सौराष्ट्र तमिल संगमम का समापन समारोह, पीएम मोदी ने कार्यक्रम को किया संबोधित

आज पीएम मोदी सौराष्ट्र तमिल संगमम का समापन समारोह में शामिल हुए। जिसमें उन्होंने एक पुस्तक का विमोचन किया। साथ ही उन्होंने कार्यक्रम को संबोधित किया।

Nisha Srivastava
Nisha Srivastava

देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी बुधवार 26 अप्रैल को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से सौराष्ट्र तमिल संगमम के सपामन समारोह में शामिल हुए। यह दस दिवसीय कार्यक्रम है, जिसका आयोजन 17 अप्रैल से शुरू हुआ था। आज सोमनाथ में इसका कार्यक्रम का समापन हुआ। बता दें कि इस कार्यक्रम में भारी संख्या में लोग शामिल हुए और करीब तीन हजार लोग सौराष्ट्रियन तमिल एक स्पेशल ट्रेन से सोमनाथ आए हैं।

इस दौरान पीएम मोदी ने सौराष्ट्र-तमिल संगमप्रशस्ति का पुस्तक का विमोचन किया। पीएम मोदी ने सौराष्ट्र तमिल संगमम के सपामन समारोह को संबोधित करते हुए कहा कि मैं गद-गद हृदय से आज तमिलनाडु से आए अपनों के बीच वर्चुअली उपस्थित हूं।

कार्यक्रम में बोले पीएम मोदी

पीएम मोदी ने कहा कि “इतनी बड़ी संख्या में आप सब अपने पूर्वजों की धरती पर आए हैं, अपने घर आए हैं..आपके चेहरों की ख़ुशी देख मैं कह सकता हूं कि आप ढेरों यादें और भावुक अनुभव यहां से लेकर जाएंगे”। पीएम मोदे ने कहा भारत विविधता को विशिष्टता के रूप में जीने वाला देश है।

उन्होंने आगे कहा कि “हम अलग-अलग भाषाओं और बोलियों को, कलाओं और विषओं का उत्सव मानते हैं”। हमारी ये विविधता हमें बांटती नहीं है बल्कि हमारे बंधन को मजबूत बनती है। पीएम मोदी ने कहा कि हम जानते हैं कि अलग-अलग धाराएं जब साथ आती हैं तो संगम का सृजन होता है। हम इन परंपराओं को सदियों से पोषित करते आए हैं।

हम एक नई परंपरा के गवाह बन रहे हैं-पीएम मोदी

पीएम मोदी ने कार्यक्रम में कहा कि “आजादी के अमृतकाल में हम सौराष्ट्र तमिल संगमम जैसे सांस्कृतिक आयोजनों की एक नई परंपरा के गवाह बन रहे हैं”। कुछ महीने पहले बनारस में काशी तमिल संगमम का आयोजन हुआ था जिसकी पूरे देश में चर्चा हुई थी। उन्होंने कहा कि आज सौराष्ट्र की धरती पर एक बार फिर हम भारत की दो प्राचीन धाराओं का संगम होता देख रहे हैं।

उन्होंने कहा सौराष्ट्र तमिल संगमम का यह आयोजन केवल गुजरात और तमिलनाडु का संगम नहीं है, ये देवी मीनाक्षी और देवी पार्वती के रूप में एक शक्ति की उपासना का उत्सव भी है। पीएम मोदी ने कहा कि हम विविधता को मनाने वाले लोग हैं, हम अलग-अलग भाषाओं और बोलियों को, कलाओं और विधाओं को मनाते हैं।

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26 April 2023, 01:03 PM IST

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