भारत को राहुल ने किया बदनाम

कांग्रेस के युवराज राहुल गाँधी ने इस बार विदेश में देश का नाम बड़ी बुरी तरह रौशन किया है. ऐसा लगा जैसे वे इंतज़ार में ही थे कि इंग्लैण्ड जा कर कब भारत की मिटटी पलीद करें

Janbhawana Times
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कांग्रेस के युवराज राहुल गाँधी ने इस बार विदेश में देश का नाम बड़ी बुरी तरह रौशन किया है. ऐसा लगा जैसे वे इंतज़ार में ही थे कि इंग्लैण्ड जा कर कब भारत की मिटटी पलीद करें. ऐसे चिराग आपको दुनिया में कम ही मिलेंगे जो अपने घर को आग लगा देते हैं. राहुल गाँधी ने अब इस तरह भी अपना नाम रौशन कर लिया है. वैसे तो जो बात राहुल गांधी ने लंदन जाकर कही बिलकुल नई बात नहीं है.

बात करें भारत की राजनीति, सरकार की, विदेश मंत्रालय की -ये सारी बातें सब जानते हैं. पर प्रश्न ये उठता है कि क्या किसी भारतीय को भारत से बाहर जा कर देश की निंदा करनी चाहिए? और वो भी अगर कोई व्यक्ति किसी देश में किसी बड़ी पार्टी का बड़ा नेता है, तब तो यह उस पर बिलकुल शोभा नहीं देता. ऐसा करना तो राष्ट्र के प्रति ऐसे व्यक्ति की कृतघ्नता को ज़ाहिर करता है. इससे पता चलता है कि आप कितने बड़े अहसान फरामोश भारतीय हैं. आप भारत में विपक्ष के नेता हैं इसलिए आप भारत में रहते हुए वे सरकार की निंदा करते हैं - यहां तक तो ठीक है -क्योंकि ये आपका धंधा है और आप निंदा नहीं करेंगे तो करेंगे क्या. और तो वैसे भी कुछ करने को आपके पास है नहीं।

ऐसी हालत में विदेश में भारत की नाक कटाना तो शर्मनाक हरकत है. सच बात तो ये भी है कि आज भारत का विपक्ष इतना थर्ड क्लास हो गया है कि उसके पास निंदा के अलावा कोई धंधा ही नहीं है. भारत में आज विपक्ष की न कोई अपनी विचारधारा है, न कोई सिद्धांत है, न विपक्ष की कोई नीति है, न उसके पास कोई कार्यक्रम है, न जन-आंदोलन के कोई मुद्दे विपक्ष के पास हैं न जनहित का कोई लक्ष्य. विपक्ष तो बस सरकारी तनख्वाह लेने के लिए और निंदा करके दूकान चलाये रखने के लिए ही बचा है. और बुरी हालत ये है कि देश के विपक्ष के पास आज की तारीख में कोई नेता नहीं है. नेता तो छोड़िये कोई दिखावटी नेता भी नहीं बचा है विपक्ष के पास. जो नेता बचे हैं वे बहुत बड़े कॉमेडियन हैं. वे जब तक नहीं बोलते -लोग उनको सुनते हैं लेकिन जब वे बोलते हैं तो लोग हँसते हैं।

आज देश के कार्टून चैनल में एक छोटा भीम है तो एक मिस्टर बीन है. लेकिन हमारे देश के विपक्ष में बहुत सारे मिस्टर बीन हैं. हाल ही में एक ने तो ये भी कह दिया है कि भारत और चीन का सीमा विवाद भी रूस यूक्रेन युद्ध जैसा रूप धारण कर सकता है. एक बार तो ये भी कह दिया कि भारत विभिन राज्यों का संघ है. अब आप हँसेंगे नहीं तो और क्या करेंगे. हमारे विपक्षी नेता हंसा -हंसा कर समाजसेवा कर रहे हैं।

ये अच्छी बात है पर कुछ देश सेवा भी कर लें तो उनके भाग जाग जाएँ. ऐसे नेताओं को पढ़ने लिखने पर भी थोड़ा ध्यान देना चाहिए वर्ना भारत की तुलना यूक्रेन से करेंगे तो लोग उनकी डिग्री चेक करने की मांग कर देंगे. जीवन में पढ़ाई लिखाई बड़ी महत्वपूर्ण होती है. पहले पढ़ाई लिखे अगर ढंग से न हो पाई हो तो आज ऐसे नेताओं को अखबार ही पढ़ लेना चाहिए. रोज़ अखबार पढ़ कर भी काफी कुछ ज्ञान प्राप्त हो सकता है।

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23 May 2022, 07:12 PM IST

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