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जम्मू कश्मीर में ‘दरबार मूव’ चार साल बाद फिर शुरू, जम्मू में चहल-पहल लौटी

4 साल के इंतजार के बाद जम्मू-कश्मीर की ऐतिहासिक परंपरा ‘दरबार मूव’ फिर शुरुआत फिर हो रही है. ‘दरबार मूव’ की शुरुआत महाराजा रणबीर सिंह ने वर्ष 1872 में की थी.

Suraj Mishra
Edited By: Suraj Mishra
Raman Saini
Reported By Raman Saini

जम्मू-कश्मीर: चार वर्षों के अंतराल के बाद जम्मू-कश्मीर की ऐतिहासिक परंपरा ‘दरबार मूव’ एक बार फिर जीवंत हो उठी है. श्रीनगर से सचिवालय और कई विभागों के दफ्तरों के जम्मू स्थानांतरण के साथ शहर में प्रशासनिक गतिविधियां तेज़ हो गई हैं. अधिकारियों और कर्मचारियों के आने-जाने से शहर की रौनक बढ़ गई है, जबकि सरकारी परिसरों में चहल-पहल लौट आई है.

‘दरबार मूव’ की शुरुआत कब हुई? 

‘दरबार मूव’ की शुरुआत महाराजा रणबीर सिंह ने वर्ष 1872 में की थी. इस परंपरा के तहत हर साल गर्मियों में श्रीनगर और सर्दियों में जम्मू प्रशासनिक राजधानी बनता था. यह परंपरा राज्य की भौगोलिक और मौसमी परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुए शुरू की गई थी ताकि शासन दोनों क्षेत्रों तक समान रूप से पहुंच सके.

हालांकि, अगस्त 2019 में अनुच्छेद 370 हटने के बाद इस व्यवस्था पर रोक लगा दी गई थी. इसके बाद वर्ष 2021 में तत्कालीन उपराज्यपाल प्रशासन ने “दरबार मूव” को स्थायी रूप से समाप्त करने की घोषणा की थी. सरकार का तर्क था कि इससे सालाना करोड़ों रुपये का खर्च और समय दोनों की बचत होगी.

सरकार ने अपनाया हाइब्रिड मॉडल

इस साल प्रशासन ने जनता और कर्मचारियों की मांगों को देखते हुए इस परंपरा को आंशिक रूप से पुनः शुरू करने का निर्णय लिया है. सूत्रों के मुताबिक, इस बार सरकार ने हाइब्रिड मॉडल अपनाया है, जिसके तहत कुछ विभागों का संचालन जम्मू से होगा जबकि कुछ ऑनलाइन या सीमित कर्मचारियों के साथ श्रीनगर में जारी रहेंगे. इसके साथ ही, मुख्य सचिव और वरिष्ठ अधिकारी नवंबर के पहले सप्ताह, यानी 3 नवंबर से जम्मू सचिवालय से काम शुरू करेंगे.

जम्मू नगर निगम और स्थानीय प्रशासन ने दरबार मूव के मद्देनज़र सड़क मरम्मत, सफाई और सुरक्षा प्रबंधों को लेकर विशेष तैयारियां की हैं. ट्रैफिक पुलिस ने अतिरिक्त जवानों की तैनाती की है ताकि दफ्तरों के खुलने के दौरान यातायात सुचारू रहे.

जम्मू-कश्मीर की साझा सांस्कृतिक विरासत है दरबार मूव

कर्मचारियों में भी इसे लेकर उत्साह देखा जा रहा है. कई अधिकारियों का कहना है कि दरबार मूव केवल प्रशासनिक प्रक्रिया नहीं, बल्कि जम्मू-कश्मीर की साझा सांस्कृतिक विरासत है, जो दोनों क्षेत्रों को भावनात्मक रूप से जोड़ती है.

विशेषज्ञों का मानना है कि यह कदम न केवल प्रशासनिक संतुलन बहाल करेगा, बल्कि जम्मू की स्थानीय अर्थव्यवस्था खासकर परिवहन, होटल और खुदरा व्यापार को भी बढ़ावा देगा. दरबार मूव के लौटने से जम्मू में सर्दियों के मौसम की शुरुआत एक बार फिर उत्साह और उम्मीदों से भरी हो गई है.

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26 October 2025, 06:11 PM IST

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