जम्मू-कश्मीर के वैष्णो देवी कॉलेज में 50 के बैच में 42 मुस्लिम, बीजेपी ने किया विरोध, जानें क्या है कॉलेज का पक्ष
श्री माता वैष्णो देवी इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल एक्सीलेंस में जारी MBBS प्रवेश सूची में 50 में से 42 मुस्लिम छात्रों के चयन पर भाजपा और कई हिंदू संगठनों ने आपत्ति जताई. उन्होंने प्रक्रिया की समीक्षा की मांग की, जबकि प्रशासन ने प्रवेश को पूरी तरह NEET मेरिट आधारित बताया. विवाद लगातार बढ़ रहा है.

जम्मूः जम्मू-कश्मीर में श्री माता वैष्णो देवी इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल एक्सीलेंस (SMVDIME) में मुस्लिम छात्रों के अधिक संख्या में प्रवेश को लेकर नया विवाद खड़ा हो गया है. भाजपा समेत कई हिंदू संगठनों ने संस्थान में प्रवेश प्रक्रिया पर गंभीर आपत्ति जताई है. यह मामला तब उठा जब रियासी जिले में कई संगठनों ने विरोध मार्च निकालते हुए कॉलेज प्रशासन पर ‘हिंदू छात्रों की अनदेखी’ का आरोप लगाया.
प्रवेश सूची सामने आते ही विवाद शुरू
SMVDIME ने 2025-26 सत्र के लिए अपने पहले बैच में 50 एमबीबीएस सीटों का आवंटन किया. प्रवेश सूची जारी होते ही यह विवाद शुरू हुआ क्योंकि इन 50 छात्रों में से 42 छात्र मुस्लिम, केवल 7 हिंदू और 1 सिख पाए गए. कई हिंदू संगठनों ने इसे असंतुलित और पक्षपातपूर्ण बताते हुए दावा किया कि यह संस्थान माता वैष्णो देवी श्राइन बोर्ड द्वारा दान के पैसों से संचालित होता है, इसलिए हिंदू छात्रों को प्राथमिकता मिलनी चाहिए.
भाजपा ने उठाई आधिकारिक आपत्ति
जम्मू-कश्मीर विधानसभा में विपक्ष के नेता और भाजपा के वरिष्ठ नेता सुनील शर्मा के नेतृत्व में पार्टी का एक प्रतिनिधिमंडल उपराज्यपाल मनोज सिन्हा से मिला. प्रतिनिधिमंडल ने उपराज्यपाल को एक ज्ञापन सौंपकर प्रवेश मानदंडों की तत्काल समीक्षा और सुधारात्मक कदम उठाने की मांग की. भाजपा नेताओं का कहना है कि संस्थान के उद्देश्य और इसके निर्माण में लगे धार्मिक दान को देखते हुए यहां ‘समुदाय के प्रतिनिधित्व’ को मुख्य आधार माना जाना चाहिए.
उधमपुर से भाजपा विधायक आर.एस. पठानिया ने सोशल मीडिया पर लिखा कि श्राइन बोर्ड द्वारा भक्तों के दान से निर्मित संस्थानों को वैष्णो देवी मंदिर के पवित्र लोकाचार के अनुरूप चलाया जाना चाहिए. उन्होंने श्राइन बोर्ड अधिनियम में संशोधन तक की मांग कर डाली.
हिंदू संगठनों का प्रदर्शन
युवा राजपूत सभा, राष्ट्रीय बजरंग दल और कल्कि मूवमेंट जैसे संगठनों ने इस सप्ताह विश्वविद्यालय की ओर मार्च करते हुए जोरदार विरोध दर्ज कराया. प्रदर्शनकारियों ने मुख्य गेट खोलने का प्रयास किया, जिसके बाद पुलिस ने उन्हें रोककर स्थिति संभाली. संगठनों का कहना है कि प्रवेश प्रक्रिया “समुदाय विशेष के पक्ष में झुकी” है और इसे तुरंत रद्द किया जाना चाहिए.
राष्ट्रीय बजरंग दल के अध्यक्ष राकेश बजरंगी ने आरोप लगाया कि हिंदू समुदाय के दान से बना मेडिकल कॉलेज मुस्लिम छात्रों से भर गया है, और नई प्रवेश नीति की मांग की. उन्होंने चेतावनी दी कि यदि उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने हस्तक्षेप नहीं किया, तो आंदोलन और तेज किया जाएगा.
प्रशासन का स्पष्टीकरण
वहीं, प्रशासन और श्राइन बोर्ड अधिकारियों ने स्पष्ट किया है कि SMVDIME को अल्पसंख्यक संस्थान का दर्जा नहीं मिला हुआ है, इसलिए किसी भी धार्मिक आधार पर आरक्षण देना कानूनी रूप से संभव नहीं है. प्रवेश पूरी तरह NEET मेरिट सूची के आधार पर हुए हैं, और किसी भी प्रकार की धर्म-आधारित प्राथमिकता का प्रावधान नहीं है.
अधिकारियों ने कहा कि 50 सीटों की स्वीकृति मिलने के बाद कॉलेज ने निर्धारित नियमों के अनुसार प्रवेश प्रक्रिया पूरी की है और किसी भी प्रकार की राजनीतिक या धार्मिक हस्तक्षेप की गुंजाइश नहीं है.
विवाद गहराता हुआ
भाजपा और दक्षिणपंथी संगठन इस मामले को धार्मिक असंतुलन का मुद्दा मान रहे हैं, जबकि प्रशासन इसे पूरी तरह योग्यता-आधारित चयन बता रहा है. अब नजर उपराज्यपाल के फैसले पर टिकी है कि क्या वे प्रवेश प्रक्रिया की समीक्षा के आदेश देंगे या वर्तमान नियमों को बरकरार रखेंगे. फिलहाल विवाद थमने के बजाय और तूल पकड़ता दिख रहा है.


