जम्मू-कश्मीर राज्यसभा चुनाव में भाजपा की अप्रत्याशित जीत, क्रॉस वोटिंग पर सियासी हलचल तेज
जम्मू-कश्मीर में राज्यसभा चुनाव के परिणामों ने राजनीतिक गलियारों में हलचल मचा दी है. नेशनल कॉन्फ्रेंस ने तीन सीटों पर जीत हासिल की, जबकि भारतीय जनता पार्टी ने चौथी सीट अपने नाम कर आश्चर्यजनक सफलता दर्ज की.

जम्मू-कश्मीर में हाल ही में संपन्न राज्यसभा चुनाव के परिणामों ने राजनीतिक गलियारों में हलचल मचा दी है. नेशनल कॉन्फ्रेंस ने तीन सीटों पर जीत हासिल की, जबकि भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने चौथी सीट अपने नाम कर आश्चर्यजनक सफलता दर्ज की.
भाजपा उम्मीदवार को कितने वोट मिले
खास बात यह है कि भाजपा के पास विधानसभा में केवल 28 विधायक थे, लेकिन उनके उम्मीदवार सत शर्मा को 32 वोट मिले, जबकि नेशनल कॉन्फ्रेंस के उम्मीदवार को केवल 22 वोट प्राप्त हुए. इससे राजनीतिक विश्लेषकों के बीच क्रॉस वोटिंग को लेकर सवाल खड़े हो गए हैं.
चुनाव से पहले उमर अब्दुल्ला ने दावा किया था कि सभी निर्दलीय विधायक नेशनल कॉन्फ्रेंस का समर्थन करेंगे, लेकिन परिणाम ने इस दावे की सत्यता पर सवाल उठाए. राजनीतिक पर्यवेक्षकों का मानना है कि इस चुनाव ने जम्मू-कश्मीर की सियासत में नए समीकरण और संभावित गठबंधनों की दिशा को बदलने का संकेत दिया है.
NC–BJP Fix Match!
— Mehraj Malik (@MehrajMalikAAP) October 24, 2025
NC has betrayed the people of J&K for decades. They didn’t even need my vote even then, I voted against communal politics and for unity and justice.
But NC deliberately cast extra votes on the 3rd RS seat to help BJP win the 4th a clear fix match!
Now, Can we…
आप विधायक का आरोप
इस बीच, कठुआ जेल में पब्लिक सेफ्टी एक्ट के तहत बंद आम आदमी पार्टी के विधायक महाराज मलिक ने सोशल मीडिया पर नेशनल कॉन्फ्रेंस पर जनता के विश्वास के साथ खिलवाड़ और धोखा देने का आरोप लगाया. उन्होंने कहा कि यह परिणाम दिखाता है कि कुछ लोग सत्ता के लिए किसी भी हद तक जा सकते हैं.
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि भाजपा की यह अप्रत्याशित जीत आगामी राजनीतिक रणनीतियों और गठबंधनों को प्रभावित कर सकती है. अब सभी दल यह समझने की कोशिश कर रहे हैं कि क्रॉस वोटिंग किस स्तर पर हुई और किसने पार्टी लाइन तोड़ी.
राज्यसभा चुनाव के नतीजों ने प्रदेश की राजनीति में नए समीकरण, गठबंधन और रणनीतियों पर चर्चा को तेज कर दिया है. आने वाले समय में इस मामले को लेकर सियासी बयानबाज़ी और आरोप-प्रत्यारोप और बढ़ने की संभावना है. यह चुनाव न केवल वर्तमान सत्ता संरचना को प्रभावित कर रहा है, बल्कि भविष्य के राजनीतिक परिदृश्य को भी आकार देने वाला है.
इस प्रकार, जम्मू-कश्मीर के पहले राज्यसभा चुनाव ने राज्य की राजनीतिक स्थिरता, दलों की रणनीतियों और विधायकों की निष्पक्षता पर नई बहस को जन्म दिया है, जो आने वाले दिनों में सियासी गतिविधियों को और रोमांचक बना सकता है.


