Commonwealth Games 2030 :20 साल बाद भारत में होगा कॉमनवेल्थ गेम्स का आयोजन! कार्यकारी बोर्ड ने सुझाया अहमदाबाद का नाम
Ahmedabad Commonwealth Games 2030 : 2030 के कॉमनवेल्थ गेम्स के लिए अहमदाबाद को संभावित मेज़बान शहर के रूप में सिफारिश की गई है. अंतिम निर्णय नवंबर 2025 में ग्लासगो में होगा. यदि स्वीकृत हुआ, तो भारत दूसरी बार इस आयोजन की मेजबानी करेगा. यह भारत की ओलंपिक 2036 की तैयारी का भी हिस्सा है. इस आयोजन से देश में खेल, पर्यटन, रोजगार और वैश्विक संबंधों को बढ़ावा मिलने की उम्मीद है.

Ahmedabad Commonwealth Games 2030 : कॉमनवेल्थ स्पोर्ट्स की एग्जीक्यूटिव बोर्ड ने 2030 के कॉमनवेल्थ गेम्स के लिए भारत के अहमदाबाद शहर को प्रस्तावित मेज़बान शहर के रूप में सिफारिश की है. यह निर्णय यदि नवंबर 2025 में ग्लासगो में होने वाली जनरल असेंबली में अनुमोदित होता है, तो अहमदाबाद 2030 में 24वें संस्करण की मेज़बानी करेगा जो कि कॉमनवेल्थ गेम्स की 100वीं वर्षगांठ भी होगी.
दूसरी बार भारत में कॉमनवेल्थ गेम्स
2034 के लिए रोडमैप पर सहमति
इस प्रक्रिया में नाइजीरिया की राजधानी अबुजा ने भी एक मजबूत बोली प्रस्तुत की. हालांकि अंतिम सिफारिश अहमदाबाद के पक्ष में रही, लेकिन कॉमनवेल्थ स्पोर्ट्स बोर्ड ने नाइजीरिया की महत्वाकांक्षा को मान्यता दी और भविष्य में, विशेषकर 2034 संस्करण के लिए, अफ्रीका में पहली बार कॉमनवेल्थ गेम्स आयोजित करने की संभावनाओं पर विचार करने का आश्वासन दिया.
अहमदाबाद की तैयारी और भारत का दृष्टिकोण
भारत की तरफ से प्रस्तुत की गई बोली में गेम्स की समग्र व्यवस्था, खिलाड़ियों के अनुभव, अवसंरचना, तकनीकी दक्षता और कॉमनवेल्थ मूल्यों के साथ समन्वय पर विशेष जोर दिया गया. अहमदाबाद के प्रस्ताव ने यह दिखाया कि भारत एक समावेशी, आधुनिक और वैश्विक स्तर के आयोजन की मेज़बानी करने में सक्षम है.
2047 की दिशा में एक प्रेरक कदम
कॉमनवेल्थ गेम्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया की अध्यक्ष पीटी उषा ने कहा कि यदि भारत को शताब्दी संस्करण की मेज़बानी मिलती है, तो यह देश के लिए गौरव का विषय होगा. उन्होंने इसे "विकसित भारत 2047" के सपने की दिशा में एक प्रेरक अवसर बताया और उम्मीद जताई कि यह आयोजन युवा पीढ़ी को प्रेरित करेगा और अंतरराष्ट्रीय साझेदारी को मज़बूत करेगा.
खेल से परे असर, रोजगार, पर्यटन और अवसर
2030 के कॉमनवेल्थ गेम्स में 72 देशों और क्षेत्रों की भागीदारी की उम्मीद है. इससे केवल खेल के क्षेत्र में ही नहीं, बल्कि पर्यटन, रोजगार, निर्माण, सेवाएं और अन्य पेशेवर क्षेत्रों में भी बड़े पैमाने पर अवसर पैदा होंगे. इसके अलावा भारत उन खेलों को फिर से शामिल करने की योजना बना रहा है जो 2026 के गेम्स से हटा दिए गए थे, जैसे: हॉकी, बैडमिंटन, क्रिकेट, कुश्ती, टेबल टेनिस, स्क्वैश और रग्बी सेवेंस.
कॉमनवेल्थ स्पोर्ट्स की रणनीतिक सोच
कॉमनवेल्थ स्पोर्ट्स के अंतरिम अध्यक्ष डॉ. डोनाल्ड रुकारे ने भारत और नाइजीरिया दोनों की सराहना करते हुए कहा कि दोनों देशों की प्रस्तुतियाँ प्रेरणादायक थीं. उन्होंने कहा कि अहमदाबाद की सिफारिश एक अहम मील का पत्थर है, जो न केवल इतिहास को सम्मान देगा, बल्कि भविष्य के लिए कॉमनवेल्थ गेम्स की नई दिशा भी तय करेगा.
कॉमनवेल्थ स्पोर्ट्स की CEO, केटी सैडलियर ने इसे रणनीतिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण बताया और कहा कि 2030 का आयोजन केवल इतिहास का उत्सव नहीं होगा, बल्कि यह दिखाएगा कि आधुनिक कॉमनवेल्थ खेलों का सामाजिक और वैश्विक प्रभाव कैसे बढ़ सकता है.
भारत को मिल सकती है ऐतिहासिक जिम्मेदारी
ग्लासगो में 26 नवंबर 2025 को होने वाली कॉमनवेल्थ स्पोर्ट जनरल असेंबली में अंतिम निर्णय लिया जाएगा. यदि अनुमोदन मिलता है, तो भारत 100 साल बाद के कॉमनवेल्थ गेम्स का मेज़बान बनकर इतिहास रचेगा, और यह देश के लिए वैश्विक स्तर पर एक नई पहचान बनाने का सुनहरा अवसर होगा.


