Uttrakhand UCC: यूसीसी बिल पर भड़के असदुद्दीन ओवैसी, विधेयक को लेकर उठाए कई सवाल

Uttrakhand UCC: उत्तराखंड विधानसभा में मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने सोमवार को बहुचर्चित समान नागरिक संहिता विधेयक पेश किया. इस विधेयक को कानून बन जाने के बाद राज्य के लोगों के जीवन में कई तरह के बदलाव होंगे.

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AIMIM Chief Asaduddin Owaisi On Uttrakhand UCC: उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने मंगलवार को राज्य के विधानसभा में समान नागरिक संहिता (UCC) विधेयक को पेश किया. इसके बाद से ही इस बिल को लेकर देश में चर्चा का माहौल शुरू हो गया. कांग्रेस समेत कई विपक्षी दलों ने इस विधेयक का विरोध करते हुए दिखें. इसी बीच AIMIM पार्टी के प्रमुख और लोकसभा सांसद असदुद्दीन ओवैसी ने भी यूसीसी को लेकर कई सवाल उठाए हैं. केंद्र की भाजपा और मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी पर निशाना साधते हुए ओवैसी ने कहा कि उत्तराखंड का समान नागरिक संहिता विधेयक सभी के लिए हिंदू कोड से ज्यादा और कुछ नहीं है.

सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स (पूर्व में ट्विटर) पर एक पोस्ट शेयर करते हुए असदुद्दीन ओवैसी ने समान नागरिक संहिता विधेयक का विरोध किया है. उन्होंने अपनी पोस्ट में लिखा, ''हिंदू अविभाजित परिवार को इसमें छुआ नहीं गया है. ऐसा क्यों? अगर आप उत्तराधिकार और विरासत के लिए समान कानून चाहते हैं तो फिर हिंदुओं को इससे बाहर क्यों रखा गया है? क्या कोई कानून एक समान माना जा सकता है अगर वो राज्य के ज्यादातर हिस्से पर लागू ही नहीं होता है''? 

'कानून का उल्लंघन है समान नागरिक संहिता विधेयक'

अपने सोशल मीडिया पोस्ट में असदुद्दीन ओवैसी ने आगे कहा कि बहुविवाह, लिव-इन रिलेशनशिप, हलाला चर्चा का विषय बने हुए हैं लेकिन कोई यह सवाल नीहीं कर रहा है कि हिंदू अविभाजित परिवार इससे बाहर क्यों हैं. कोई यह जाननें की कोशिश नहीं कर रहा कि इसकी जरूरत किस वजह से है. उन्होंने आगे यह भी कहा कि मुख्यमंत्री के अनुसार, बाढ़ के कारण उत्तराखंड को 1000 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ. 17000 हेक्टेयर भूमि जलमग्न हो गई और इसके कारण राज्य को 2 करोड़ का नुकसान हुआ है. उत्तराखंड की आर्थिक स्थिति बेहद खराब है और इस वजह से मुख्यमंत्री को इन मुद्दों पर चर्चा करनी चाहिए''. 

ओवैसी ने आगे कहा, ''यूसीसी में अन्य संवैधानिक और कानूनी मुद्दे भी हैं. मुझे मेरे धर्म और संस्कृति को मानने की आजादी प्राप्त है लेकिन यह बिल मुझे अलग धर्म और संस्कृति का पालन करने के लिए मजबूर कर रहा है. हमारे धर्म में विरासत और विवाह धार्मिक प्रथा का ही हिस्सा है, लेकिन हमें अलग प्रणाली को फॉलो करने के लिए मजबूर करना अनुच्छेद 25 और 29 का उल्लंघन है''. 

अपने सोशल मीडिया पोस्ट में किए गए कई सवालों में असदुद्दीन ओवैसी ने ये भी कहा कि यूसीसी का संवैधानिक मुद्दा भी है. केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में कहा कि यूसीसी केवल संसद द्वारा अधिनियमित किया जा सकता है. यह विधेयक शरिया अधिनियम, हिंदू विवाह अधिनियम, एसएमए, आईएसए आदि जैसे केंद्रीय कानूनों के खिलाफ है. ऐसे में राष्ट्रपति की सहमति के बिना यह कानून कैसे काम करेगा?''

First Updated : Wednesday, 07 February 2024