3 प्रतिशत के बीच रहने का अनुमान जताया गया है, जबकि भुगतान संतुलन का अंतर लगभग 10 अरब डॉलर तक हो सकता है.

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22 November 2025, 10:06 PM IST

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