Right to Repair: राइट टू रिपेयर कानून लाने की तैयारी में सरकार, जानिए इसके बारे में..
अभी तक आपने राइट टू इन्फॉर्मेशन, राइट टू एजुकेशन, राइट टू इर्न्फोमेंशन जैसे कई राइट्स के बार में सुना होगा,
अभी तक आपने राइट टू इन्फॉर्मेशन, राइट टू एजुकेशन, राइट टू इर्न्फोमेंशन जैसे कई राइट्स के बार में सुना होगा, लेकिन अब सरकार राइट टू रिपेयर कानून लाने की तैयारी में है। अखिर सरकार इस कानून को क्यों लाना चाहती है? जानिए इस कानून के बारे में सब कुछ....
राइट टू रिपेयर कानून में यदि ग्राहक मोबाइल, टैबलेट, लैपटॉप, कार-बाइक या ट्रैक्टर के साथ मोबाइट इलेक्ट्रॉनिक, ऑटोमोबाइल और कृषि उपकरण खुद या मैकेनिक से ठीक कराते है तो अब इन सब की वारंटी पर कोई असर नहीं पड़ेगा। कस्टमर्स की सुविधा के लिए उपभोक्ता मामलों के विभाग ने ‘राइट टू रिपेयर’ कानून पर काम करना शुरू कर दिया है। यह कस्टमर्स को अपने खराब सामान को बनाने में मदद करेगा।
केंद्र सरकार एसी, फ्रिज, जैसे कंज्यूमर ड्यूरेवल्स, गैजेट्स और कार कंपनियों की मनमानी खत्म करने के लिए राइट टू रिपेयर कानून बनाने जा रही है। इससे ग्राहकों को अपने उपकरणों के रिपेयर, गारंटी-वारंटी के लिए परेशान नहीं होना पड़ेगा। सरकार इस कानून पर लगातार काम कर रही है। उपभोक्ता विभाग ने इसके लिए एक समिति का गठन किया है। इस पैनल की पहली बैठक 13 जुलाई 2022 को हो चुकी है। इस कानून में मोबाइल, लैपटॉप, टैबलेट, ऑटोमोबाइल और ऑटोमोबाइल उपकरण आदि कई चीजें शामिल है।
इस कानून के जरिए सरकार पुरानी चीजों को हटाने की संस्कृति को बदलना चाहती है। अभी ग्राहको को मोबाइल, कार की रिपेयरिंग कंपनी के सर्वीस सेंटर से ही करानी होती है। बाहर से रिपेयरिंग कराने पर इसकी वारंटी खत्म हो जाती है। लेकिन राइट टू रिपेयर कानून लागू होने पर ऐसा नहीं होगा। मैन्यूफैक्चरिंग कंपनियों के प्रोडक्ट्स की जानकारी ग्राहको को देनी होगी, जिससे वे कहीं भी इन प्रोडक्ट्स को रिपेयर करा सकेंगे।
उदाहरण के तौर पर अगर किसी व्यक्ति का लैपटॉप, मोबाइल आदि चीजें खराब हो जाती है तो ऐसी स्थिति में वह इसे ठीक करने के लिए वह किसी सर्विस सेंटर में ले जाता है तो ‘राइट टू रिपेयर’ के तहत उस सर्विस सेंटर को उस गैजेट को ठीक करके देना होगा। वह उसे यह कहकर ठीक करने से मना नहीं कर सकता कि वह पार्ट पुराना हो गया है और उसे अब रिपेयर नहीं किया जा सकता। ऐसे में कंपनी ग्राहक को नया सामान खरीदने के लिए मजबूर नहीं कर सकती है। राइट टू रिपेयर कानून के तहत कंपनी ग्राहकों के पुराने सामान को रिपेयर करने से मना भी नहीं कर पायेगी।