1300 साल बाद हुआ बड़ा बदलाव: 4 दलित नेताओं को बनाया गया महामंडलेश्वर
गुजरात के सभी मंदिरों और सभी अखाड़ा परिषदों ने 4 दलित संत को महामंडलेश्वर में नियुक्त किया है
Mahamandaleshwar: संत समाज के इतिहास में ये पहली बार होने जा रहा है कि अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के संतों को महामंडलेश्वर बनाया गया है. अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद, अहमदाबाद द्वारा आयोजित समारोह में गुजरात के साधु-संतों की मौजूदगी में गुजरात के 4 संतों को महामंडलेश्वर की पदवी दी गई है. इस समारोह में पूजा, जप, और अभिषेक के बाद संतों और महंतो ने चारों महामंडलेश्वर का जल, दूध, पंचामृत, शहद से अभिषेक किया है.
मुख्य रणनीतिकार राजेश शुक्ला ने इस बारे में जानकारी देते हुए बताया है कि 1300 साल में ये पहली बार हुआ है कि जब SC-ST समुदाय के संतों को महामंडलेश्वर की उपाधि दी गई है. ये फैसला हिंदू धर्म में समानता के सिद्धांत को बढ़ावा देने के लिए लिया गया है.
नियमों का पालन किया जाएगा
मुख्य रणनीतिकार राजेश शुक्ला ने बताया कि हम 4 साल से इसका प्रयास कर रहे हैं, ये लागू करके पीछे हमारा उद्देश्य है कि सनातन धर्म भाषा और क्षेत्रवादस की बेड़ियां से आजाद किया जाए. हम अगले 3 से 5 साल में ऐसे 100 महामंडलेश्वर बनवाएंगे. आगे उन्होंने बताया कि हमारे संत समाज ने सदियों पुरानी परंपराओं को बदलने के लिए ये कदम उठाया है. इसमें संत-महंत का सहयोग मिला है. ये काफी मुशकिल काम था, लेकिन काफी आसानी से ये हो गया. बिना किसी भेदभाव के साथ चारों संत सभी लोगों के साथ रहेगें.
महामंडलेश्वर में बनें संत
- संत श्री कृष्णवदन महाराज, संत अकल साहेब समाधि स्थान, सुरेंद्रनगर
- संत श्री किरणदास, वाल्मीकि अखाड़ा, भावनगर
- संत श्री शामलदास प्रेमदास, कबीर मंदिर, भावनगर
- संत श्री शनलदास मंगलदास, दासी जीवन की जगह, गोंडल, राजकोट